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Census 2027 के साथ होगी जाति जनगणना, लेकिन NPR अपडेट क्‍यों नहीं होगा?

2027 में केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना तो कराएगी, लेकिन NPR को अपडेट करने का कोई इरादा नहीं दिखता. NRC-NPR विवादों और चुनावी सियासत के कारण सरकार फिलहाल जोखिम नहीं उठाना चाहती. महिला आरक्षण, डीलिमिटेशन जैसे बड़े फैसलों की बुनियाद भी इसी जनगणना पर टिकी है.

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Census 2027 में जाति जनगणना ही काफी है, विधानसभा चुनाव भी तो लड़ने हैं.
Census 2027 में जाति जनगणना ही काफी है, विधानसभा चुनाव भी तो लड़ने हैं.

Census 2027 को लेकर मोदी सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. ये मामला थोड़ा दूध के जले इंसान के छाछ फूंककर पीने जैसा भी है. CAA के खिलाफ जिस तरह से देश भर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे, और उसके बाद तो सरकार का अलर्ट हो जाना स्वाभाविक भी है.   

CAA आंदोलन के दौरान ये प्रोपोगेंडा चला था कि NRC और NPR के जरिए केंद्र की बीजेपी सरकार मुसलमानों को देश से निकालना चाहती है. ये सुनते ही लोग सड़क पर उतर गये, और जगह जगह विरोध प्रदर्शन होने लगे. CAA तो लागू हो गया, लेकिन NRC और NPR का मामला लटका ही रह गया - अब जबकि देश में जाति जनगणना भी होने जा रही है, NPR को अपडेट किये जाने की कोई संभावना नहीं है. 

जनगणना होगी, लेकिन NPR?

राष्ट्रीय जनगणना कराये जाने के लिए नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. जनगणना के साथ ही जाति जनगणना भी होगी, ये पहले ही बताया जा चुका है. केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ से जाति जनगणना पर कैबिनेट की मंजूरी ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही मिल गई थी. 

अब तक ये तो साफ हो चुका है कि जाति जनगणना को भी राष्ट्रीय जनगणना में भी शामिल किया जाएगा, लेकिन NPR को भी अपडेट किया जाएगा, फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं लगती. जिस तरह से खबरें आ रही हैं, माना जा रहा है कि जनगणना 2027 के फाइनल आंकड़े 2027 के आखिर तक ही आ पाएंगे. 

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जनगणना के नतीजों से कई सारी चीजें भी जुड़ी हैं. आंकड़ों के आधार पर ही विधानसभा क्षेत्रों का डीलिमिटेशन भी होगा, और उसी के आधार पर महिलाओं के लिए आरक्षण लागू किये जाने की प्रक्रिया शुरू होगी. अब तक तो यही बताया गया है कि 2029 के आम चुनाव तक महिला आरक्षण कानून अमल में आ सकेगा. 

सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि सरकार इस बार सिर्फ जनगणना पर ही फोकस रखना चाहती है. जनगणना के आधार पर NPR को अपडेट किये जाने सरकार का कोई प्लान नहीं है. 2020 में जो प्रस्ताव था उसके अनुसार, जनगणना 2021 के साथ NPR को भी अपडेट किया जाना था. कोविड के चलते न जनगणना कराई जा सकी, न ही NPR अपडेट हो सका. जुलाई, 2019 में NPR को अपडेट करने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी. पहली बार NPR 2010 में तैयार किया गया था, और 2015 में अपडेट किया गया था.

CAA आंदोलन में NPR को भी विवादित बना दिया गया था. और इसे सीधे सीधे NRC से जुड़ा बताया गया. नागरिकता कानून के अनुसार, NPR डेटाबेस ही NRC बनाने का आधार होता है - और जब देश के कई राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव सिर पर हों, तो बीजेपी सरकार भला ऐसे हवन कराने का जोखिम क्यों उठाएगी, जिसमें हाथ जल जाने की भी संभावना लगती हो.ध्यान रहे, 2024 लोकसभा चुनाव मैनिफेस्टो में भी NRC का कोई जिक्र नहीं देखा गया था.

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चुनावों से पहले जोखिम क्यों उठाये बीजेपी सरकार

बिहार चुनाव नजदीक आ चुका है. अब तो बात ही और है, लेकिन नीतीश कुमार भी NRC लागू किये जाने के खिलाफ रहे हैं. हो सकता है, बदले हालात और मौजूदा माहौल में वो धारा 370 और वक्फ बिल जैसा रुख अपना लें, लेकिन अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उनमें असम को छोड़कर बाकी जगह ऐसी कोई कोशिश हुई तो बवाल होना तो पक्का है. 

2026 में असम, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. असम में बीजेपी की सरकार है इसलिए कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन पश्चिम बंगाल? पश्चिम बंगाल में तो जैसे ही ऐसी किसी कोशिश की भनक लगी ममता बनर्जी तो सड़क पर ही उतर जाएंगी - और बीजेपी के लिए आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल चुनाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. 

दिल्ली के बाद बीजेपी अब पश्चिम बंगाल में ही सरकार बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने वाली है. लक्षण तो अभी से देखे जा सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अमित शाह का दौरा, और ममता बनर्जी का जोरदार पलटवार. जब चीजें धीरे धीरे सही दिशा में बढ़ रही हों, तो बीजेपी बर्र के छत्ते में भला हाथ क्यों लगाएगी - अभी के लिए तो बस जाति जनगणना ही काफी है.

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