वाराणसी के श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी केस में सुनवाई को लेकर सोमवार को जिला जज की अदालत फैसला सुनाएगी. जिसमें अदालत यह निर्णय देगी कि श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर कोर्ट में चल रहा मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं.
सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद 24 अगस्त को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. आने वाले फैसले को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक की गई. इस फैसले को देखते हुए वाराणसी पुलिस अलर्ट मोड पर है.
विजय हमारी होगी
केस में हिंदू पक्षकार सोहन लाल आर्य ने कहा कि हम आश्वस्त हैं कि निर्णय हिंदू पक्ष में आएगा. विजय हमारी ही होगी. मुस्लिम पक्ष Worship Act और वक्फ की जमीन की बात को भी ठीक से नहीं रख पाया है. अभय नाथ यादव के निधन के बाद मुस्लिम पक्ष के सभी साक्ष्य धरे के धरे रह गए. जहां धर्म होता है वहीं जीत होती है. मैं 38 वर्षों से इसके लिए संघर्ष कर रहा हूं.
जीवंत होते हैं शिवलिंग
मुस्लिम पक्ष की दलीलों पर उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने कहा था, अगर यह ज्योतिर्लिंग है तो मैं प्रणाम करता हूं. यह वीडियो सर्वे में भी है, कोर्ट देख सकता है. कोर्ट में इसको लेकर भी बात हुई. कहा कि स्कंध पुराण में लिखा है कि सारे शिवलिंग जीवंत होते हैं. जब यह कोर्ट में दिखाया गया तो सब हैरान हो गए. कहा कि एएसआई का सर्वे और कार्बन डेटिंग भी होनी चाहिए. शिवलिंग से नंदी तक की दीवार भी तोड़ी जानी चाहिए. जिससे नंदी अपने भगवान को देख सकें.
23 मई से जिला कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से 23 मई से जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है. नागरिक प्रक्रिया संहिता सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत यह मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं इसी पर कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें दी थीं. बताया जा रहा है कि आज भी मुस्लिम पक्ष की अपनी दलीलें रखेगा. इसके बाद हिंदू पक्ष अपनी बात रखेगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुनवाई
सिविल जज के आदेश के बाद ज्ञानवापी का सर्वे कराया गया था. इसके बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि ज्ञानवापी में शिवलिंग है. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था. इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. इसके बाद सेशन कोर्ट ने इसे सील कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख अपनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने वादी पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाने वाली प्रतिवादी पक्ष की दाखिल अर्जी पर जिला जज को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का आदेश दिया था.
बैठक में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा