साहित्य आज तक' के मंच पर पहुंचे दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग शायराना अंदाज में नजर आए. आइए एक नजर डालते हैं उन शेयर पर जो उन्होंने सेशन में सुनाएं...
सुकूने दिल के लिए कुछ तो एहतेमाम करूं,
जरा नजर जो मिले फिर उन्हें सलाम करूं,
मुझे तो होश नहीं आप मशवरा दीजिए,
कहां से छेड़ूं फसाना, कहां से तमाम करूं...
पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है,
कोई बतलाओ कि हम बतलाएं क्या...
जब मय-कदा छुटा तो फिर अब क्या जगह की क़ैद
मस्जिद हो मदरसा हो कोई ख़ानक़ाह हो...