बॉम्बे हाई कोर्ट ने मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स लिमिटेड को बड़ी अंतरिम राहत देते हुए, मेटा, एक्स, गूगल और कुछ न्यूज साइटों सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कंपनी के खिलाफ अपमानजनक सामग्री तुरंत हटाने का निर्देश दिया है.
यह पूरा विवाद ज्वेलरी कंपनी द्वारा ब्रिटेन के बर्मिंघम में नए शोरूम के प्रचार के लिए पाकिस्तानी इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर अलिश्बा खालिद को काम पर रखने से शुरू हुआ. खालिद पर कथित रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत की सर्जिकल स्ट्राइक की सार्वजनिक रूप से निंदा करने का आरोप है.
Malabar Gold ने कोर्ट को बताया कि खालिद को काम पर रखने का समझौता हमले से बहुत पहले किया गया था, और उन्हें इन्फ्लुएंसर के पाकिस्तान कनेक्शन की जानकारी नहीं थी.
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कंपनियों पर साजिश का आरोप
कंपनी ने कोर्ट में दलील दी कि खालिद को काम पर रखने के कारण उसे पाकिस्तान का समर्थक बताया जा रहा है. कंपनी का दावा है कि यह प्रतिस्पर्धियों के इशारे पर जानबूझकर किया जा रहा है, ताकि त्योहारी सीजन के दौरान उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचे.
Malabar Gold ने अपने खिलाफ अपमानजनक पोस्ट वाले 442 यूआरएल की एक लिस्ट हाई कोर्ट को सौंपी. जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच ने सोशल मीडिया साइटों को निर्देश दिया कि वे खालिद के जुड़ाव से संबंधित किसी भी आगे की मानहानिकारक सामग्री को प्रकाशित न होने दें और मौजूदा सामग्री को हटा दें.
मालाबार को इस मुद्दे से संबंधित किसी भी तरह की अपमानजनक सामग्री वाले पोस्ट/सामग्री/स्टोरीज के संबंध में साइटों को यूआरएल का विवरण प्रदान करना होगा. पीठ 11 नवंबर को कंपनी की याचिका पर फिर से सुनवाई करेगी.