बजट सत्र के आखिरी दिन बुधवार को सरकार राज्यसभा में कालाधन विधेयक पेश करने वाली है. ब्लैक मनी बिल के साथ ही सरकार के सामने कंपनी विधेयक को भी पास कराने की चुनौती है. दोनों विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं. सरकार के लिए राहत की बात ये है कि कांग्रेस ने दोनों विधेयकों को पास कराने में मदद करने का भरोसा दिलाया है.
दूसरी ओर, विपक्ष के विरोध को देखते हुए आखिरकार सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक को संयुक्त समिति को भेज दिया है. मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने इसका प्रस्ताव रखा. संयुक्त समिति में लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे. लैंड बिल पर बनी संसद की संयुक्त समिति मानसून सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट देगी.
शिवसेना और अकाली दल ने भी किया विरोध
एनडीए सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध कर रही कांग्रेस का कहना है कि वो चाहती थी कि बिल को खारिज किया जाए. लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विपक्ष के विरोध के बाद आखिर में सरकार को इसे संयुक्त समिति को भेजने का फैसला लेना पड़ा. भूमि अधिग्रहण बिल पर मोदी सरकार को एनडीए के कुछ सहयोगी दलों का भी साथ नहीं मिला. एनडीए के घटक दल शिवसेना और अकाली दल ने भी कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों के साथ बिल का विरोध किया और इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेजने को कहा.
संसद नहीं तो सड़क पर रोकेंगे: राहुल
मंगलवार को लोकसभा में भूमि अधिग्रहण बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. राहुल ने 'सूट-बूट' की सरकार वाला कटाक्ष करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला. राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार भूमि बिल के बहाने उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है. राहुल ने कहा कि अगर हम सरकार को इस बिल के मुद्दे पर संसद में नहीं रोक पाए तो सड़कों पर जाकर उसे रोकेंगे.
राहुल के बयान पर बवाल
लोकसभा में राहुल के दिए इस बयान पर जमकर हंगामा हुआ. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने राहुल पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपनी पार्टी के सांसदों के महंगे सूट नहीं दिखते. बीरेंद्र सिंह ने कहा कि यूपीए के समय में हरियाणा में किसानों से कौड़ियों के दाम जमीन ली गईं.
राहुल के 'सूट-बूट' वाले बयान पर शिवसेना ने भी पलटवार किया. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अगर ये सरकार 'सूट-बूट' वाली है तो पिछली सरकार सूटकेस वालों की थी.