राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में वर्ष 2025 के लिए प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार प्रदान किए. इस समारोह में 71 विशिष्ट व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. वहीं, इसकी अगली कड़ी में कुल 68 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. इनमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जगदीश सिंह खेहर को सार्वजनिक मामलों में योगदान के लिए पद्म विभूषण और कुमुदिनी राजनिकांत लखिया को कला के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. शारदा सिन्हा समेत कुल 13 हस्तियों की ये अवॉर्ड मरणोपरांत दिया गया.
पद्म भूषण प्राप्त करने वालों में जतिन गोस्वामी, कैलाश नाथ दीक्षित और साध्वी ऋतंभरा शामिल हैं. वहीं, प्रख्यात अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया. पद्मश्री से सम्मानित होने वालों में मंदा कृष्ण मदीगा, डॉ. नीरजा भटला, संत राम देसवाल और सैयद ऐनुल हसन शामिल हैं. यह समारोह विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों के सम्मान और उनके कार्यों की सराहना का प्रतीक है. इस अवसर पर उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री आदि गणमान्य मौजूद रहे.
पूर्व CJI को मिला पद्म विभूषण
भारत के 44वें मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जगदीश सिंह खेहर को पद्म विभूषण से नवाजा गया. न्यायमूर्ति खेहर ने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई, जिनमें तीन तलाक, एनजेएसी और नेचुरल रिसोर्स आवंटन जैसे संवेदनशील मामलों पर दलीलों और फैसलों ने न्याय व्यवस्था को नई दिशा दी.
बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को मरणोपरांत मिला सम्मान
बिहार की प्रसिद्ध लोकगायिका डॉ. शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. छठ महापर्व के गीतों में उनकी आवाज आज भी हर घर की धड़कन है. मैथिली, भोजपुरी और मगही भाषा में उनके गीत चार दशकों से उत्तर भारत की संस्कृति को स्वर देते रहे हैं.
कथक नृत्यांगना कुमुदिनी लाखिया को पद्म विभूषण (मरणोपरांत)
प्रख्यात नृत्यांगना कुमुदिनी लाखिया को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण दिया गया.उन्होंने अहमदाबाद में ‘कदंब डांस सेंटर’ की स्थापना की और कथक नृत्य को नए सौंदर्यबोध और मंचीय स्वरूप में देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत किया.
भरत नाट्यम नृत्यांगना शोभना चंद्रकुमार को पद्म विभूषण
नृत्य, रंगमंच और फिल्म अभिनय में समान रूप से पारंगत डॉ. शोभना चंद्रकुमार को पद्म विभूषण से नवाजा गया. उन्होंने न सिर्फ शास्त्रीय नृत्य को आधुनिक रंगमंचीय संदर्भों में प्रस्तुत किया, बल्कि सैकड़ों छात्रों को भी प्रशिक्षित कर इस कला को नई पीढ़ी से जोड़ा.
अर्थशास्त्री डॉ. बिबेक देबरॉय को पद्म भूषण
अर्थशास्त्री और संस्कृत विद्वान डॉ. बिबेक देबरॉय को भी मरणोपरांत पद्म भूषण प्रदान किया गया. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने नीतिगत सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ के अंग्रेजी अनुवाद के लिए भी प्रसिद्ध रहे हैं.
पुरातत्वविद् कैलाशनाथ दीक्षित को पद्म भूषण
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में चार दशकों तक सेवा देने वाले कैलाशनाथ दीक्षित को पद्म भूषण से नवाजा गया. उन्होंने रामायण स्थलों की खुदाई और अयोध्या जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर अनुसंधान का नेतृत्व किया.
इनको भी मिला सम्मान
पद्म विभूषण
(मरणोपरांत) कुमुदिनी लाखिया – नृत्य
(मरणोपरांत) डॉ. शारदा सिन्हा – लोक संगीत
डॉ. शोभना चंद्रकुमार – भारत नाट्यम
न्यायमूर्ति (से.नि.) जगदीश सिंह खेहर – न्याय क्षेत्र
पद्म भूषण
(मरणोपरांत) डॉ. बिबेक देबरॉय – अर्थशास्त्र
कैलाशनाथ दीक्षित – पुरातत्व
डॉ. मनोहर जोशी (मरणोपरांत) – राजनीति
रामबहादुर राय – पत्रकारिता
नल्ली कुप्पुस्वामी चेत्ती – उद्योग व समाज सेवा
जतिन गोस्वामी – सत्तरिया नृत्य
अनंत नाग – सिनेमा
साध्वी ऋतम्भरा – सामाजिक सेवा
पद्म श्री
वेलु आसन – परई वादन कलाकार
डॉ. भीम सिंह भावेश – पत्रकारिता व सामाजिक कार्य
राधा भट्ट – समाजसेवा व पर्यावरण
हरचंदन सिंह भट्टी – चित्रकला व म्यूजियम डिजाइन
डॉ. चेतन चिटनिस – मलेरिया वैक्सीन वैज्ञानिक
डॉ. नीरजा भाटला – महिला स्वास्थ्य विशेषज्ञ
अजय वी. भट्ट – यूएसबी तकनीक के जनक
डॉ. विलास डांगरे – होम्योपैथ चिकित्सक
नारायण उर्फ भुलाई भाई (मरणोपरांत) – राजनीति व सामाजिक न्याय
सज्जन भजंका – उद्योग व शिक्षा