दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि किसी भी महिला का अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होता है, लेकिन वह अपने सास-ससुर की संपत्ति पर अधिकार का दावा नहीं कर सकती.
अदालत ने यह टिप्पणी एक महिला की अपील को खारिज करते हुए की जो यहां के एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर है. उसने अपने सास-ससुर के घर में रहने का अधिकार मांगा था जिसमें उसके पति का कोई हिस्सा नहीं है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाऊ ने कहा कि महिला अपने पति की संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकती है, लेकिन किसी भी परिस्थिति में वह अपने सास-ससुर की संपत्ति या उनकी मर्जी के खिलाफ उनके घर में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकती.
अदालत ने महिला के बारे में कहा कि वह एक कामकाजी महिला है और खुद की गुजर बसर करने की स्थिति में है.
न्यायाधीश ने कहा, ‘पक्षों के बीच समस्याओं और विवादों को देखते हुए, महिला को सास ससुर की मर्जी के बिना उनके घर में रहने की अनुमति देने से मौजूदा घरेलू समस्याएं और बढ़ेंगी तथा इन वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई परेशानियां पैदा होंगी, जिसकी यह अदालत अनुमति नहीं देगी.’ अदालत ने यह भी कहा कि यदि महिला के सास ससुर उसे घर में रहने की अनुमति देते हैं, तब भी इससे उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं हो जाता, और इसका उल्लंघन कार्रवाई करने योग्य होगा.
अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी परिस्थिति में माता पिता अपने बेटों और अलग रह रही अपनी बहुओं का बोझ उठाने के लिए बाध्य नहीं किए जा सकते.