इजरायल और ईरान की जंग में अमेरिका की एंट्री ने मिडिल ईस्ट में हलचल तेज कर दी है. अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमले किए. इस बीच पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले की कड़ी निंदा की है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर कहा कि अमेरिका ने एयरस्ट्राइक कर अंतर्राष्ट्रीय कानून के सभी नियमों का उल्लंघन किया है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत ईरान के पास अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है.
बयान में कहा गया कि हम मिडिल ईस्ट में मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को लेकर गहरी चिंता जताई है. इससे उपजी स्थिति बहुत चिंताजनक है क्योंकि इससे मिडिल ईस्ट और इससे परे भयावह प्रभाव होंगे. ये हमले अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और ईरान के पास अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है.
बता दें कि पाकिस्तान की सीमा ईरान से लगती है. ईरान के साथ पाकिस्तान 900 किलोमीटर लंबा बॉर्डर शेयर करता है. पाकिस्तान ने इजरायल और ईरान से जल्द से जल्द इस जंग को खत्म करने का भी आह्वान जताया था. पाकिस्तान ने कहा था कि सैन्य संघर्ष नहीं बल्कि डिप्लोमेसी ही शांति का एकमात्र रास्ता है.
पाकिस्तान ने ट्रंप के लिए की थी नोबेल पुरस्कार की पैरवी
पाकिस्तान ने एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार की पैरवी की थी. पाकिस्तान सरकार ने ट्रंप का नाम 2026 के नोबल शांति पुरस्कार के लिए औपचारिक रूप से प्रस्तावित किया था.
पाकिस्तान सरकार ने कहा था कि 2025 में ट्रंप ने जिस तरह से भारत के साथ जंग को कूटनीतिक हस्तक्षेप और महत्वपूर्ण नेतृत्व के जरिए सुलझाया. उसकी वजह से ट्रंप का नाम नोबल शांति पुरस्कार के लिए प्रस्तावित करने का फैसला किया गया है.
पड़ोसी मुल्क ने कहा था कि ट्रंप की कोशिशों की वजह से ही भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ था, जिससे युद्ध का बड़ा खतरा टल सका. इस वजह से ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के असली हकदार हैं.
बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में इस्लामाबाद ने ऑपरेशन बुनयान उन मरसूस शुरू किया था. इससे यकीनन दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा लेकिन ट्रंप के हस्तक्षेप की वजह से क्षेत्र में तनाव कम होने में मदद मिली.