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इंपोर्ट कंपनी ने भारत में क्यों बंद किया कारोबार? जानें कस्टम विभाग पर घूसखोरी के आरोपों का पूरा मामला

Wintrack Inc एक लॉजिस्टिक कंपनी के रूप में कार्य करती है जो ग्राहकों को AliExpress, Alibaba, Lazada, और Shopee Thailand जैसे प्लेटफ़ॉर्म से उत्पाद आयात करने में मदद करती है. कंपनी के संस्थापक प्रवीन गणेशन ने कुछ कस्टम अधिकारियों के नाम लेकर आरोप लगाए.

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कस्टम विभाग ने इन आरोपों का खंडन किया है (Photo- ITG)
कस्टम विभाग ने इन आरोपों का खंडन किया है (Photo- ITG)

तमिलनाडु स्थित लॉजिस्टिक्स कंपनी और चेन्नई कस्टम के बीच कथित रिश्वतखोरी को लेकर विवाद अब पूरी तरह तूल पकड़ चुका है. Wintrack Inc ने एक्स पर घोषणा की है कि वह 1 अक्टूबर से भारत में अपना आयात-निर्यात कारोबार बंद कर रही है.

कंपनी के संस्थापक का दावा है कि पिछले 45 दिनों से चेन्नई कस्टम्स की लगातार प्रताड़ना के कारण उनका व्यवसाय भारत में बर्बाद और तबाह हो गया. कंपनी का कहना है कि इस साल उसने दो बार रिश्वतखोरी के मामलों का खुलासा किया था, जिसके बाद अधिकारियों ने बदले की कार्रवाई शुरू की.

इन आरोपों के बाद कई नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसके चलते कस्टम अधिकारियों को भी सफाई पेश करनी पड़ी है. चेन्नई कस्टम ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से कंपनी के आरोपों का खंडन करते हुए कंपनी पर माल की गलत वर्गीकरण (misclassification) का आरोप लगाया.

कंपनी के संस्थापक प्रवीन गणेशन ने कुछ कस्टम अधिकारियों के नाम लेकर आरोप लगाए, जिससे केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने भी मामले का संज्ञान लिया और कहा कि मामले की जांच की जाएगी.

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चेन्नई कस्टम्स का जवाब

एक्स पर जारी एक विस्तृत बयान में विभाग ने कहा कि प्रवीन की कंपनी पर कई नियम उल्लंघन के मामले दर्ज हुए हैं. कंपनी को कई बार सुनवाई का मौका दिया गया, देरी पर छूट दी गई और डिमरेज कम करने के लिए बॉन्डिंग परमिशन भी दी गई. रिश्वत मांगने का आरोप पूरी तरह निराधार है.

विभाग का आरोप है कि यह कंपनी जब भी नियमों के उल्लंघन में पकड़ी जाती है, तो भ्रष्टाचार के आरोप लगाती है और विभाग की ओर से जवाब देने के बाद सोशल मीडिया पोस्ट हटा लेती है. कंपनी के दावे झूठे, सुनियोजित और अधिकारियों पर दबाव बनाने की रणनीति हैं.

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इस विवाद को तकनीकी अनुपालन का मामला बताते हुए कहा, “आरोप गलत घोषणा और गलत वर्गीकरण से जुड़े हैं. चेन्नई कस्टम पहले ही जवाब दे चुका है. सभी तथ्यों की जांच की जाएगी और कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.”

क्या काम करती है Wintrack Inc

Wintrack Inc एक लॉजिस्टिक कंपनी के रूप में कार्य करती है जो ग्राहकों को AliExpress, Alibaba, Lazada, और Shopee Thailand जैसे प्लेटफ़ॉर्म से उत्पाद आयात करने में मदद करती है. कंपनी के एक्स बायो के अनुसार, यह इन ऑर्डरों को भारत में "सबसे कम MOQ 1 पीस" के साथ डिलीवर करती है, जो छोटे पैमाने के आयातकों को सीधे अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म से माल मंगवाने की सुविधा देती है.

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कंपनी 2021 से संचालित है और सोशल मीडिया मार्केटिंग और डोर-टू-डोर डिलीवरी सेवाओं के माध्यम से भारत में ग्राहकों का नेटवर्क बना चुकी है.

जून 2025 में सामने आया था पहला मामला

Wintrack और चेन्नई कस्टम के बीच पहली सार्वजनिक समस्या जून 2025 में सामने आई. गणेशन ने दावा किया कि एक चेन्नई कस्टम अधिकारी ने एक शिपमेंट को रोके रखा और 1.5 लाख रुपये रिश्वत की मांग की. उस समय भी अधिकारियों ने कहा कि शिपमेंट में आवश्यक दस्तावेज अधूरे थे. इससे पता चलता है कि वर्तमान विवाद अचानक नहीं उभरा, बल्कि यह आयातक और कस्टम अधिकारियों के बीच लंबे समय से चल रही रस्साकस्सी के बाद सामने आया है.

45-दिन का संकट

सबसे हालिया और गंभीर विवाद अगस्त 2025 के मध्य में शुरू हुआ, जिसे Wintrack ने '45 दिनों की अनुचित उत्पीड़न' के रूप में वर्णित किया. कंपनी का दावा है कि अगस्त 2025 के मध्य से लगातार 45 दिनों तक चेन्नई कस्टम अधिकारियों ने रिश्वत मांगी. आखिरकार 1 अक्टूबर 2025 को कंपनी ने ट्वीट करके ऐलान किया कि हम भारत में अपना आयात-निर्यात कारोबार बंद कर रहे हैं. चेन्नई कस्टम के लगातार उत्पीड़न और रिश्वत की मांग ने हमें मजबूर कर दिया. इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई.

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नामों के साथ विस्तृत आरोप

विवाद तब और गंभीर हो गया जब कंपनी के मालिक गणेशन ने कुछ अधिकारियों के नाम लेकर रिश्वत की मांगों के सबूत पेश किए. चेन्नई कस्टम के प्रारंभिक खंडन के जवाब में, गणेशन ने Group 5 AC पीवी सुदाकरन का नाम लिया और दावा किया कि उन्होंने इस अधिकारी से नए कस्टम हाउस में व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी, जहां उनसे रिश्वत मांगी गई.

उन्होंने दावा किया कि $6,993 USD मूल्य के शिपमेंट के लिए 2,10,000 रुपये रिश्वत दी गई. इसके बाद उन्होंने तीन अलग-अलग विभागों के अधिकारियों के नाम पोस्ट किए.

1. SIIB (Special Intelligence and Investigation Branch): आशीष नेहरा विटाल

2. EO (Enforcement Officer): बंदी नारियप्पा

3. AO (Assessment Officer): ज्ञानेंद्र पांडे

गणेशन ने कहा, “इन अधिकारियों को मेरी पत्नी की कंपनी का शिपमेंट छुटाने के लिए रिश्वत दी गई.”

उन्होंने यह भी दावा किया कि मुंबई में Faceless Assessment Officer को 50,000 रुपये दिए गए. उन्होंने आगे कहा कि SIIB अधिकारियों और CHA के साथ बातचीत में 10% की छूट मिली और अंततः 80,000 रुपये प्रत्येक को Shed & SIIB को दिए.

पोस्ट में व्हाट्सएप चैट स्क्रीनशॉट और Anna Freight Forwarders की रसीदें शामिल थीं, जिसमें 1,50,000 रुपये का लेन-देन दिखाया गया.

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एक वीडियो संदेश में गणेशन ने घटना के बारे में समझाते हुए लिखा, "मैं जीवित रहूंगा, मैं बच जाऊंगा, कभी हार नहीं मानूंगा. इस गांधी जयंती पर चलो मिलकर भ्रष्ट हाथों को कम या खत्म करें. मैंने अपनी सेहत खो दी, तनाव में हूं, फिर भी थोड़ी जान बची है."

चेन्नई कस्टम का तुरंत जवाब

1 अक्टूबर 2025 को चेन्नई कस्टम ने विस्तृत खंडन जारी किया, जिसमें सभी रिश्वतखोरी के आरोपों को खारिज किया. उनके ट्वीट में कहा गया, "गणेशन द्वारा 12.08.2025 के बिल ऑफ एंट्री नंबर 3837029 के संबंध में गंभीर और झूठे आरोपों के जवाब में हम निम्न तथ्य रिकॉर्ड पर रखते हैं. इस आयातक का भ्रष्टाचार के आधारहीन आरोप लगाने का एक स्थापित पैटर्न है."

चेन्नई कस्टम ने कई तकनीकी दलीलें दीं-

अनुपालन उल्लंघन: शिपमेंट में यूएसबी चार्जिंग केबल्स विद बिल्ट-इन बैटरी शामिल थीं, जिन्हें बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2022 के तहत EPR प्रमाणपत्र की आवश्यकता थी.

नियमों का पालन: सुनवाई, बॉन्ड और डिमरेज कमी जैसी सभी प्रक्रिया पूरी की गई.

झूठे आरोपों का पैटर्न: गणेशन का सोशल मीडिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने का पैटर्न मौजूद है, और अक्सर ट्वीट डिलीट हो जाते हैं.

धमकाने का आरोप: 30 सितंबर 2025 को अधिकारियों ने दावा किया कि गणेशन ने मीडिया में उजागर करने और आत्महत्या की धमकी दी.

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CBIC ने ट्विटर पर कहा कि आरोप गलत घोषणा और गलत वर्गीकरण से जुड़े हैं. चेन्नई कस्टम ने पहले ही जवाब दे दिया है. सभी तथ्यों की जांच की जाएगी और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी.

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