सतहत्तर साल की उम्र में दिल्ली में एक बड़ी हार झेलने के बाद शीला दीक्षित के राजनीतिक जीवन का पटाक्षेप होता दिख रहा था. एक समय उन्हें केरल में राज्यपाल बनाकर भी भेज दिया गया था. लेकिन, अचानक कांग्रेस पार्टी ने उत्तरप्रदेश में अपने उदय के लिए शीला का सहारा लिया है. इसका ऐलान जनार्दन द्विवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिया.