वक्फ संशोधन बिल 2025 को लेकर मध्य प्रदेश में सियासी घमासान तेज हो गया है. इस बिल का विरोध करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) ने 'वतन, धर्म और पूर्वजों का गद्दार' करार देते हुए रतलाम और गुना में उनके खिलाफ पोस्टर लगा दिए. इस घटना ने दोनों शहरों में सियासी माहौल गरमा दिया है.
रतलाम के दो बत्ती चौराहे पर बीती रात BJYM कार्यकर्ताओं ने दिग्विजय सिंह की तस्वीर वाले पोस्टर लगाए, जिसमें उन्हें वक्फ संशोधन बिल का विरोध करने के लिए 'गद्दार' बताया गया. सुबह होते ही यह खबर शहर में फैल गई और लोगों की भीड़ जमा हो गई. माहौल बिगड़ता देख पुलिस ने BJYM नेताओं से पोस्टर हटाने को कहा, जिसके बाद सुबह कार्यकर्ताओं ने पोस्टर हटा दिए.
इस बीच, पोस्टर लगने की खबर मिलते ही कांग्रेस कार्यकर्ता लामबंद हो गए. आज सुबह कांग्रेस नेताओं ने स्टेशन रोड थाने के बाहर धरना शुरू कर दिया और BJYM जिलाध्यक्ष विप्लव जैन के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की. शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र कटारिया और पूर्व विधायक हर्षविजय गेहलोत ने इसे शहर और प्रदेश का माहौल खराब करने की साजिश करार दिया. कटारिया ने कहा, "यह भाजपा की ओछी राजनीति है. अगर FIR दर्ज नहीं हुई, तो जिला स्तर पर उग्र आंदोलन किया जाएगा."
दूसरी ओर, दिग्विजय सिंह के गृह जिले गुना में भी BJYM ने उनके खिलाफ पोस्टर लगाकर विरोध जताया. ये पोस्टर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा क्षेत्र में लगाए गए, जिसमें दिग्विजय सिंह को 'देश का गद्दार' बताया गया.
युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र धाकड़ ने कहा, "दिग्विजय सिंह खुद को हिंदूवादी नेता बताते हैं, लेकिन वक्फ बिल का विरोध कर तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं. इस बिल से देश की जनता को लाभ हुआ है, लेकिन दिग्विजय सिंह इसका विरोध कर अपनी दोहरी राजनीति दिखा रहे हैं. हमने पोस्टर लगाकर जनता को उनके कृत्यों के बारे में जागरूक करने की कोशिश की है."
हालांकि, दिग्विजय सिंह को 'हिन्दुपथ राजा' की उपाधि मिली हुई है, लेकिन BJYM ने उनके वक्फ बिल विरोध को हिंदू धर्म के खिलाफ बताते हुए निशाना साधा. इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखी जा रही है.
वक्फ संशोधन बिल 2025 को लेकर मध्य प्रदेश में पहले भी विवाद हो चुका है. यह बिल 4 अप्रैल को राज्यसभा में 128-95 वोटों से पारित हुआ था, जिसके बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किए और यह 8 अप्रैल से लागू हो गया. दिग्विजय सिंह ने इस बिल को संविधान के खिलाफ बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया था, जिसके बाद से भाजपा और कांग्रेस के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है.