रेल यात्रियों द्वारा बरती जाने वाली उपेक्षा के चलते रेलगाड़ियों में अक्सर आग लगने और धुंआ उठने की खबरें आती रहती हैं. बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं के मद्देनजर रेल मंत्रालय ने 7 दिन का एक विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है. टिकट जांच कर्मचारियों और रेलगाड़ियों में तैनात अन्य कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे यात्रियों द्वारा रेलगाड़ियों विशेषकर एसी डिब्बों में धूम्रपान किए जाने की घटनाओं को रोकने के लिए जुर्माना वसूलें.
रेल मंत्रालय ने 1999 में रेल परिसरों और रेलगाडियों में सिगरेट और बीड़ी की बिक्री पर पाबंदी लगाई थी. 2008 में भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने पर लगाई गई पाबंदी के बाद रेलवे ने रेल अधिनियम की धारा 167 अधिसूचित की है. जिससे समय-समय पर होने वाली जांचों के दौरान दोषियों से जुर्माना वसूला जा सके.
उत्तर रेलवे ने सभी रेलयात्रियों से अपील की है कि वे रेलगाडी़ और स्टेशन परिसरों में धूम्रपान न करें. साथ ही यदि कोई अन्य यात्री ऐसा करता है तो उसे भी रोकें. यह सभी के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है.