
अहमदाबाद में एअर इंडिया के विमान हादसे से करीब तीन महीने पहले एक संसदीय समिति ने भारत में विमानन सुरक्षा और नियामक निगरानी के लिए जिम्मेदार सरकारी संस्थानों में कर्मचारियों की भारी कमी की चेतावनी दी थी. मार्च 2025 की एक रिपोर्ट में परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) में 53% से अधिक पद खाली हैं जो देश में उड़ान भरने या उतरने वाले हर विमान की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है.
भले ही कर्मचारियों की कमी सीधे रिलेट नहीं करती लेकिन यह तब गंभीर रूप से परिचालन को प्रभावित करती है जब महत्वपूर्ण पद खाली रहते हैं. समिति ने DGCA, ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) और एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) जैसे प्रमुख विमानन नियामक और परिचालन निकायों में पुराने कर्मचारियों की भारी कमी पर 'गंभीर चिंता' जताई थी.
रिपोर्ट में कहा गया कि समिति इस बात से बहुत चिंतित है कि इन संस्थानों में कर्मचारी कमी की पुरानी दिक्कत से सुरक्षा, संरक्षा और सेवा वितरण मानकों पर असर पड़ सकता है. खासकर जब हवाई यातायात की मात्रा लगातार बढ़ रही है. सिविल एविएशन मंत्रालय के लिए डिमांड्स फॉर ग्रांट्स (2025-26) की 375वीं रिपोर्ट में एम्प्लाई शॉर्टेज का खुलासा हुआ. इसमें तीन बिंदु ये थे-
डीजीसीए में 53% से ज्यादा पद खाली हैं जो विमानन सुरक्षा की देखरेख करता है.
बीसीएएस में 35% पद खाली हैं जो हवाई अड्डों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है
एएआई में 17% पद खाली हैं जो हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे का प्रबंधन करता है.
कर्मचारी स्थिति का समग्र विवरण
कर्मचारी संकट की गंभीरता को समझने के लिए इंडिया टुडे की OSINT टीम ने पिछले पांच वर्षों के संसद रिकॉर्ड से साल-दर-साल डेटा की जांच की. अप्रैल 2025 में सिविल एविएशन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने प्रमुख विमानन निकायों में स्वीकृत पदों, भरे गए पदों और रिक्तियों का साल-दर-साल विवरण दिया.
31 मार्च 2025 तक एएआई ने 25,730 स्वीकृत पदों में से 9,502 रिक्तियों की सूचना दी जो लगभग एक-तिहाई है. एएआई हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे के विकास और रखरखाव के साथ-साथ एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट (एटीएम) सेवाओं के लिए जिम्मेदार है. डेटा से पता चला कि 2023 में 8,804, 2022 में 9,057, और 2021 में 11,309 रिक्तियां थीं.
संसदीय समिति की रिपोर्ट में डीजीसीए के डेटा को सबसे चिंताजनक रुझान के रूप में उजागर किया गया. यहां 53% से अधिक पदों के खाली होने के कारण संसदीय समिति ने 'विमानन सुरक्षा मानकों को प्रभावी ढंग से लागू करने की इसकी क्षमता के बारे में मूलभूत चिंताए' जताईं.
एक कार्यरत कमर्शियल पायलट ने इंडिया टुडे को बताया, 'डीजीसीए में सुरक्षा की देखरेख करने वाले दो निकाय हैं, पहला फ्लाइंग स्टाफ और ग्राउंड इंजीनियर जिन्हें हर छह महीने में अनिवार्य प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है. रिपोर्ट में डीजीसीए द्वारा धन के कम उपयोग का भी उल्लेख किया गया है जिसने जनवरी 2025 तक संशोधित आवंटन 278 करोड़ रुपये में से 205.6 करोड़ रुपये ही खर्च किए.
यह कोई एकमुश्त समस्या नहीं है. पिछले पांच साल में भले ही हवाई यात्री यातायात तीन गुना हो गया और बेड़े का आकार लगभग दोगुना हो गया लेकिन विमानन सुरक्षा में कर्मचारियों की संख्या में मुश्किल से 100 की वृद्धि हुई. साल-दर-साल डेटा से पता चलता है कि 2025 में डीजीसीए में रिक्तियों की संख्या में थोड़ी वृद्धि हुई.
विमानन सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) में भी यही पैटर्न दिखता है. इसके स्वीकृत पदों में से लगभग 35% खाली हैं जिससे भारतीय हवाई अड्डों पर सुरक्षा निगरानी की प्रभावशीलता और मजबूती को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. साल-दर-साल डेटा से पता चलता है कि बीसीएएस में खाली पद 2024 में 187 से बढ़कर 2025 में 224 हो गए. सिविल एविएशन मंत्रालय के अनुसार भारतीय विमानन क्षेत्र को 2024 में 999 फर्जी बम धमकियां मिलीं जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक हैं.