उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे के उस बयान पर टिप्पणी की है जिसमें उन्होंने कहा था कि न्याय कभी जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश के बयान पर कहा कि न्याय में देरी भी नहीं कर सकते.
वेंकैया नायडू ने कहा कि मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश का एक बयान सुना. बहुत ही कुशलता से उन्होंने कहा आप तुरंत न्याय नहीं दे सकते. ठीक उसी तरह से आप न्याय देने में देरी भी नहीं कर सकते. हम सभी के लिए यह चिंता का विषय है. सभी को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि उनके कर्तव्यों का अच्छे से पालन हो.
उपराष्ट्रपति ने ये बातें वीरेंद्र भाटिया मेमोरियल लेक्चर समारोह में कहीं. उपराष्ट्रपति का बयान ऐसे वक्त आया है जब एक दिन पहले ही चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा था कि न्याय कभी भी त्वरित नहीं हो सकता और जब न्याय बदले में किया जाता है तो वह अपने चरित्र को खो देता है;
Vice President Venkaiah Naidu: I saw a statement by Chief Justice of India,very aptly he said 'you can't give instant justice'.But at the same time you can't have constant delays. It's an area of concern for all of us&everyone should see to it that their duties are well performed pic.twitter.com/OIq9Cl36NK
— ANI (@ANI) December 8, 2019
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि आपराधिक न्याय प्रणाली को मामलों के निपटान में लगने वाले समय के प्रति अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहिए.
दरअसल हैदराबाद में वेटनरी महिला डॉक्टर की गैंगरेप और हत्या के सभी आरोपी एनकाउंटर में ढेर किए जा चुके हैं. एनकाउंटर के बाद जहां देश के एक वर्ग ने खुशी जताई, वहीं दूसरी ओर इस एनकाउंटर पर तरह-तरह के सवाल खड़े किए गए थे . डॉक्टर से सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. इस कांड के चार आरोपियों को पुलिस ने शुक्रवार को एक मुठभेड़ में मार गिराया था.
रिपोर्ट के मुताबिक हैदराबाद से करीब 50 किलोमीटर दूर शादनगर के पास चटनपल्ली में पुलिस से ये आरोपी हथियार छीनने की कोशिश के बाद भाग रहे थे. इस दौरान पुलिस की कार्रवाई में ये चारों आरोपी मारे गए . पुलिस ने कहा कि दुष्कर्म की रात मौका-ए-वारदात का क्राइम सीन समझने के लिए वो इन आरोपियों को लेकर वहां गई थी.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि त्वरित न्याय नहीं हो सकता है, लेकिन न्याय मिलने में लगातार देरी भी नहीं हो सकती. न्याय मिलने में देरी होती है तो जनता कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करने लगती है.
उप राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को अधिक लोगों के अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय भाषाओं में अदालती कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए, जिससे लोग इसे समझ सकें. उप राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि चुनाव की याचिकाओं और सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों को समयबद्ध तरीके से निपटाने की जरूरत है.