
महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को 'साहित्य आजतक' के मंच पर आकर 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' प्रदान किए. इस साल 'आजतक साहित्य जागृति लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान' जाने-माने गीतकार गुलजार को दिया गया. देश के सर्वश्रेष्ठ न्यूज चैनल 'आजतक' का तीन दिवसीय आयोजन 'साहित्य आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में जारी है.
समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' प्रदान किए गए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने कर-कमलों से ये सम्मान प्रदान किए.
आजतक साहित्य जागृति उदीयमान लेखिका सम्मान सिनीवाली को दिया गया. (रचना: हेति -सुकन्या अकथ कथा)
आजतक साहित्य जागृति उदीयमान लेखक सम्मान अमरेश द्विवेदी को मिला. (कृति: रंग पुटुसिया)
आजतक साहित्य जागृति भारतीय भाषा प्रतिभा सम्मान भरत खेनी ने हासिल किया. (कृति: राजा रवि वर्मा)
आजतक साहित्य जागृति लोकप्रिय लेखक सम्मान से यतीन्द्र मिश्र सम्मानित हुए. (कृति: गुलज़ार सा'ब: हज़ार राहें मुड़ के देखीं...)
आजतक साहित्य जागृति भारतीय भाषा सम्मान 2024 प्रदीप दाश को प्रदान किया गया. (कृति: चरु, चीवर और चर्या)
आजतक साहित्य जागृति सर्वश्रेष्ठ रचना सम्मान 2024 शिवमूर्ति को दिया गया. (कृति: अगम बहै दरियाव)
आजतक साहित्य जागृति सर्वश्रेष्ठ रचना सम्मान 2024 ऊषा प्रियम्वदा को मिला. (उपन्यास: अर्कदीप्त)
आजतक साहित्य जागृति लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड जाने-माने गीतकार गुलज़ार को मिला.
'आज तक साहित्य जागृति सर्वश्रेष्ठ रचना सम्मान' (लेखक), 'आज तक साहित्य जागृति सर्वश्रेष्ठ रचना सम्मान' (लेखिका), 'आज तक साहित्य जागृति लोकप्रिय लेखक सम्मान' और हिंदी के साथ ही भारतीय भाषाओं को सम्मानित करने के लिए 'आजतक साहित्य जागृति भारतीय भाषा सम्मान' के विजेताओं को एक लाख रुपये की सम्मान राशि, स्मृति चिह्न और मान-पत्र दिया गया. वहीं 'आजतक साहित्य जागृति उदीयमान प्रतिभा सम्मान' लोकप्रिय श्रेणी के विजेता को पचास हजार रुपये की राशि, स्मृति चिह्न और मान-पत्र दिया गया.
गुलजार की मांग पर साहित्यकारों का सम्मेलन करेंगी राष्ट्रपति
इस अवसर पर गीतकार गुलजार ने राष्ट्रपति से गुजारिश की कि वे साहित्यकारों से ज्यादा मेल-जोल रखा करें. उन्होंने कहा कि ये बड़े काम के लोग हैं क्योंकि जिस देश की आप राष्ट्रपति हैं, साहित्यकार उसी देश की जनता की कहानियां कहते हैं. राष्ट्रपति मुर्मू ने भी अपने संबोधन में इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे जरूर साहित्यकारों का सम्मेलन करेंगी. उन्होंने कहा कि वे साहित्यकारों सहित सबसे मिलती हैं. राष्ट्रपति भवन राष्ट्रपति का नहीं है. ये राष्ट्र से जुड़े सब लोगों का है. कोई आना चाहे तो आ सकता है लेकिन वे अपनी ओर से जरूर साहित्यकारों का सम्मेलन करेंगी और उनको (गुलजार को) जरूर बुलाएंगी.