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उद्धव और राज ठाकरे के साथ आने की अब कितनी गुंजाइश लगती है?

बीएमसी चुनाव से पहले राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के कुछ दिनों से एक साथ आने की काफी संभावनाएं जताई जा रही हैं. लेकिन, लगता है पवार परिवार की ही तरह ठाकरे बंधुओं का मामला खटाई में पड़ने वाला है, क्योंकि ऐन मौके पर देवेंद्र फडणवीस ने एंट्री ले ली है.

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क्या राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने का मामला फिर अटक जाएगा?
क्या राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने का मामला फिर अटक जाएगा?

10 जून से पहले एनसीपी के दोनों गुटों के विलय की हद से ज्यादा चर्चा हो रही थी. और, चाचा-भतीजे के हाथ मिलाने के कयासों से भी काफी पहले महाराष्ट्र की राजनीति के दो चचेरे भाइयों के भी गले लग जाने की जोरदार चर्चा थी. शरद पवार और अजित पवार दोनों ही ने पुणे में एनसीपी के स्थापना दिवस पर कार्यक्रम रखा था, लेकिन वेन्यू अलग अलग थे. 

पवार की पार्टी और परिवार के एकजुट होने के दोनों तरफ से कई संकेत दिये गये थे, लेकिन अब तक तो कोई भी ऐसा अपडेट या आधिकारिक रुख सामने नहीं आया है. शरद पवार और अजित पवार के बीच हुई कई मुलाकातों और सार्वजनिक मंचों पर दोनों को एक साथ देखे जाने के बाद एनसीपी के दो से एक हो जाने की अटकलें काफी तेज हो गई थीं. और जब अजित पवार की मां आशा पवार ने जनवरी, 2025 में भगवान विट्ठल से प्रार्थना की कि पवार परिवार एकजुट हो, तब तो बिल्कुल पक्का माना जाने लगा था. फिर बताया गया कि बारामती सांसद सुप्रिया सुले ही आखिरी फैसला लेंगी. सुप्रिया सुले विदेश दौरे से लौट तो आई हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ सामने नहीं आया है जो पार्टी और परिवार के साथ आने का संकेत दे रहा हो. 

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पवार परिवार के पुनर्मिलन की चर्चा से पहले राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के भी फिर से एक हो जाने कयास लगाये जा रहे हैं. ये कयास भी यूं नहीं लगाये जा रहे थे, बल्कि दोनों तरफ से मजबूत संकेत भी मिल रहे थे. अब तक न सही, आने वाले बीएमसी चुनावों तक ऐसी कोई संभावना बन सकती है क्या? लेकिन, ऐन मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की एंट्री से अब तक की संभावनाओं पर फिर से आशंका के बादल मंडराने लगे हैं. 

राज और उद्धव के साथ आने के संकेत कैसे मिले

2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव सभी के लिए बेहद खास था. वर्चस्व की लड़ाई में कौन कहां खड़ा है, ये जानने के लिए भी, और बताने के लिए भी. लोकसभा चुनाव के नतीजे ने देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे की चिंता, और महाविकास आघाड़ी के नेताओं की उम्मीद बढ़ा दी थी. विधानसभा चुनावों में एकनाथ शिंदे भी संभल गये, और देवेंद्र फडणवीस ने तो शानदार प्रदर्शन से खोया हुआ सब कुछ पा लिया - लेकिन ठाकरे बंधुओं के लिए सब कुछ निराश करने वाला था. 

उद्धव ठाकरे के लिए राहत की बात बस इतनी ही थी कि विपक्षी गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें उनके हिस्से वाली शिवसेना को मिली थी. राज ठाकरे के लिए इससे बुरा क्या होगा कि उनके बेटे अमित ठाकरे भी चुनाव हार गये. 2019 में तो एमएनएस के पास एक विधायक भी था, लेकिन इस बार तो खाता भी नहीं खुला. 

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को सूबे की राजनीति में स्थापित करने की तमाम कोशिशें हो चुकी हैं. सारी कोशिशें फेल भी हो चुकी हैं. अकेले दम पर शिवसेना का पुराना तेवर दिखाते हुए राज ठाकरे चुनावी गठबंधन का रास्ता भी बारी बारी आजमा चुके हैं. अब तक बस एक ही कोशिश बची है, और वो है राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने की. और एकजुट ठाकरे की ताकत को आजमाने की. 

विधानसभा चुनावों में भी दोनों भाई एक दूसरे से नाराज दिखे. राज ठाकरे इसलिए नाराज थे कि उनके बेटे के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने अपना उम्मीदवार उतार दिया था. उद्धव ठाकरे इसलिए नाराज थे कि उनकी बीमारी तक मजाक उड़ाया गया. एक बार राज ठाकरे का नाम लिया गया तो उद्धव ठाकरे ने गुस्से में प्रतिक्रिया दी. 

लेकिन, महीने भर बाद ही दिसंबर, 2024 में एक शादी में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों पहुंचते हैं. दोनों के पहुंचने का समय अलग अलग होने के कारण आमना सामना तो नहीं हुआ, लेकिन राज ठाकरे की उनकी भाभी रश्मि ठाकरे यानी उद्धव ठाकरे की पत्नी से अच्छी बातचीत हुई. राज ठाकरे ने रश्मि ठाकरे की मां से भी मुलाकात की. ये मौका रश्मि ठाकरे के भतीजे शौनक पाटनकर की शादी का था. अटकलें तो दोनों भाइयों के बीच किसी तरह की खिचड़ी पकाये जाने की तभी शुरू हो गई थीं, लेकिन फिर मामला ठंडा भी पड़ गया. 

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एक दिन, महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट के जरिये राज ठाकरे का नया रुख देखने को मिला. महेश मांजरेकर ने राज ठाकरे से पूछा था, क्या वो अब भी उद्धव ठाकरे के साथ मिल सकते हैं?

सवाल के जवाब में राज ठाकरे कहते हैं, हमारे विवाद... हमारे झगड़े... हमारे मुद्दे छोटे हैं... महाराष्ट्र उससे कहीं बड़ा है.

और उसके बाद शिवसेना (UBT) के मुखपत्र 'सामना' के जरिये उद्धव ठाकरे की भी प्रतिक्रिया आई, जिससे मालूम हुआ कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच कोई विवाद नहीं है. जो भी मतभेद हैं, उसकी वजह बीजेपी और एकनाथ शिंदे हैं. और, ये वजह भी बड़ी है, रास्ते की सबसे बड़ी बाधा भी है. 

फडणवीस की एंट्री से खेल खराब होने की आशंका

कुछ दिन पहले राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के मेल मिलाप के मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अलग राय थी, लेकिन लगता है अब वो बदल चुकी है. चर्चा उठने पर देवेंद्र फडणवीस ने कहा था, ये उन दोनों भाइयों का अपना मसला है, वे खुद निपटाएं... मैं बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनने में इंटरेस्टेड नहीं हूं. 

लेकिन राज ठाकरे के साथ देवेंद्र फडणवीस की ताजा मुलाकात ने लगता है ठाकरे बंधुओं के साथ आने की संभावनाओं में नया रोड़ा अटका दिया है. 12 जून को राज ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस मुंबई के ताज लैंड्स एंड होटल में मुलाकात की है. 

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ये मुलाकात एक घंटे से ज्यादा चली है. खास बात ये है कि मुलाकात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रोग्राम शेड्यूल में शामिल नहीं थी - अब तो लगता है, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने की गुंजाइश कम ही बची है.
 

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