विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ईमेल पर नजर रखे जाने (मानिटरिंग) के मामलों में सितंबर महीने के दौरान 36 प्रतिशत की वृद्धि हुयी जबकि इस दौरान टेलीफोन टैंपिंग के मामलों में मामूली कमी आयी.
एक आधिकारिक नोट के अनुसार सितंबर महीने में 1,601 ईमेल की स्क्रीनिंग की गयी जो अगस्त के 1,174 ईमेल की तुलना में 36.4 प्रतिशत अधिक है. नोट में कहा गया है कि इस दौरान देश भर में 10,490 फोनों की विभिन्न सुरक्षा एजेन्सियों ने टैपिंग की जबकि अगस्त में 10,648 फोनों की टैपिंग की गयी थी.
एक उच्च स्तरीय समिति ने टेलीफोन पर नजर रखे जाने के संबंध में केंद्रीय गृह सचिव द्वारा आदेश जारी किए जाने की पुष्टि की. टेलीफोन टैपिंग के लिये खुफिया ब्यूरो ने 1,915 नए अनुरोध किए जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने 11 और राजस्व खुफिया निदेशालय की ओर से 492 अनुरोध किए गए.
भारतीय टेलीग्राफ कानून के अनुसार विभिन्न खुफिया एजेंसियां, पुलिस बल और सेना द्वारा फोन टैपिंग का आदेश दिया जाता है. बाद में एक समिति इसकी पुष्टि करती है. इस समिति में कैबिनेट सचिव अजीत सेठ, दूरसंचार सचिव आर चंद्रशेखर और विधि सचिव बी ए अग्रवाल शामिल हैं.
समिति की हाल ही में बैठक हुयी जिसमें गृह सचिव द्वारा जारी आदेश का अनुमोदन किया गया. नोट के अनुसार खुफिया ब्यूरो और सेना के सिग्नल इंटेलिजेंस के अनुरोध को मंजूरी दे दी गयी. इसमें 876 ईमेलों की निगरानी का अनुरोध किया गया है. दोनों एजेंसियां पहले ही 725 ईमेल पर नजर रख रही थीं.
सूत्रों ने बताया कि सूची में सबसे उपर आईबी है और वह करीब पांच हजार फोनों पर नजर रख रही है. इनमें से 1,915 अनुरोध सिर्फ सितंबर में किए गए. इसके बाद आंध्र प्रदेश पुलिस का नंबर है. उसने 549 अनुरोध किए.
सूत्रों के अनुसार समिति ने खुफिया एजेंसियों के छह अनुरोधों को खारिज कर दिया और इस संबंध में और स्पष्टीकरण की मांग की.