हमारी लोकसंस्कृति का हिस्सा हैं गालियां: चंद्र प्रकाश द्विवेदी
हमारी लोकसंस्कृति का हिस्सा हैं गालियां: चंद्र प्रकाश द्विवेदी
सुरभि गुप्ता/अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली,
11 नवंबर 2017,
अपडेटेड 6:32 PM IST
साहित्य आज तक के सत्र 'बुरा ना मानो गाली है' में लेखक एवं निर्देशक चंद्र प्रकाश द्विवेदी से गालियों पर बात की गई. उन्होंने बताया कि गालियां हमारी लोक संस्कृति का हिस्सा हैं और उत्तर भारत के हर विवाह में वर-वधू पक्ष के लोगों का नाम लेकर गालियां दी जाती है.
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