बिहार में आंबेडकर के अपमान का मुद्दा अब गंभीर रूप लेता जा रहा है. अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आरजेडी का नाम लेते हुए इस मुद्दे को आगे बढ़ा दिया है. साथ में, प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को भी लपेट लिया है. कांग्रेस अभी चुप है. तब भी, जबकि प्रशांत किशोर ने इस मामले में राहुल गांधी को चैलेंज कर रखा है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि प्रशांत किशोर ने आंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर लालू यादव का जिक्र भर किया है, प्रधानमंत्री मोदी की तरह माफी न मांगने पर सवाल नहीं उठाया है. बल्कि, वो तो राहुल गांधी को ललकार रहे हैं, अगर हिम्मत है तो बयान जारी करें. पिछले साल राहुल गांधी ने आंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी. कांग्रेस ने संसद में उनके भाषण का एक क्लिप सोशल मीडिया पर शेयर किया था, और काफी बवाल मचा था.
बवाल इतना मच गया था कि बीजेपी को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा था. बाद में अमित शाह को आगे आकर सफाई देनी पड़ी थी. प्रशांत किशोर असल में उसी को बहाना बनाकर राहुल गांधी को चैलेंज कर रहे हैं. प्रशांत किशोर जानते हैं कि कांग्रेस महागठबंधन में रह कर ही बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रही है, और अगर राहुल गांधी इस मामले में कोई भी कदम बढ़ाते हैं तो कांग्रेस के लिए नई मुश्किल खड़ी हो सकती है.
सबसे बड़ा सवाल है कि प्रशांत किशोर खुद लालू यादव से सवाल क्यों नहीं पूछ रहे हैं? आखिर उनकी जन सुराज पार्टी भी तो बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है - क्या प्रशांत किशोर को किसी बात का डर है, कहीं दांव उल्टा न पड़ जाये?
बुरी तरह घिर चुके हैं लालू यादव
बिहार दौरे पर सिवान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, बिहार में पोस्टर लगे हैं कि बाबा साहब के अपमान पर माफी मांगों... लेकिन, ये लोग माफी नहीं मांगेंगे... क्योंकि इनके मन में दलित, महादलित, पिछड़ों और अतिपिछड़े के लिए कोई सम्मान नहीं है... राजद और कांग्रेस वाले बाबा साहब की तस्वीर को अपने पैरों में रखते है... लेकिन, मोदी बाबा साहब को अपने दिल में रखता है.
ये विवाद तब शुरू हुआ जब लालू यादव के बर्थडे सेलीब्रेशन का एक वीडियो सामने आया. बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक वीडियो शेयर करते हुए लालू यादव पर 'बाबा साहेब अंबेडकर का घोर अपमान' किये जाने का आरोप लगाया, और हफ्ते भर बाद फिर से सवाल उठाया है कि लालू यादव ने अब तक माफी क्यों नहीं मांगी? वीडियो में एक समर्थक आंबेडकर की तस्वीर लालू यादव को भेंट करता है, और फोटो के लिए खड़ा होता है. फोटो सेशन के बाद आंबेडकर की तस्वीर एक कर्मचारी द्वारा ले ली जाती है.
आंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर लालू यादव को बिहार अनुसूचित आयोग नोटिस भी भेज चुका है. जवाब देने के लिए 15 दिन की मोहलत मिली है. जवाब न देने पर FIR भी दर्ज कराये जाने की बात कही गई है. हो सकता है, लालू यादव को सवालों को जवाब देने के लिए किसी अवसर विशेष का इंतजार हो. तब तक लालू यादव के समर्थन में एक-दो आवाजें सुनाई पड़ रही हैं, आंबेडकर का अपमान लालू यादव कर ही नहीं सकते.
प्रशांत किशोर को किस बात का डर है?
आंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर बीजेपी तो हमलावर है ही, प्रशांत किशोर भी सवाल उठा रहे हैं. फर्क ये है कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी नेता जहां लालू यादव पर सीधा हमला बोल रहे हैं, प्रशांत किशोर को राहुल गांधी के कंधे की जरूरत पड़ रही है.
और, इसी कारण सवाल ये भी उठता है कि क्या प्रशांत किशोर को लालू यादव से किसी बात का डर लग रहा है? क्योंकि प्रशांत किशोर तो जन सुराज अभियान की शुरुआत से ही तेजस्वी यादव को 'नौवीं फेल' कह कर निशाने पर लिये रहते हैं. तेजस्वी के बहाने प्रशांत किशोर बेशक लालू यादव को भी वैसे ही बिहार की हालत के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं, जैसे नीतीश कुमार को.
लेकिन, आंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर न तो वो लालू यादव से माफी मांगने को कह रहे हैं, न ही सीधे उनको निशाना बना रहे हैं?
क्या प्रशांत किशोर के इस मामले में संकोच या किसी तरह के डर की वजह बिहार की जातीय राजनीति हो सकती है? कहीं प्रशांत किशोर को ये डर तो नहीं लग रहा है कि जातीय राजनीति में उनको घसीट कर मुद्दे से ध्यान हटा दिया जाएगा? लालू यादव तो वैसे भी इस खेल के माहिर खिलाड़ी रहे हैं.
जिस तरह से 2015 के बिहार चुनाव में लालू यादव ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान को मुद्दा बना दिया. जिस तरह से नीतीश कुमार के डीएनए पर मोदी के सवाल उठाये जाने पर लालू यादव ने अलग ही मुद्दा बना दिया, प्रशांत किशोर का डर अनायास भी नहीं लगता.
प्रशांत किशोर को जातीय राजनीति के पैमाने पर टार्गेट किये जाने के लिए जोर जोर से उनका पूरा नाम लिया जाने लगता है. प्रशांत किशोर पांडेय. जाहिर है, प्रशांत किशोर के मन में ये तो होगा ही कि लालू यादव कहीं उनके ब्राह्मण होने कही बात बोल कर कोई नया बखेड़ा खड़ा कर दें.
जब भी ऐसे हालात बनते हैं, लालू यादव अपने ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करते हैं. जैसे आरक्षण वाले केस में किया था - ये अगड़े और पिछड़े की लड़ाई है रे भाई. और, ये सुनते ही लालू यादव के समर्थक एकजुट हो जाते हैं, और उनका काम बन जाता है.