लंदन की एक स्टडी से खुलासा हुआ है कि कम वजन के साथ पैदा होने वाले बच्चों को बड़े होकर फर्टिलिटी की समस्या से जूझना पड़ता है. रिसर्च में सामान्य से 10 फीसदी कम वजन वाले 55 फीसदी लोगों में ये शिकायत पाई गई. इस स्टडी में महिलाएं शामिल नहीं हैं.
रिसर्च टीम का कहना है कि इस मामले में मां का स्वास्थ्य कैसा रहा है, ये भी मायने रखता है. डेनमार्क के आरहुस यूनिवर्सिटी की एनी थोरस्टेड ने कहा, 'खराब वातावरण भ्रूण के स्पर्म प्रोडक्शन और प्रजनन अंगों के विकास के लिए हानिकारक हो सकता है.
थोरस्टेड का कहना था कि अगर मां धूम्रपान करती है तो इसका सीधा असर उसके होने वाले बच्चे पर भी पड़ता है. शुरुआत में शायद बच्चे पर इसका असर न दिखे, पर काफी सालों के बाद बॉडी में इसके गलत प्रभाव देखने को मिलते हैं. ये रिसर्च 1984 से 1987 के बीच जन्म लेने वाले 5,594 पुरुषों पर किया गया था.
टीम ने अपने रिसर्च में पाया कि जिन 8.3 फीसदी लोगों का वजन अपने जन्म के समय 2.8 किग्रा से कम था उन्हें आगे चल कर फर्टिलिटी की समस्या से गुजरना पड़ा. आरहुस टीम ने बताया कि रिसर्च में शामिल सभी प्रतिभागी अभी 30 से 40 साल के बीच के हैं.