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केजरीवाल लुधियाना उपचुनाव में वोट मांग रहे हैं या लोगों को धमका रहे हैं?

लुधियाना वेस्ट उपचुनाव कैंपेन में अरविंद केजरीवाल ने अपने उम्मीदवार संजीव अरोड़ा को मंत्री बनाये जाने के वादे के साथ फायदे तो गिना ही रहे हैं, नुकसान से भी आगाह कर रहे हैं. केजरीवाल का कहना है कि अगर संजीव अरोड़ा चुनाव नहीं जीते तो इलाके में विकास के काम बंद हो जाएंगे - क्या ऐसा हो सकता है?

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अब लुधियाना के लोगों को अरविंद केजरीवाल समझा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार चुनाव हार गया तो अच्छा नहीं होगा.
अब लुधियाना के लोगों को अरविंद केजरीवाल समझा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार चुनाव हार गया तो अच्छा नहीं होगा.

लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर वोटिंग होने में बस हफ्ता भर बाकी है. चुनाव मैदान में तो कांग्रेस, बीजेपी और अकाली दल भी उतरे हुए हैं, लेकिन सबसे ज्यादा एक्टिव आम आदमी पार्टी ही दिखी है. चुनाव तारीख की घोषणा से बहुत पहले ही आम आदमी पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था - अरविंद केजरीवाल भी वहां पहुंच गये थे. 

पंजाब का ये उपचुनाव शुरू चर्चा में है, जिसकी वजह भी आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति है. उपचुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाया है. संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाये जाने के समय से ही ये चर्चा भी शुरू हो गई थी कि ये अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा पहुंचने का रास्ता बनाया गया है. पहले तो आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता इसे राजनीतिक विरोधियों के दुष्प्रचार करार देते थे, लेकिन जबसे अरविंद केजरीवाल ने खुद ही संजीव अरोड़ा को लुधियाना वेस्ट का विधायक बन जाने पर पंजाब सरकार में बनाये जाने का ऐलान किया है, बीजेपी और कांग्रेस के दावे सही लगने लगे हैं. 

दिल्ली चुनाव में मिली शिकस्त के बाद अरविंद केजरीवाल विपश्यना के लिए पंजाब गये थे, लेकिन तब से ज्यादातर वक्त उधर ही बिता रहे हैं. बीच बीच में दिल्ली आना जाना भर ही हो पाता है. दिल्ली की जिम्मेदारी आतिशी और सौरभ भारद्वाज के कंधों पर है. ये तो साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल के लिए लुधियाना वेस्ट उपचुनाव कितना अहम है, लेकिन उनके कैंपेन का तरीका काफी अजीब लग रहा है. 

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चुनावों में जुमले भी वैसे ही जायज माने जाते हैं, जैसे प्यार और जंग में हर हथकंडा चलता है. जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल लुधियाना वेस्ट सीट के लिए कैंपेन कर रहे हैं, उसमें भी दिल्ली विधानसभा चुनाव कैंपेन की झलक देखने को मिल रही है, लेकिन जो बातें वो कह रहे हैं वे लुधियाना के मामले में बिल्कुल सूट नहीं करतीं - और इसीलिए ऐसा लग रहा है जैसे अरविंद केजरीवाल लोगों से वोट मांगने के बहाने धमका रहे हों. 

ये कैसा चुनाव कैंपेन है?

चुनावों में लोगों से वादे किये जाते हैं. राजनीतिक विरोधियों के एजेंडे से अपने वोटर को अलर्ट करना भी कैंपेन का हिस्सा मान लिया जाता है. पहले भी, और इस बार के दिल्ली चुनाव में भी अरविंद केजरीवाल लोगों को बीजेपी और कांग्रेस से आगाह करने की पूरी कोशिश किये थे - और उसी लहजे में लुधियाना के लोगों को भी समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनको आम आदमी पार्टी को ही क्यों वोट देना चाहिये. 

संजीव अरोड़ा को पंजाब सरकार में मंत्री बनाये जाने के साथ साथ अरविंद केजरीवाल उसके फायदे भी समझाते हैं. करीब करीब वैसे ही जैसे दिल्ली में मनीष सिसोदिया के फिर से डिप्टी सीएम बनने के फायदे जंगपुरा के लोगों को समझा रहे थे - लेकिन अरविंद केजरीवाल लुधियाना कैंपेन में ये भूल जा रहे हैं कि एक उपचुनाव से सरकार नहीं बदलने जा रही है, अगर सब ठीक रहा तो मुख्यमंत्री भगवंत मान अपना कार्यकाल पूरा कर सकते हैं. क्योंकि, अरविंद केजरीवाल ने इसी दौरान कुछ दिन पहले ये भी साफ कर दिया था कि आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री नहीं बदलने जा रही है.

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कांग्रेस उम्मीदवार भारत भूषण आशु को कठघरे में खड़ा करते हुए अरविंद केजरीवाल कहते हैं, अगर आप आशु को वोट देंगे, तो आपके काम रुक जाएंगे. वो कोई निधि नहीं ला सकते... केवल मुख्यमंत्री को अपशब्द कहते रहते हैं.

यहां तक तो कोई बात नहीं. चलेगा. राजनीतिक विरोधी को निकम्मा और नकारा साबित करना, किसी भी राजनीतिक दल के लिए ठीक हो सकता है. ये हक भी उसे मिला हुआ है. आम आदमी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार आशु भी ऐसे ही हमला बोलते हैं. उनकी अपनी कहानी भी है. 

लेकिन, एक चुनावी रैली में अरविंद केजरीवाल के मुंह से सुनी बातें यूं ही हजम नहीं होतीं, "अगर आप चाहते हैं... आपके इलाके में काम हो, तो सिर्फ AAP विधायक ही उसे सुनिश्चित कर सकते हैं... अन्य पार्टी के प्रत्याशी को जिताने का मतलब होगा विकास कार्यों का रुक जाना."

क्या लुधियाना में विकास के काम रुक जाएंगे?

मतलब, अगर आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार हार गया, तो लुधियाना वेस्ट इलाके के लोगों को उसकी सजा मिलेगी. और, पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार इसके लिए उनके इलाके के विकास के काम रोक देगी. भला ऐसा कैसे हो सकता है, सरकार तो पुरे सूबे की है, कोई एक सीट राजनीतिक विरोधी के खाते में चले जाने से विकास के काम रुक जाएंगे. मतलब, अगर विरोधी दल का विधायक होगा और लोगों की समस्याएं लेकर वहां के अफसरों के पास पहुंचेगा, तो वे काम नहीं होंगे!

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दिल्ली चुनाव में भी अरविंद केजरीवाल ऐसी ही बातें समझा रहे थे. कहते थे कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो उनकी सरकार में चलाई जा रही योजनाएं बंद हो जाएंगी. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लोगों को आश्वस्त किया कि जन कल्याण की कोई भी स्कीम बंद नहीं होगी, तब लोगों को भरोसा हुआ, और आम आदमी पार्टी से भरोसा उठ गया. चुनावों में ऐसा होता रहता है. सत्ता विरोधी लहर का खामियाजा हर पार्टी को भुगतना पड़ता है. बीजेपी को भी ऐसे अनुभव हुए हैं. 

निश्चित तौर पर लुधियाना उपचुनाव आम आदमी पार्टी के लिए खास मायने रखता है, अगर हार मिली तो अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता फिलहाल बंद हो जाएगा, लेकिन इलाके में विकास कार्य रुक जाएंगे - ये तो संभव नहीं है.

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