मुद्दतों खुद से मुलाकात नहीं होती है,
रात होती है मगर रात नहीं होती है.
शहर में अब कोई दरवेश नहीं है शायद,
अब कहीं कोई करामात नहीं होती है.
उससे कह दो की जल्द लौट आए,
आरजू देर तक नहीं रहती.
मैं दिन के उजाले में तुझे सोच रहा हूं,
महसूस ये होता है कि कुछ रोशनी कम है.
साहित्य आजतक 2019 तीसरा दिन: हंस राज हंस,अनूप जलोटा ने जमाई महफिल
तूने कुछ ऐसी पिला दी है पिलाने वाले,
होश वाले भी नहीं होश में आने वाले.
देखते हैं जो तमाशा सरे साहिल मेरा.
कल यही लोग थे मौजों से बचाने वाले.
जब तसव्वुर तेरा नहीं होता
जिंदगी में मजा नहीं होता
वादे वो रोज करते हैं लेकिन
कोई वादा वफा नहीं होता
कैसी आई बहार गुलशन में
कोई पत्ता हरा नहीं होता
चेहरे होते हैं बेवफा जीशान
आईना बेवफा नहीं होता
किसी बाजार में सौदा नहीं होने देते
वो हमें और किसी का नहीं होने देते
जब संभलती है तबीयत तो चले आते हैं आप
अपने बीमार को अच्छा नहीं होने देते
तुमने क्यों देखा पलटकर हमें वक्ते रख्सत
क्यों किसी हाल में तन्हा नहीं होने देते