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ट्रंप-मुनीर का लंच अपनी जगह, पर ईरान के बाद क्या पाकिस्तान का नंबर है?

आसिम मुनीर भले ही ट्रंप के साथ दावत कर लें पर पाकिस्‍तानी खुद उन पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. खासतौर पर तब जबकि अमेरिका एक तरफ इरान से ओमान में न्‍यूक्लियर डील पर बात कर रहा था, और दूसरी तरफ ईरान पर हमले की योजना तैयार की जा रही थी.

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मुनीर को दावत पाकिस्तान की सुरक्षा की गारंटी नहीं है.
मुनीर को दावत पाकिस्तान की सुरक्षा की गारंटी नहीं है.

पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर आज अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच कर रहे हैं. पर पाकिस्तान में खुशी नहीं है. उल्टे पाकिस्तान सहमा हुआ है. लोगों में डर है कि इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद कहीं उनका भी नंबर न आ जाए. पाकिस्तान में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या ईरान के बाद अब पाकिस्तान पश्चिमी देशों और इजरायल के निशाने पर है?  पाकिस्तानी नेता, पत्रकार, और सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज होने का कारण है इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का एक पुराने बयान के वायरल होना. इस वीडियो में  नेतन्याहु कह रहे हैं कि ईरान और पाकिस्तान के पास परमाणु बम नहीं होना चाहिए. इजरायली पीएम का यह बयान हालांकि पुराना है पर वर्तमान युद्ध के संदर्भ में यह प्रासंगिक हो गया है. अमेरिका में प्रवासी पाकिस्तानियों ने जिस तरह आसिम मुनीर का कड़ा विरोध किया है उससे भी जाहिर हो रहा है कि लोगों को डर है कि देश के सत्ताधीश अमेरिका के आगे घुटने देक दिए हैं. पाकिस्‍तान के बुद्धिजीवी और पत्रकार इसलिए भी सवाल खड़ा कर रहे हैं कि जो अमेरिका पिछले दिनों एक तरफ ओमान में ईरान के साथ न्‍यूक्लियर डील पर बात कर रहा था, वही एक झटके में रंग बदलकर ईरान पर हमला करने वाले इजरायल के साथ जा खड़ा हुआ है.

1-ईरान-इजरायल युद्ध और पाकिस्तान की चिंता

13 जून, 2025 को इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों, जैसे नतांज, तबरीज, और करमनशाह, पर बड़े पैमाने पर हमले किए. इस ऑपरेशन में IRGC कमांडर हुसैन सलामी, सेना प्रमुख मोहम्मद बाघेरी, और कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए. जवाब में, ईरान ने तेल अवीव पर सौ से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे. पाकिस्तान ने कूटनीतिक रूप से ईरान का समर्थन जताया. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इजरायल की निंदा की और मुस्लिम देशों से एकजुटता की अपील की. हालांकि इस बीच एक ईरानी जनरल के दावे के बाद जिस तरह पाकिस्तान ने घुटने टेके वह हास्यास्पद हो गया. ईरानी जनरल ने कहा था कि अगर इजरायल ईरान पर परमाणु हमला करता है तो ईरान की तरफ से पाकिस्तान अपने परमाणु बम का इस्तेमाल इजरायल के खिलाफ करेगा. ईरानी जनरल के बयान आने के 24 घंटे के भीतर पाकिस्तानी रक्ष मंत्री का ईरानी सैन्य अधिकारी के बयान का खंडन करना यही दिखाता है कि पाकिस्तान में इजरायल का कितना भय व्याप्त है?  

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इस बीच, नेतन्याहू का पुराना बयान वायरल हो गया जिसमें उन्होंने ईरान और पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार नहीं होना चाहिए की बात कही थी. पाकिस्तान में इस वायरल विडियो के चलते इतना डर पैदा हो गया है कि लोगों को लगता है कि ईरान के बाद पाकिस्तान पश्चिमी गठबंधन (अमेरिका, इजरायल, नाटो) का अगला लक्ष्य हो सकता है.

पाकिस्तान के प्रतिष्ठित पत्रकार हामिद मीर ने 13 जून, 2025 को चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान चुप रहा, तो इजरायल का अगला निशाना हम हो सकते हैं. सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि ईरान पर हमला एक पश्चिमी साजिश है और पाकिस्तान अगला शिकार हो सकता है. यह सवाल इसलिए प्रासंगिक है, क्योंकि ईरान और पाकिस्तान दोनों पर परमाणु कार्यक्रम, आतंकवाद को समर्थन, और क्षेत्रीय अस्थिरता के आरोप लगते रहे हैं.

2. ईरान और पाकिस्तान, समानताएं और पश्चिम का रुख

पश्चिमी देशों और इजरायल के नजरिए से, ईरान और पाकिस्तान में कई समानताएं हैं.  जून 2025 में IAEA ने ईरान को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का उल्लंघन करने वाला घोषित किया, यह दावा करते हुए कि उसके पास 60% संवर्धित यूरेनियम है, जो 6-9 परमाणु बम बना सकता है. इसने इजरायल को हमले का आधार दिया.
पाकिस्तान एक घोषित परमाणु शक्ति है, जिसके पास अनुमानित 150-170 परमाणु हथियार हैं. नेतन्याहू का पुराना बयान, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर चिंता जताई थी, पश्चिमी आशंकाओं को दर्शाता है कि ये हथियार आतंकी समूहों के हाथ लग सकते हैं. अमेरिका और इजरायल दोनों को डर है कि परमाणु हथियार गैर-जिम्मेदार देशों या आतंकी समूहों के पास न हों. हालांकि ईरान के विपरीत, पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम पहले से स्थापित है, जिससे उसका निशाना बनना अधिक जटिल है.

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दोनों देशों पर आतंकवाद को समर्थन के आरोप

ईरान पर हिजबुल्लाह, हमास, हूती विद्रोहियों, और इराकी शिया मिलिशिया को फंडिंग और हथियार देने का आरोप है. इन समूहों ने बेरूत बमबारी (1983), सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमला (2019), और इजरायल पर रॉकेट हमले (2023) जैसे आतंकी हमलों में नाम आया.

पाकिस्तान पर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और तालिबान जैसे आतंकी समूहों को समर्थन देने का आरोप है. 2008 का मुंबई हमला और 2019 का पुलवामा हमला इसके उदाहरण हैं.  अमेरिका और इजरायल दोनों क्षेत्रीय स्थिरता चाहते हैं, और ईरान-पाकिस्तान को इसके लिए खतरा मानते हैं. जाहिर है कि आज नहीं तो कल पाकिस्तान भी वेस्ट के निशाने पर आएगा ही.

3- ट्रंप भरोसेमंद नहीं, पाकिस्तान के लिए क्यों डरना जरूरी है?
 
अमेरिका और इजरायल दोनों ही देशों के आंखों में पाकिस्तान का परमाणु बम चुभता रहा है. अमेरिका की पाकिस्तान के परमाणु बमों को कब्जे में लेने की स्नैच और ग्रैब योजना का एक बार सुर्खियों में आ चुका है. इसी तरह इजरायल भी पाकिस्तान के परमाणु बम बनाने के पहले से ही उसे खत्म करने की योजना पर काम करता रहा है. अस्सी के दशक में अगर भारतीय नेताओं मोरारजी देसाई या इंदिरा गांधी का साथ मिला होता तो आज पाकिस्तान के पास परमाणु बम नहीं होता.  

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आसिम मुनीर भले ही ट्रंप के साथ दावत कर लें पर उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वे पाकिस्तान के गाढ़े मौके पर काम आएंगे. दुनिया के सबसे बड़े अमीर एलॉन मस्क हों या भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी , दोनों की ही अमेरिकी राष्ट्रपति अपना दोस्त बोलते रहे हैं. पर आज दोनों से उनकी दूरी बन चुकी है तो पाकिस्तान के मुनीर के साथ भी ऐसा कभी हो सकता है जब वो ट्रंप की आंखों में चुभने लगें. वैसे भी पाकिस्तान से अभी ट्रंप अमेरिका के फायदे के लिए मिल रहे हैं. कब वो अपने हित के लिए  पटली मार जाएं कोई नहीं जानता है.

हामिद मीर ने चेतावनी यूं ही नहीं है. मीर कहते हैं  कि पाकिस्तान की ईरान पर चुप्पी उसे अगला निशाना बना सकती है. यह भावना पाकिस्तान में असुरक्षा को बढ़ाती है.

 

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