महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का अपना पहले का आदेश वापस ले लिया है. अब नए नियमों के अनुसार, राज्य में मराठी और अंग्रेजी के बाद छात्र हिंदी के अलावा अन्य भारतीय भाषाएं भी तीसरी भाषा के तौर पर चुन सकेंगे.