scorecardresearch
 

अन्नामलाई के डिमोशन का रिस्क नहीं ले सकती है बीजेपी, केंद्र की राजनीति में भेजकर तमिलनाडु का मोमेंटम रखेगी कायम!

40 साल के अन्नामलाई ने तमिलनाडु में बीजेपी की मौजूदगी बढ़ाई है. उनकी "एन मन, एन मक्कल" यात्रा और DMK के खिलाफ आक्रामक रुख ने उन्हें युवाओं और सोशल मीडिया पर लोकप्रिय बनाया. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी भले ही सीटें नहीं जीत पाई लेकिन पार्टी की वोट हिस्सेदारी 3.5% से बढ़कर 11.2% हुई, जिसका श्रेय उन्हें दिया जाता है. पार्टी किसी भी हाल में इस मोमेंटम को खोना नहीं चाहेगी.

Advertisement
X
अन्नामलाई को केंद्र की राजनीति में भेज सकती है बीजेपी.
अन्नामलाई को केंद्र की राजनीति में भेज सकती है बीजेपी.

तमिलनाडु में AIADMK संग गठबंधन से पहले बीजेपी ने बड़ी कुर्बानी दी है. पार्टी ने तमिलनाडु के कद्दावर नेता और हिंदी पट्टी में लोकप्रिय अन्नामलाई को अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला कर लिया है. पार्टी आलाकमान के फैसले से सहमति जताते हुए अन्नामलाई ने कोयम्बटूर एयरपोर्ट पर कहा था कि इस मामले में अमित शाह जो कहेंगे वो आखिरी होगा. अन्नामलाई ने कहा था, "मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं और पार्टी सबसे पहले आती है. जैसा कि मैंने दिल्ली में कहा था, मेरी वजह से किसी को कोई परेशानी नहीं होगी."

Advertisement

इस बयान के साथ अन्नामलाई ने स्पष्ट कह दिया है कि उनकी वजह से बीजेपी को AIADMK के साथ हाथ मिलाने में हिचक नहीं होनी चाहिए. 

गौरतलब है कि पूर्व सीएम जयललिता की पार्टी AIADMK तमिलनाडु की मजबूत पार्टी रही है. AIADMK 2011 से 2021 तक सत्ता में रही थी. जयललिता के निधन के बाद 2021 में एमके स्टालिन की डीएमके सत्ता में आई. राज्य में अब अगला चुनाव 2026 में है. 

बतौर तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई ने AIADMK वैचारिक प्रतीक बन चुके सीएन अन्नादुरई और जयललिता की तीखी आलोचना की थी. इससे नाराज AIADMK ने सितंबर 2023 में बीजेपी से नाता तोड़ लिया और NDA से बाहर हो गई. 

2024 के आम चुनाव में इस अलगाव का नुकसान दोनों पार्टियों को उठाना पड़ा. 

AIADMK 2024 लोकसभा चुनाव में 39 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत पाई. कोयम्बटूर से चुनाव लड़ रहे अन्नामलाई को भी हार का सामना करना पड़ा. 

Advertisement

3.5 फीसदी से डबल डिजिट में हुआ वोट प्रतिशत

हालांकि 40 वर्षीय अन्नामलाई ने तमिलनाडु में बीजेपी की मौजूदगी बढ़ाई है. उनकी "एन मन, एन मक्कल" यात्रा और DMK के खिलाफ आक्रामक रुख ने उन्हें युवाओं और सोशल मीडिया पर लोकप्रिय बनाया. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी भले ही सीटें नहीं जीत पाई लेकिन पार्टी की वोट हिस्सेदारी 3.5% से बढ़कर 11.2% हुई, जिसका श्रेय उन्हें दिया जाता है. पार्टी किसी भी हाल में इस मोमेंटम को खोना नहीं चाहेगी.

लेकिन 2024 की हार 40 साल के आईपीएस ऑफिसर रहे अन्नामलाई के राजनीतिक जीवन का अहम मोड़ साबित हुआ. 2026 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बड़ा कदम उठाते हुए  AIADMK से गठबंधन करने का फैसला किया. राज्य के राजनीतिक माहौल को देखते हुए AIADMK के लिए भी ये मुफीद मौका लगा. 

लेकिन AIADMK ने इस गठबंधन के लिए पहली शर्त ये रखी कि अन्नामलाई को अध्यक्ष पद से हटाया जाए. AIADMK ने अमित शाह से मुलाकात के दौरान अपना ये स्पष्ट रुख रखा.

गठबंधन की मजबूरियों को देखते हुए बीजेपी अन्नामलाई को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए तैयार हो गई. बीजेपी ने इसका संदेश अन्नामलाई को भी दे दिया है.

लेकिन तमिलनाडु में बीजेपी के कैडर में उत्साह का संचार करने वाले अन्नामलाई को बीजेपी कभी डिमोशन नहीं करेगी. चुनाव से पहले ऐसा करना बीजेपी के कैडर में निगेटिव मैसेज देता. 

Advertisement

तमिलनाडु में BJP के लिए बेस्ट हैं अन्नामलाई

सी-वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा. "भाजपा अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन करने के लिए अन्नामलाई का डिमोशन नहीं करेगी. देशमुख ने कहा, "तमिलनाडु में भाजपा के लिए वह सबसे बेहतर उम्मीदवार हैं."

देशमुख ने कहा, "दक्षिणी राज्य में उनके अलावा कोई ऐसा नेता नहीं है जो लोकप्रियता के मामले में शीर्ष पर हो.अगस्त 2000 में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी रंगराजन कुमारमंगलम की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के कारण पार्टी ने 25 साल की अपनी गति खो दी. सुपरस्टार रजनीकांत पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से एक नॉन-स्टार्टर थे. उन्हें लंबे समय के बाद कोई ऐसा व्यक्ति (अन्नामलाई) मिला है जो आगे बढ़ने लायक है."

अन्नामलाई को केंद्र की राजनीति में लाने की ओर इशारा करते हुए यशवंत देशमुख ने कहा, "बीजेपी उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में पदोन्नति दे सकती है और उनकी जगह किसी ऐसे व्यक्ति को ला सकती है जो AIADMK और DMK विरोधी छोटी पार्टियों के साथ अच्छी तरह से चल सके."

"डिमोशन" के बजाय "प्रमोशन" के रूप में पेश करने की रणनीति

कुछ रिपोर्ट्स और X पर पोस्ट में भी दावा किया गया है कि अन्नामलाई को राज्यसभा में लाया जा सकता है या केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. यह कदम उनकी छवि को "डिमोशन" के बजाय "प्रमोशन" के रूप में पेश करने की रणनीति हो सकती है, ताकि तमिलनाडु में बीजेपी के सपोर्ट बेस को नुकसान न हो. 

Advertisement

पत्रिका ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि लोकसभा चुनाव में अन्नामलाई के नेतृत्व में बीजेपी AIADMK से अलग चुनाव लड़कर भी 
अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन तोड़ने के बावजूद डबल डिजिट में वोट शेयर(11.2 %) हासिल करने में सफल रही. ऐसे में पार्टी उन्हें खाली बैठाकर नहीं रखना चाहेगी. बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मौका देकर भविष्य के लिए तैयार करना चाहती है. 

पत्रिका ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि तमिलनाडु कोटे से केंद्र में मंत्री बने एल मुरुगन की जगह अन्नामलाई को आगामी फेरबदल में मौका मिल सकता है. तमिलनाडु के दलित चेहरे रहे एल मुरुगन मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं. सूत्रों का कहना है कि 2026 में मुरुगन को राज्य की राजनीति में भेजकर विधानसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है, जबकि अन्नामलाई को उनकी जगह राज्यसभा भेजा जा सकता है. 

बताया जा रहा है कि गृहमंत्री अमित शाह 10 अप्रैल को तमिलनाडु दौरे पर जा सकते हैं. इस दौरान वे प्रदेश नेतृत्व को लेकर कुछ घोषणाएं कर सकते हैं. 

Live TV

Advertisement
Advertisement