कोरोना काल के इस संकट भरे दौर में एक बार फिर क्रिकेट लौट रहा है, हर क्रिकेटप्रेमी के मन में फिर कुछ उम्मीद जगी है कि क्रिकेट उनके चेहरे पर मुस्कान वापस लाएगा. इस बार क्रिकेटप्रेमियों के लिए मौका भी कुछ खास है. कोरोना शुरू होने से पहले जिस वर्ल्ड टेस्ट मैच चैम्पियनशिप का आगाज हुआ था अब उसका फाइनल 18 जून को इंग्लैंड के साउथैम्पटन ग्राउंड में खेला जाना है. फाइनल मुकाबले में भारत और न्यूजीलैंड की टीमें आमने-सामने होंगी. एक तरफ अग्रेसिव विराट कोहली हैं और दूसरी तरफ ठंडे दिमाग से काम लेने वाले केन विलियमसन, सबसे बड़े मुकाबले में एक-दूसरे को हराने की कोशिश है. इस महामुकाबले पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं. ऐसे में आखिर कैसा रहा टेस्ट चैम्पियनशिप का सफर, फाइनल मुकाबले में आमने-सामने आने वाली टीमें कहां खड़ी हैं. आइए इस सफर को देखते हैं...
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टी20 के दौर में जब हर देश में अपनी-अपनी एक लीग खेली जा रही है, ऐसे वक्त में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड (ICC) ने टेस्ट क्रिकेट में जान फूंकने के लिए टेस्ट चैम्पियनशिप को शुरू किया. लंबे वक्त से इसको शुरू करने का प्रस्ताव था, लेकिन ये आखिरकार साल 2019 में ही शुरू हो पाई. टेस्ट क्रिकेट को सभी फॉर्मेट में से सबसे मुश्किल माना जाता है और हर प्लेयर का टेस्ट क्रिकेट खेलना सपना होता है, ऐसे में जब टेस्ट मैचों में वर्ल्ड कप जैसा फॉर्मेट लाया गया, तो हर कोई खुश हुआ. टेस्ट चैम्पियनशिप में रैंकिंग के हिसाब से टॉप-9 टीमों को जगह दी गई. जिन्हें आपस की 6 टीमों के साथ अलग-अलग अंतराल पर सीरीज खेलनी थी और उसी के बाद दो फाइनलिस्ट का नाम तय होना था.
साल 2019 में एक अगस्त को टेस्ट चैम्पियनशिप का आगाज हुआ, दो साल के इस दौर में कुल 9 टीमों ने 23 टेस्ट सीरीज खेली. तय किया गया कि हर टीम को तीन सीरीज घर में और तीन सीरीज विदेश में खेलने का मौका मिलेगा. दो साल के बाद जो दो टीमें रैंकिंग में टॉप में रहेंगी, उन्हीं के बीच फाइनल खेला जाएगा. जिन 9 टीमों का चयन किया गया उसमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, श्रीलंका और वेस्टइंडीज शामिल थीं. एक टीम को 6 टीम के साथ सीरीज खेलनी थी, वो सीरीज चाहे 2 मैच की हो या 5 मैच की सीरीज हो.
आईसीसी की ओर से प्वाइंट सिस्टम के नियम तय कर दिए गए, चैम्पियनशिप में पिंक बॉल यानी डे-नाइट टेस्ट को भी शामिल किया गया. और इन्हीं दिलचस्प नियमों के बीच दो साल तक टेस्ट चैम्पियनशिप खेली गई.
दो मैच की सीरीज में, एक जीत के 60 अंक रखे गए और तीन मैच की सीरीज में 40 अंक, इसी तरह 4 मैच की सीरीज में टीम एक जीत के 30 अंक हासिल और पांच मैच की सीरीज में 24. कहा गया कि टाई होने की स्थिति में अंक दोनों टीमों में बराबर बांट दिए जाएंगे और ड्रॉ होने की स्थिति में टेस्ट के कुल अंक का एक-तिहाई दोनों टीमों को मिलेगा.
इस बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप से जुड़ा एक बड़ा फैसला किया. उसने कोविड-19 महामारी के कारण प्वाइंट सिस्टम में बदलाव की घोषणा की. आईसीसी ने टीमों के मैचों में मिली जीत के अंकों का प्रतिशत निकाला. जो सीरीज महामारी के दौरान नहीं खेली जा सकी, उसे ड्रॉ मान लिया गया. रैंकिंग का आकलन पर्सेंटेज ऑफ पॉइंट्स (POP) के आधार पर किया गया.
जब दुनिया के सामने कोरोना वायरस की चुनौती नहीं आई थी, उस दौर में ही टेस्ट चैम्पियनशिप की शुरुआत हो गई थी. 1 अगस्त, 2019 को इंग्लैंड के बर्मिंघम में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट मैच चैम्पियनशिप का पहला मैच खेला गया, इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने घरेलू टीम को 251 रनों से मात दी. इस पूरे सफर के दौरान सबसे ज्यादा टेस्ट मैच इंग्लैंड की टीम ने खेले, यानी कुल 21 मैच. इंग्लैंड के बाद सबसे ज्यादा मैच खेलने वालों में भारतीय टीम (17 मैच) और फिर ऑस्ट्रेलियाई टीम (14 मैच) खेले. पूरी टेस्ट चैम्पियनशिप में सबसे कम मैच बांग्लादेश (7 मैच) खेले, यही कारण रहा कि पूरे फॉर्मेट पर कई बार सवाल भी खड़े किए गए.
दो साल के सफर के बाद आईसीसी की टेस्ट मैच चैम्पियनशिप की रैंकिंग में भारतीय टीम नंबर एक पर रही और नंबर दो पर न्यूजीलैंड की टीम रही. इसी आधार पर तय हो गया कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच चैम्पियनशिप का फाइनल खेला जाएगा. टीम इंडिया ने इस दौरान कुल 12 मैच जीते और 4 मैच हारे, लेकिन जीत प्रतिशत (72.2%) के हिसाब से वो नंबर एक टीम बनी. वहीं, न्यूजीलैंड की टीम ने इस दौरान कुल 7 मैच जीते और 4 मैच में हार झेली, न्यूजीलैंड का जीत प्रतिशत 70% रहा. प्वाइंट टेबल में यूं तो इंग्लैंड टीम के प्वाइंट न्यूजीलैंड से ज्यादा थे, लेकिन आईसीसी के नियम के मुताबिक जीत के प्रतिशत के आधार पर रैंकिंग तय हो रही थीं.
साल 2019 में वर्ल्ड कप की हार के बीच टीम इंडिया ने टेस्ट चैम्पियनशिप के सफर की शुरुआत की थी. विराट कोहली की अगुवाई में टीम इंडिया की यंग ब्रिगेड दुनिया की किसी भी टीम को हराने का माद्दा रखती थी. लेकिन टेस्ट चैम्पियनशिप का फॉर्मेट हर किसी के लिए एक नया अनुभव था और सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि इस दौरान दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी मैच खेले जाने थे. ऐसे में विराट कोहली की अगुआई में अगस्त 2019 में भारतीय टीम ने इस मुश्किल सफर की शुरुआत की और नजरें सीधे फाइनल मैच पर गढ़ा दीं.
टीम इंडिया ने अपने दो साल के सफर में कुल 6 टेस्ट सीरीज खेलीं, जिनमें से 3 विदेश में और 3 अपनी जमीन पर खेली गईं. भारतीय टीम ने कुल 5 टेस्ट सीरीज पर कब्जा किया और एक टेस्ट सीरीज को गंवाना पड़ा. टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड के घर में ही उससे हार का सामना किया था और अब इंग्लैंड में उसी के सामने टीम इंडिया फाइनल में भिड़ रही है. दो साल के सफर में टीम इंडिया ने 17 टेस्ट मैच खेले, 12 में जीत दर्ज की और 4 में हार का सामना करना पड़ा जबकि एक ही मैच ड्रॉ रहा.
अगस्त 2019 में टीम इंडिया की टेस्ट चैम्पियनशिप की शुरुआत वेस्टइंडीज़ से हुई जब भारतीय टीम ने कैरिबियाई देश का दौरा किया. 2 टेस्ट मैच की सीरीज में भारतीय टीम ने 2-0 से जीत दर्ज की और चैम्पियनशिप में शानदार शुरुआत की. दो महीने बाद साउथ अफ्रीका की टीम भारत पहुंची, यहां 3 मैचों की सीरीज थी. इससे पहले जब ऐसी सीरीज हुई थी, तब साउथ अफ्रीका ने टीम इंडिया को घर में मात दी थी. लेकिन अब पासा पलट चुका था, टीम इंडिया ने तीनों टेस्ट अपने नाम किए और 3-0 से सीरीज पर कब्जा किया. साउथ अफ्रीका के बाद भारतीय टीम के साथ खेलने बांग्लादेश की टीम आई और 2-0 से हारकर चली गई. इस सीरीज़ में एक मैच डे-नाइट भी था.
शुरुआती तीन सीरीज जीतने के बाद भारतीय टीम के सामने बड़ी चुनौती थी. टीम इंडिया को न्यूजीलैंड का दौरा करना था. फरवरी, 2020 में जब टीम इंडिया न्यूजीलैंड पहुंची तो पहले ही मैच में धराशायी हो गई. दोनों ही पारी में टीम इंडिया 200 का आंकड़ा नहीं छू पाई, अंत में मैच हार गई. दूसरे टेस्ट मैच में भी बुरा हाल हुआ और 3 दिन में ही न्यूजीलैंड ने भारत को हरा दिया. वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में भारत की ये पहली हार थी. इसके बाद दौरा मुश्किल था और टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया जाना था.
कोरोना संकट की वजह से टूर कुछ देर के लिए टला, लेकिन साल के आखिर में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया पहुंच ही गई. फाइनल में पहुंचने के लिए यहां से ही चमत्कार होना था, लेकिन एडिलेड में खेले गए पहले ही टेस्ट मैच में बवाल हो गया, टीम इंडिया यहां सिर्फ 36 रनों पर ऑलआउट हो गई. भारत 8 विकेट से हार गया. चिंता और भी बढ़ीं जब विराट कोहली पहले मैच के बाद भारत लौट आए, मोहम्मद शमी को चोट लग गई.
लेकिन पहले मैच के बाद मेलबर्न, सिडनी और ब्रिस्बेन में टीम इंडिया ने कमाल कर दिया. अजिंक्य रहाणे की अगुआई में युवा टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को धूल चटा दी. दूसरा टेस्ट जीत कर ऑस्ट्रेलिया को हराया, फिर तीसरे टेस्ट मैच को भारत ने बड़े संघर्ष के साथ ड्रॉ करवाया और अंत में ब्रिस्बेन जहां गाबा मैदान है, उस जगह ऑस्ट्रेलिया का गुरूर तोड़कर टीम इंडिया ने इतिहास रच दिया. कई खिलाड़ियों के चोटिल होने के बाद ऋषभ पंत, चेतश्वर पुजारा, टी. नटराजन, शार्दुल ठाकुर, मोहम्मद सिराज जैसे नामों के दम पर इंडिया ने इतिहास रच दिया.
We have had our first group training session and the intensity was high 🔥#TeamIndia's 🇮🇳 preparations are on in full swing for the #WTC21 Final 🙌 pic.twitter.com/MkHwh5wAYp
— BCCI (@BCCI) June 10, 2021
भारत ने ऑस्ट्रेलिया की सीरीज 2-1 से अपने नाम की. इसके बाद टीम इंडिया घर लौटी, जहां उसका मुकाबला इंग्लैंड से था. चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए टीम इंडिया को सीरीज जीतनी जरूरी थी, लेकिन पहले ही मैच में इंग्लैंड ने झटका दे दिया और घर पर ही टीम इंडिया को हरा दिया. लेकिन इसके बाद चेन्नई और अहमदाबाद में खेले गए तीनों टेस्ट मैच में टीम इंडिया ने लगातार इंग्लैंड को मात दी. 3-1 से सीरीज जीतकर भारत ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में जगह बनाई. रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन समेत कई सितारे एक बार फिर चमके और टीम इंडिया की जीत का कारण बने.
भारतीय टीम का मुकाबला इस बार न्यूजीलैंड से है. टेस्ट क्रिकेट में न्यूजीलैंड की टीम ने पिछले कुछ वर्षों में बेहतरीन क्रिकेट खेला है. लेकिन वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशप की जैसी शुरुआत भारतीय टीम की हुई थी, वैसी न्यूजीलैंड की नहीं हो पाई थी. अगस्त, 2019 में न्यूजीलैंड ने श्रीलंका के खिलाफ चैम्पियनशिप की पहली सीरीज खेली, ये सीरीज ड्रॉ रही. उसके बाद मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से हुआ, लेकिन कंगारू टीम ने कीवियों को धूल चटा दी और 3-0 से ऑस्ट्रेलिया जीत गई. यहां तक न्यूजीलैंड का सफर बेहद मुश्किल लग रहा था, लेकिन बाद में बाजी पलट गई.
जब भारतीय टीम न्यूजीलैंड के दौरे पर पहुंची तो कीवियों ने मेहमान टीम को जमकर पीटा, फरवरी 2020 में भारत न्यूजीलैंड में 2-0 से हार गया. इसके बाद न्यूजीलैंड की राह आसान होती चली गई, पहले उसने वेस्टइंडीज को 2-0 से हराया. फिर पाकिस्तान को 2-0 से मात दी. यहां तक के सफर में न्यूजीलैंड ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली थी, लेकिन जब भारत ने पहले ऑस्ट्रेलिया और फिर इंग्लैंड को हराया, तो उनके लिए राह मुश्किल हुई और न्यूजीलैंड का फाइनल में पहुंचना फिक्स हो गया.
टेस्ट क्रिकेट में अगर भारत बनाम न्यूजीलैंड के रिकॉर्ड की बात करें, तो दोनों के बीच साल 1955 से टेस्ट मैच खेले जा रहे हैं. अभी तक दोनों टीमों ने आपस में कुल 59 टेस्ट मैच खेले हैं. इनमें भारतीय टीम का पलड़ा भारी रहा है. भारत ने कुल 21 टेस्ट मैच में जीत हासिल की है, जबकि न्यूजीलैंड 12 मैच में जीत पाया है. दोनों के बीच खेले गए 26 टेस्ट मैच ड्रॉ रहे हैं.
हालांकि, दोनों ही टीमें आखिर के दशकों में काफी मजबूत हुई हैं. अपनी-अपनी पिचों पर दोनों का रिकॉर्ड शानदार रहा है, यही कारण है कि न्यूजीलैंड में जाकर भारतीय टीम के लिए मैच जीतना इतना आसान नहीं रहा है. साल 2010 से 2021 तक दोनों टीमों का रिकॉर्ड कुछ यूं रहा है कि अगर सीरीज़ न्यूजीलैंड में है तो भारत की हार हुई है और अगर सीरीज भारत में है तो न्यूजीलैंड की हार हुई है. ऐसे में दोनों ही टीमें अपने किलों को बचाने में सफल रही हैं.
अगर टेस्ट रैंकिंग की बात करें तो दोनों ही टीमें इस वक्त टॉप 2 की टीमें हैं. दोनों के पास जबर्दस्त कप्तान हैं और शानदार बल्लेबाज भी हैं. इसके अलावा भी हर टीम के पास ऐसे खिलाड़ियों की भरमार है, जो अपने दम पर मैच को जिता सकते हैं. अगर कप्तानों की बात करें तो भारतीय टीम के पास विराट कोहली हैं, जो इस वक्त दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक हैं, फिर चाहे वो कोई भी फॉर्मेट क्यों ना हो. ऐसा ही न्यूजीलैंड के साथ है, उनके कप्तान केन विलियमसन हैं, जो शानदार बल्लेबाज होने के साथ-साथ ठंडे दिमाग से काम लेने वाले कप्तान भी हैं.
इन दोनों के अलावा अगर भारतीय टीम के मोर्चे की बात करें तो रोहित शर्मा, शुभमन गिल और मयंक अग्रवाल जैसे ओपनिंग बल्लेबाज हैं. रोहित-शुभमन की जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया, फिर इंग्लैंड के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया था. ऐसे में अब शुभमन गिल को न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में मौका मिलता है या नहीं, इसपर नज़र होगी. वहीं, तीसरे नंबर पर चेतश्वर पुजारा का खेलना तय है और इंग्लैंड की पिच कंडीशन में पुजारा जैसी दीवार की जरूरत भारत को दोनों इनिंग्स में होगी.
चेतश्वर पुजारा के बाद खुद कप्तान विराट कोहली मैदान में होंगे, जो इंग्लैंड सीरीज़ से पहले ही टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में अपना सौ फीसदी देना चाहेंगे. उनके बाद भारत के पास अजिंक्य रहाणे, ऋषभ पंत जैसे मीडिल ऑर्डर बैट्समैन हैं. पंत ने हाल ही के दिनों में बेहद शानदार प्रदर्शन किया है और वो टेस्ट क्रिकेट में भी मैच विनर बनकर उभरे हैं. इसके बाद भारतीय टीम की गेंदबाजी की शुरुआत होती है.
टीम इंडिया फाइनल में भी दो स्पिनर की जोड़ी के साथ उतर सकती है, जिसमें रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा का नाम ऊपर रहेगा, जो बॉलिंग के साथ-साथ बल्लेबाजी में भी टीम की मदद कर पाएंगे. वहीं, जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, उमेश यादव, शार्दुल ठाकुर और मोहम्मद सिराज जैसी पेस बैटरी भारत के पास मौजूद है. सभी इस वक्त अच्छी फॉर्म में हैं, लेकिन कंडीशन के हिसाब से टीम इंडिया बुमराह-शमी और ईशांत की तिकड़ी के साथ मैदान में उतर सकती है.
भारत से इतर अब अगर न्यूजीलैंड की बात करें, तो कीवी टीम इस बार भी शानदार गेंदबाजी स्क्वॉड के साथ मैदान में होगी, तो वहीं केन विलियमसन और रॉस टेलर जैसे काबिल बल्लेबाज भी उसके पास मौजूद रहेंगे. न्यूजीलैंड के पास अभी टॉम लैथम, टॉम ब्लंडल जैसे ओपनर बल्लेबाज हैं. हाल ही के वक्त में दोनों ने ही कीवी टीम को शानदार शुरुआत दी है.
इसके बाद खुद कप्तान केन विलियमसन का नंबर है, जिनकी गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में से होती है और जो अकेले दम पर मैच का रुख बदलने का माद्दा रखते हैं. न्यूजीलैंड का मिडिल ऑर्डर भी टीम इंडिया की तरह ही मजबूत है, जहां दिग्गज रॉस टेलर चौथे नंबर पर कमान संभालते हैं. इसके अलावा हेनरी निकोल्स, बीजे वॉटलिंग भी लोअर मिडिल ऑर्डर में हैं.
टीम इंडिया को न्यूजीलैंड से सबसे बड़ी चुनौती उसके बॉलिंग डिपार्टमेंट से मिलेगी. क्योंकि इंग्लैंड की कंडीशन ज्यादा न्यूजीलैंड के लिए आरामदायक होंगी. वहीं, न्यूजीलैंड के पास ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी, नील वैगनर, काइल जैमिसन जैसे तेज गेंदबाज हैं, तो वहीं मिशेल सैंटनर जैसा स्पिनर भी है. ट्रेंट बोल्ट और टिम साउदी का भारत के खिलाफ शानदार रिकॉर्ड रहा है, तो वहीं जैमिसन ने हाल ही के वक्त में काफी शानदार प्रदर्शन किया है.
लंबी तैयारियों और दो साल के इंतजार के बाद वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल खेला जा रहा है. पांच दिनों के टेस्ट मैच में तय होगा कि टेस्ट चैम्पियशिप का खिताब भारत के पास जाएगा या फिर न्यूजीलैंड के खाते में जाएगा. इतने बड़े इवेंट के लिए आईसीसी ने नियमों में कई बदलाव भी किए हैं, ताकि नतीजा निकालने पर ज्यादा जोर दिया जाए.
इंग्लैंड में मौसम लगातार बदलता रहता है, ऐसे में बारिश की संभावना बनी रहेगी. इसलिए आईसीसी ने टेस्ट मैच के लिए एक दिन रिजर्व रखा है. यानी अगर पांच दिन में से कोई दिन खराब जाता है या किसी दिन ओवर कम फेंके जाते हैं, तो रिजर्व दिन का इस्तेमाल किया जा सकेगा. अगर मैच का नतीजा नहीं निकलता है यानी मैच ड्रॉ या टाई हो जाता है, तो संयुक्त रूप से भारत-न्यूजीलैंड टेस्ट चैम्पियनशिप के विजेता होंगे.
पूरे मैच के दौरान अगर कोई रन शॉर्ट रह जाता है या किसी रन पर शॉर्ट होने की आपत्ति होती है, तो ग्राउंड अंपायर सीधे थर्ड अंपायर के पास जा सकेंगे. अगर कोई बल्लेबाज या फील्डिंग कप्तान कोई रिव्यू लेता है, तो उसके पास उससे पहले ग्राउंड अंपायर से पूछने का मौका होगा कि क्या बल्लेबाज ने शॉट खेलने का प्रयास किया.
टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल पहले लॉर्ड्स में खेला जाना था, लेकिन बाद में इसको साउथैम्पटन ग्राउंड शिफ्ट कर दिया गया. इस मैदान में अभी तक 6 टेस्ट मैच खेले गए हैं, जिनमें से दो मैच पहले बल्लेबाजी करने वाली और एक मैच बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती है. बाकी तीन मैच ड्रॉ रहे हैं. भारतीय टीम ने इस मैदान पर दो मैच खेले हैं, दोनों ही इंग्लैंड के खिलाफ और दोनों में ही भारत की हार हुई है. न्यूजीलैंड के लिए इस मैदान पर ये पहला टेस्ट मैच है.
Report: Mohit Grover
Creative producer: Rahul Gupta
Photo Researcher: Vishal Ghavri
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