scorecardresearch
 

Operation Sindoor: आतंकियों के लिए पाकिस्तान भी सेफ नहीं रहा, अब टेरर फैक्ट्री का क्या होगा?

पाकिस्तान की हालत 1971 की जंग के बाद जैसी भले न हुई हो, लेकिन मिलती जुलती ही है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पड़ोसी मुल्क में आतंकवाद ही नहीं, मौजूदा फौजी हुक्मरानो के पैरों तले जमीन भी खींच ली है - अगर अवाम ने आगे बढ़कर संभालने की कोशिश नहीं की, तो सर्वाइवल की चुनौती भी खड़ी हो सकती है.

Advertisement
X
ऑपरेशन सिंदूर में निशाना बनाये गये पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने बुरी तरह तबाह हुए हैं.
ऑपरेशन सिंदूर में निशाना बनाये गये पाकिस्तान के आतंकी ठिकाने बुरी तरह तबाह हुए हैं.

ऑपरेशन सिंदूर पिछले सर्जिकल स्ट्राइक के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़ी सैन्य कार्रवाई है. टार्गेट और तबाही दोनो का दायरा बहुत बड़ा माना जा रहा है. 

Advertisement

आतंकवादियों के जो ठिकाने कई दशक से चले आ रहे थे, बहुत हद तक खत्म हो चुके हैं. नेस्तनाबूद न सही, लेकिन डैमेज तो बुरी तरह हुए हैं. 

मसूद अजहर का तो करीब करीब सब कुछ ही लुट गया है. घर परिवार और कई गुर्गे भी खत्म हो चुके हैं. मसूद अजहर की हालत उसी के बयान से समझा जा सकता है, ‘मैं भी मर गया होता तो ठीक रहता.’ 

कोलैट्रल डैमेज की पूरी तस्वीर तो तभी सामने आएगी जब कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह फिर से प्रेस ब्रीफिंग करेंगी. तभी ये भी पता चल सकेगा कि हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन के पास क्या बचा है, और क्या क्या गंवा चुके हैं. 

ऑपरेशन सिंदूर का पाकिस्तानी आतंकवाद पर कहर

बीते दो सर्जिकल स्ट्राइक से तुलना करें, तो ऑपरेशन सिंदूर का दायरा बहुत व्यापक है. हर मामले में. ऐसे भी समझ सकते हैं कि पहले ऐसी कार्रवाई को झुठलाने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ आगे आकर कर सबूत पेश कर रहे हैं. 

Advertisement

2016 में उरी आतंकवादी हमले के बाद सेना ने सरहद के तीन किलोमीटर अंदर तक प्रहार किया था. और, सरहद से लगे आतंकी कैंपों को टार्गेट किया था. 

2019 में ये दूरी तीन से 60 किलोमीटर अंदर तक पहुंच गई थी. बालाकोट तक. जब सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादियों ने हमला किया था, और 40 जवान शहीद हो गये थे. 

लेकिन, ताजा ऑपरेशन में एयर स्ट्राइक बहावलपुर तक हुई है, जो सरहद से 100 किलोमीटर से भी ज्यादा ही अंदर है. 

गौर फरमाने वाली बात ये है कि ये सब पाकिस्तानी फौज भी नहीं रोक पा रही है. अब तो पाकिस्तानी फौज की ताकत और तेवर पर भी सवाल उठेंगे. खाली जुबान चलाने और पॉलिटिकल नेतृत्व पर हावी होने से तो काम नहीं चलने वाला - फौज की जो असली जिम्मेदारी होती है, वो तो सिफर ही है. 

ऐसे में पाकिस्तानी फौज कब तक हावी रह सकेगी. वैसे भी वो फौज किस काम की, जो हर जंग हार जाती हो - अब तो ऐसे सवाल भी उठेंगे.

पाकिस्तानी हुक्मरानो की सत्ता तो भारत के नाम पर ही चलती है - और अगर वे परफॉर्म नहीं कर पाएंगे तो कब तक मोर्चा संभाल पाएंगे. 

जिस दिन जनता को लगेगा उखाड़ फेंकेगी. और जब जनता ये तय कर लेगी तो राजनीतिक नेतृत्व हावी होने लगेगा, और फौजी हुकूमत धीरे धीरे कमजोर पड़ने लगेगी - तब आतंकवाद और आतंकियों का क्या होगा. 

Advertisement

क्या ऐसे सवाल पाकिस्तान में नहीं उठ रहे होंगे. सरेआम न सही, किसी ग्रुप में, किसी समुदाय में - या किसी और स्तर पर, सवाल तो उठते ही होंगे. 

क्या पाकिस्तान में आतकंवाद फिर खड़ा हो पाएगा

मसूद अजहर का मामला तो सामने आ गया है. लेकिन मसूद अजहर के अलावा बाकियों को भी भारी नुकसान हुआ है, और फिर से उनका खड़ा हो पाना आसान भी नहीं है.

लाहौर के पास एयर स्ट्राइक में निशाना बनाया गया मुरिदके करीब 200 एकड़ में फैला बहुत बड़ा मदरसा है. ये जमात-उद-दावा का हेडक्वार्टर माना जाता है जिसकी स्थापना मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने की है. पिछले तीन दशक से ये आतंकवाद का मजबूत ठिकाना रहा है. कारगिल युद्ध से लेकर 26/11 मुंबई हमले तक तमाम हमलों की साजिशों में ये शुमार रहा है. खबर है कि हाफिज सईद का भाई और जैश का नंबर 2 आतंकी रऊफ भी एयर स्ट्राइक में जख्मी हुआ है. 

एयर स्ट्राइक में बुरी तरह डैमेज ऐसे ठिकाने अब तभी खड़े हो सकते हैं, जब पाकिस्तानी फौज फिर से आतंकवादियों को मदद दे - लेकिन पाकिस्तान के मदद देने लायक होने पर ही ये सब हो पाएगा, और ये सब इतना जल्दी संभव भी नहीं है. 

Advertisement

अब अगर पाकिस्तानी फौज आतंकवादियों की मदद नहीं कर पाएगी, तो सिर्फ जमीन और कुछ रसद के लिए तो आतंकवादी उनकी बात तो मानने से रहे. 

पाकिस्तानी फौज भी आतंकवादियों के बूते ही अपनी दुकान चलाती आ रही है - एक बार दुकान का माल खत्म हो जाये, तो एक दिन दहशत की दुकान पर ताला भी लगेगा ही.

Live TV

Advertisement
Advertisement