थैलेसीमिया के बच्चों की ज़िंदगी दानदाताओं के खून की मोहताज रहती है. उन्हें हर महीने खून चढ़वाना पड़ता है, लेकिन जोधपुर के उमेद अस्पताल में जिन बच्चों को खून चढ़ाया गया, वो अब थैलेसीमिया से भी खौफनाक बीमारी के वायरस की चपेट में हैं.
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