Kidney Health: किडनी को हिंदी में गुर्दे कहते हैं जो हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं. ये शरीर को स्वस्थ और संतुलित रखने के लिए कई काम करते हैं. किडनी हमारे शरीर के लिए एक तरह का फिल्टर प्लांट भी है. अगर ये फिल्टर काम करना बंद कर दे तो शरीर में खतरनाक अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं जिससे किडनी के स्वास्थ्य के साथ ही आपका पूरा जीवन खतरे में पड़ सकता है.
क्यों जरूरी है किडनी
अमेरिका के नेशनल किडनी फाउंडेशन (NKF) के अनुसार, किडनी शरीर के केमिकल बैलेंस को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह हर दिन लगभग 200 लीटर खून को फिल्टर करती है. अगर यह बीमार होती है तो कई संकेतों के जरिए आपको इशारा करती है. नींद की कमी भी इसका एक संकेत है.
क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) से पीड़ित लगभग आधे से ज्यादा लोगों को नींद से जुड़ी कोई न कोई समस्या होती है जिसे अनदेखा नहीं करना चाहिए. ऐसा क्यों होता है, आगे हम आपको इसकी वजह बता रहे हैं.
खून में विषाक्त पदार्थों का जमा होना
किडनी की बीमारी और नींद न आने की परेशानी के बीच एक गहरा संबंध है. (NKF) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जब गुर्दे ठीक से फिल्टर नहीं कर पाते हैं तो विषाक्त पदार्थ (जैसे यूरिया और क्रिएटिनिन) यूरिन के जरिए से शरीर से बाहर निकलने के बजाय खून में ही जमा रहते हैं. इससे शरीर की आराम करने की क्षमता बाधित होती है और मरीज के लिए सोना मुश्किल हो जाता है.
Restless Legs Syndrome (RLS)
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (RLS) एक तंत्रिका संबंधी विकार है जो किडनी के मरीजों में बहुत आम है. इसमें पैरों में अजीब सी झुनझुनी या खुलजी होती है जिससे मरीज को लगातार पैरों को हिलाने की इच्छा होती है. आमतौर पर ये दिक्कत रात में और आराम करते समय सबसे अधिक होता है जिससे सोने में बहुत मुश्किल होती है और बार-बार नींद टूटती है. इसका संबंध अक्सर शरीर में आयरन की कमी या कुछ मिनरल के असंतुलन से होता है.
स्लीप एपनिया
सामान्य लोगों की तुलना में किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों में स्लीप एपनिया भी बेहद कॉमन है. यह एक ऐसी स्थिति है जहां नींद के दौरान सांस बार-बार शुरू होती है और रुक जाती है जिससे मरीज बार-बार जागता है और उसकी नींद टूटती है. इससे वो दिन भर थक-थका रहता है.
हार्मोनल परिवर्तन
चूंकि किडनी शरीर के हार्मोन्स को संतुलित रखने में मदद करती है. जब यह बीमार होती है तो नींद को नियंत्रित करने वाले हार्मोन (जैसे मेलाटोनिन) का संतुलन बिगड़ सकता है जिससे मरीज की नींद बाधित होती है और उसे सोने में दिक्कत होती है.