'ऑपरेशन सिंदूर' की प्रेस ब्रीफिंग के बाद भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी बेहद चर्चा में हैं. यह पहली बार नहीं है जब कर्नल कुरैशी की प्रशंसा की गई हो. सोफिया का नाम सबसे पहले 2020 में उस दौरान सुर्खियों में आया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने वाला अहम फैसला सुनाया था. इस सैन्य अधिकारी की उपलब्धियों को सर्वोच्च अदालत ने भी स्वीकार किया था.
17 फरवरी 2020 को एक फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा, "लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी (आर्मी सिग्नल कोर) 'एक्सरसाइज फोर्स 18' नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं, जो कि भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है."
अदालत ने यह भी उल्लेख किया, "कर्नल सोफिया कुरैशी ने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में काम किया था, जहां वे अन्य लोगों के साथ युद्धविराम की निगरानी और मानवीय गतिविधियों में सहायता करने की प्रभारी थीं. उनका काम संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना था."
बता दें कि भारतीय सेना की दो महिला अधिकारियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की प्रेस ब्रीफिंग कर देश का गौरव बढ़ाया. यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया.
1-3 तक नौगांव में पढ़ाई
'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में मीडिया को जानकारी देने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी ने मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव स्थित एक सरकारी स्कूल में कक्षा 1 से 3 तक पढ़ाई की और वह एक होनहार छात्रा थीं.
उनके मामा के बेटे आबिद कुरैशी ने बताया कि सोफिया कुरैशी के दादा और पिता भारतीय सेना में सेवारत थे. उन्होंने ही सोफिया को साल 1981 में नौगांव के सरकारी स्कूल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने कक्षा 3 तक पढ़ाई की.
कर्नल बनने के बाद 2 बार नौगांव आईं
आबिद ने कहा कि उनकी ममेरी बहन बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और पढ़ाई में तेज थी. कर्नल बनने के बाद जब वह झांसी के पास बबीना में तैनात थीं, तो वह दो बार नौगांव गई थीं.
आबिद ने यह भी कहा, "सोफिया का नौगांव से आज भी गहरा नाता है. इसलिए 11 जनवरी को नौगांव के स्थापना दिवस पर कर्नल सोफिया हमेशा हार्दिक शुभकामनाएं भेजती हैं." उनके परिवार के पास खजुराहो के पास हकीमपुरा और चित्राई गांवों में खेती की जमीन है.
आबिद ने याद करते हुए कहा, "नौगांव के रंगरेज इलाके में जिस घर में हम रहते हैं, उसे सोफिया के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी ने अपनी बहन और हमारी मां बल्लो आपा को दिया था."
पुणे में जन्मीं सोफिया और सायना
कर्नल कुरैशी के दादा मोहम्मद हुसैन कुरैशी भी सेना में थे. आबिद ने कहा, "जब नौगांव का सैन्य कॉलेज पुणे में शिफ्ट हुआ, तो परिवार भी वहीं चला गया. पुणे में ही कर्नल कुरैशी के पिता सेना में शामिल हुए और सूबेदार मेजर के पद पर सेवा दी. सोफिया और उनकी बहन सायना दोनों का जन्म पुणे में हुआ." बाद में सोफिया और सायना अपने दादा-दादी और मां के साथ नौगांव चली आईं और 1981 में सरकारी स्कूल में दाखिला लिया.
वडोदरा में शिफ्ट हुआ परिवार
सोफिया के पिता के रांची में तबादले के बाद परिवार वहां चला गया. इसके बाद एक और तबादले के बाद वे वडोदरा चले गए, जहां उनके पिता अंततः रिटायर हुए और परिवार के साथ बस गए.