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देहरादून: BJP नेता रोहित नेगी के कातिल अभी तक फरार, यूपी में भी तलाश, परिजन बोले- घर का इकलौता चिराग बुझ गया, लेकिन पुलिस...

2 जून की रात मांडुवाला के पीपल चौक पर हुई इस वारदात में बाइक सवार हमलावरों ने बोलेरो गाड़ी में बैठे रोहित नेगी पर गोली चलाई, जो सीधे उनकी गर्दन में जा लगी. उन्हें ग्राफिक एरा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने हत्या का आरोप यूपी के मुजफ्फरनगर निवासी अजहर मलिक उर्फ अजहर त्यागी पर लगाया है. 

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मृतक BJP नेता रोहित नेगी
मृतक BJP नेता रोहित नेगी

देहरादून के प्रेमनगर क्षेत्र में भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व मंडल अध्यक्ष रोहित नेगी की हत्या के 2 दिन बीत जाने के बाद भी हत्यारोपी फरार हैं. इस वारदात ने न सिर्फ राजधानी देहरादून की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि जिला प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर आम जनता का गुस्सा भी सड़कों पर नजर आने लगा है. 

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एसएसपी ऑफिस का घेराव, जनता और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश

हत्या के विरोध में बुधवार को बड़ी संख्या में लोग सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर के नेतृत्व में एसएसपी कार्यालय पहुंचे. उन्होंने देहरादून पुलिस की ढिलाई पर नाराजगी जताई और आरोपियों की अविलंब गिरफ्तारी की मांग की. विधायक पुंडीर ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह सिर्फ एक हत्या नहीं, कानून-व्यवस्था पर सीधा हमला है. उन्होंने राजधानी में बाहरी युवाओं के सत्यापन को प्राथमिकता देने की बात कही. 

परिवार का दर्द, पुलिस की लाचारी

रोहित के चाचा ने कैमरे के सामने गुस्से और गम में डूबे हुए कहा, "हमारे घर का इकलौता चिराग बुझ गया, लेकिन पुलिस अब भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है." वहीं, एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि संवेदनशील इलाकों की पहचान कर वहां सत्यापन की कार्यवाही की जाएगी. 

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सवाल यह है कि ऐसी कार्यवाही पहले क्यों नहीं हुई?

उत्तराखंड में कोई भी बड़ी घटना के बाद सत्यापन कराए जाने की बात कही जाती है. लेकिन हर घटना के बाद सत्यापन के दावे विफल साबित होते हैं. भाजपा से विकास नगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने भी इस मामले को लेकर रोष जताया है.  मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा है की जिस तरह से एक झगड़े को सुलझाने की कोशिश रोहित कर रहा था. उसमें इस तरह से उसकी नृशंस हत्या की गई है. यह मामला बहुत गंभीर है. यहां जो बाहर से आकर पेइंग गेस्ट के नाम पर, या हॉस्टल में रहती उनकी सख्ती से जांच करने की जरूरत है. 

क्या है पूरा मामला?

2 जून की रात मांडुवाला के पीपल चौक पर हुई इस वारदात में बाइक सवार हमलावरों ने बोलेरो गाड़ी में बैठे रोहित नेगी पर गोली चलाई, जो सीधे उनकी गर्दन में जा लगी. उन्हें ग्राफिक एरा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने हत्या का आरोप यूपी के मुजफ्फरनगर निवासी अजहर मलिक उर्फ अजहर त्यागी पर लगाया है. 

एक गाली से शुरू हुआ विवाद, जो जानलेवा बना

जानकारी के मुताबिक, रोहित के एक दोस्त की महिला मित्र को आरोपी अजहर ने फोन पर गाली दी थी. रोहित ने जब बीच में दखल देकर उसे ऐसा न करने की चेतावनी दी, तो अजहर ने देख लेने की धमकी दी. उसी रात अजहर ने बाइक से आकर रोहित को गोली मार दी. 

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सूत्रों का यह भी कहना है कि पीड़िता मुस्लिम है और अजहर को उसका हिंदू लड़कों से बात करना नागवार था. हालांकि, पुलिस फिलहाल इस मामले में किसी धार्मिक एंगल को नकार रही है और इसे निजी दुश्मनी बता रही है. 

पुलिस ने अजहर त्यागी और एक अज्ञात व्यक्ति पर BNS की धारा 103(1) और 3(5) के तहत मामला दर्ज कर लिया है. लेकिन नतीजा अब तक शून्य है. आरोपी फरार है, और पुलिस के हाथ खाली. उत्तर प्रदेश पुलिस से भी मदद ली जा रही है, लेकिन कोई ठोस कामयाबी नहीं मिली. 

सोशल मीडिया पर उबाल

घटना के बाद से ही सोशल मीडिया पर स्थानीय लोग पुलिस पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं. “आखिर आरोपी अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुआ?” “क्या देहरादून में अब अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं?” — ऐसे सवाल लगातार उठाए जा रहे हैं. 

गौरतलब है कि उत्तराखंड पुलिस मौजूदा दौर में जवानों की भारी कमी से जूझ रही है. भले ही अब तीन/चार एडीजी, कई आईजी की अधिकारियों की फौज आज बढ़ गई हो, लेकिन पुलिस का मुख्य ढांचा यानी Constabulary कमज़ोर पड़ रहा है. उत्तराखंड पुलिस के जवान पुलिस बल का 86 प्रतिशत हिस्सा होते हैं.  

आप देखें तो एक ही सब-इंस्पेक्टर पर हर महीने बढ़ती जांचों की जिम्मेदारी है. वीवीआईपी ड्यूटी, रैली ड्यूटी में ही उनका पूरा दिन निकल जाता है. एक थाने में 50% से भी कम स्टाफ है. अब ना तो पिकेट पुलिस बची है और ना ही गश्त करने के लिए पर्याप्त बल. पहले दोनों की अलग व्यवस्था थी. 

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