मध्यप्रदेश में 9 साल बाद सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमोशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. दरअसल, साल 2016 से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रमोशन रुका हुआ था, क्योंकि प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.
आपको बता दें कि साल 2002 में तत्कालीन दिग्विजय सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान किया था, जिसके बाद इसी नियम के आधार पर प्रमोशन होते गए. कुछ सालों के कर्मचारी संगठनों ने आरोप लगाया कि नए नियम की वजह से आरक्षित वर्ग के कर्मचारी प्रमोशन पाते जा रहे हैं लेकिन सामान्य वर्ग के कर्मचारी-अधिकारियों को उतना जल्दी प्रमोशन नहीं मिल रहा है.
इसके बाद कर्मचारी संगठन हाईकोर्ट पहुंच गए और हाईकोर्ट ने अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया जिसके तहत प्रमोशन में आरक्षण दिया जा रहा था. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ तत्कालीन शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गयी जहां सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया जिसके बाद से प्रमोशन ही लटक गए थे.