Auto-Brewery Syndrome: कार्बोहाइड्रेट्स 2 तरह के होते हैं सिंपल कार्बोहाइड्रेट्स और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स. सिंपल कार्बोहाइड्रेट्स और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स दोनों ही शरीर को एनर्जी देते हैं लेकिन ये अलग-अलग तरीके से काम करते हैं. सिंपल कार्बोहाइड्रेट्स जल्दी पच जाता है और ब्लड में चीनी की मात्रा को जल्दी बढ़ा देता है जबकि कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स को पचने में ज्यादा समय लगता है और देर तक एनर्जी देता रहता है.
फल (जैसे सेब, अंगूर), दूध, शहद, कैंडी, सफेद ब्रेड, सफेद पास्ता, सोडा सिंपल कार्ब्स हैं और साबुत अनाज (जैसे भूरा चावल, साबुत गेहूं की रोटी), फलियां (जैसे बीन्स, दालें), सब्जियां (जैसे आलू, गाजर), फल (जैसे सेब, केला) कॉम्प्लेक्स कार्ब हैं.
कई बार सिंपल कार्ब जैसे पास्ता, ब्रेड, व्हाइट राइस खाने के बाद इंसान को नशे जैसा महसूस होने लगता है या फिर उन्हें तेजी से नींद आने लगती है. ऐसा होता है ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम के कारण. यह सिंड्रोम क्या है और इसका कारण क्या होता है, इस बारे में जान लीजिए.
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम क्या है?
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) या गट फर्मेंटेशन सिंड्रोम (Gut Fermentation Syndrome) के नाम से भी जाना जाता है. यह एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें शरीर में सूक्ष्मजीवों (जैसे कवक या बैक्टीरिया) के कारण आंत में कार्बोहाइड्रेट का किण्वन होता है, जिससे इथेनॉल (अल्कोहल) का उत्पादन होता है. यह सिंड्रोम शराब का सेवन किए बिना भी शराब के नशे जैसे लक्षण पैदा कर सकता है. यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कुछ यीस्ट या कवक की संख्या आंत में काफी अधिक बढ़ जाती हैं. यह प्रक्रिया तब होती है जब आंत में मौजूद कवक या बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट को इथेनॉल में परिवर्तित कर देते हैं.
चावल, जैसे कि अन्य कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ, इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जब चावल खाया जाता है, तो शरीर इसे शर्करा में तोड़ता है, जिसे आंत में मौजूद यीस्ट या बैक्टीरिया शराब में बदल सकते हैं. इस प्रक्रिया के कारण, खून में अल्कोहल का स्तर बढ़ सकता है, जिससे व्यक्ति को नींद, थकान, भ्रम, कॉडिनेशन की कमी और अन्य नशे के समान लक्षण महसूस हो सकते हैं.
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम के कारण
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं लेकिन कुछ कारक इस स्थिति को बढ़ावा दे सकते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट का अधिक सेवन, अधिक चीनी वाली डाइट, आंत में कवक या बैक्टीरिया का असंतुलन, आंत में सूजन, आंत संबंधी डिसऑर्डर.
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम के लक्षण हैं?
1. चक्कर आना
2. भ्रमित होना
3. सिरदर्द
4. मुंह का सूखना
5. मतली या उल्टी
6. थकान
7. मूड में बदलाव
8. फोकस की कमी
9. डिहाइड्रेशन
गंभीर मामलों में, यह क्रोनिक थकान सिंड्रोम, डिप्रेशन, एंग्जाइटी का कारण भी बन सकता है. इस स्थिति वाले लोगों को अक्सर सरल कार्बोहाइड्रेट और शुगर से भरपूर चीजों से बचने की सलाह दी जाती है. कॉर्न सिरप, हाई फ्रुक्टोज वाले कॉर्न सिरप, सफेद ब्रेड और पास्ता, सफेद चावल, सफेद आटा, आलू के चिप्स, क्रैकर्स, शुगर वाली ड्रिंक्स और फलों का रस न पीने की सलाह दी जाती है.
ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम का ट्रीटमेंट
ट्रीटमेंट में आमतौर पर एंटिफंगल दवाएं, डाइट में बदलाव और पाचन तंत्र में बैक्टीरिया का सही संतुलन बनाए रखने वाले प्रोबायोटिक्स शामिल होते हैं.