केरल हाई कोर्ट ने एक 25 वर्षीय व्यक्ति पर दर्ज रेप के मामले को खारिज कर दिया है. इस मामले में एक विवाहित महिला ने युवक पर शादी का झूठा वादा करके उसे पहले उसके पति से अलग करने फिर उससे रेप करने का आरोप लगाया था.
केरल हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि पहले से विवाहित महिला से शादी करने के लिए एक पुरुष द्वारा किया गया वादा कानून में लागू नहीं है. इस तरह के वादे के आधार पर उनके बीच कोई भी यौन संबंध बनने पर आईपीसी की धारा 376 लागू नहीं होती.
याचिका में महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने ऑस्ट्रेलिया में दो मौकों पर सहमति से उसके साथ यौन संबंध बनाए थे. उसने बताया कि फेसबुक के जरिए उनकी दोस्ती हुई थी. इसके बाद दोनों रिलेशनशिप में आ गए थे. महिला ने बताया कि युवक ने उससे शादी करने का वादा किया था. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि प्रथम सूचना बयान को पढ़ने पर यह स्पष्ट है कि यौन संबंध बनाने के लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई थी. सहमति से संबंध बनाए गए थे.
महिला ने सहमति से बनाए संबंध, 376 के तहत अपराध नहीं
न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ ने कहा- यह तय है कि अगर कोई पुरुष किसी महिला से शादी करने के अपने वादे से मुकर जाता है, तो सहमति से यौन संबंध आईपीसी की धारा 376 के तहत एक अपराध नहीं होगा, जब तक कि यह साबित नहीं हो जाता है कि शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध के लिए सहमति ली गई थी.
जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि विवाहित महिला ने स्वेच्छा से अपने प्रेमी के साथ यौन संबंध बनाए. वह जानती थी कि वह उससे विवाह में नहीं कर सकती है क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा थी.
अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करते हुए कहा कि केस को आगे बढ़ाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा. युवक के खिालफ 2018 में पुनालूर पुलिस स्टेशन में बलात्कार का केस दर्ज किया गया था.
तलाकशुदा महिला को देने होंगे मेंटेनेंस के 32 लाख रुपये
केरल हाई कोर्ट के जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने पिछले दिनों पत्नी को तलाक देने वाले एक मुस्लिम शख्स को मेंटेनेंस के लिए 31.68 लाख रुपये देने का आदेश दिया था. इसके साथ ही आजीविका के लिए हर महीने 32 हजार रुपये देने का भी फैसला सुनाया है, ताकि पत्नी और बच्चा अपना जीवन-यापन कर सकें. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी यही आदेश दिया था. हालांकि, बाद में सत्र न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को पलट दिया था. अब हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है.