पंजाब की भगवंत मान सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले में विजिलेंस चीफ को सस्पेंड कर दिया है. ये फैसला तब लिया गया, जब ये सामने आया कि कुछ अफसरों ने घोटालेबाजों को बचाने की कोशिश की और कार्रवाई को रोकने की कोशिश की.
सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए विजिलेंस चीफ SPS परमार, AIG विजिलेंस हरप्रीत सिंह और SSP विजिलेंस स्वर्णप्रीत सिंह को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने साफ संदेश दिया है कि जो भी भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा. बताया जा रहा है कि ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले की जांच में इन अफसरों की भूमिका सवालों के घेरे में थी. सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए सीधा एक्शन लिया है.
सरकारी आदेश के मुताबिक एस.पी.एस. परमार को ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिन एंड अपील) रूल्स, 1969 के तहत "गंभीर लापरवाही और कर्तव्य में चूक" के लिए निलंबित किया गया है. विजिलेंस अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और मामले को दबाने की कोशिश की.
इस घोटाले को लेकर विजिलेंस ब्यूरो ने कुछ दिन पहले राज्यभर के आरटीए दफ्तरों और ड्राइविंग टेस्ट सेंटर्स पर छापेमारी की थी, जिसमें कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. जांच में सामने आया था कि कुछ आरटीए अफसर और एजेंट गैरकानूनी तरीकों से लाइसेंस बनवाने और टेस्ट में धांधली कराने के लिए मोटी रकम वसूलते थे.
1997 बैच के आईपीएस अफसर परमार को हाल ही में 26 मार्च को विजिलेंस चीफ नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह पंजाब पुलिस में लॉ एंड ऑर्डर विंग के एडीजीपी के तौर पर काम कर रहे थे. अब विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख का अतिरिक्त प्रभार एडीजीपी (एनआरआई) प्रवीन कुमार सिन्हा को सौंपा गया है.