जैसे ही 2025 की शुरुआत हुई, पूरी दुनिया ने कई सालों की अनिश्चितता के बाद राहत और स्थिरता की उम्मीद की थी. लेकिन साल के बीच तक आते-आते यह उम्मीद सदमे, डर और दुख में बदल गई. दुनिया भर में भूकंप, जंगलों में आग, आतंकी हमले, बाढ़, भगदड़ और यहां तक कि विमान दुर्घटनाओं जैसी लगातार आपदाओं ने करोड़ों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी.
ग्रहों की अशुभ स्थिति बनेगी अशांति का कारण
ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के अनुसार, वर्ष 2025, विशेष रूप से जून और जुलाई के महीने, दुनिया भर में और अधिक युद्ध, हादसे और प्राकृतिक आपदाएं लेकर आ सकते हैं. इसका कारण विक्रम संवत 2082 के दौरान ग्रहों की अशुभ चाल बताई जा रही है.
हाल ही की घटनाओं में फैले अराजक माहौल को समझने के लिए आजतक ने ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा से बात की. विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक नेताओं के गलत फैसलों के साथ-साथ ग्रहों की अशुभ स्थिति भी जनअसंतोष और अशांति का कारण बन सकती है. आने वाले महीने संवेदनशील बताए जा रहे हैं और विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है.
ट्रंप के अटपटे फैसलों से असमंजस में लोग
पंडित अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार, 30 मार्च 2025 से शुरू हुए विक्रम संवत् का राजा और मंत्री दोनों सूर्य है जबकि फलेश शनिदेव हैं. सूर्य शासन प्रमुख का प्रतिनिधित्व करता है जबकि शनि जनता का कारक है. इस विक्रम संवत् में दुनियाभर के विभिन्न देशों के प्रमुखों के अटपटे फैसलों से जनता व समाज पर दबाव बना रहेगा. इसे दूसरी बार राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप के विभिन्न फैसलों से समझा जा सकता है. लोग आज भी असमंजस में हैं कि उनका अगला कदम क्या होगा?
आतंकी हमलों से लेकर हेलिकॉप्टर क्रैश तक
इसी प्रकार अचानक छिड़े ईरान-इजरायल युद्ध में प्रमुखों के राजनैतिक फैसलों से जनता को संघर्ष करना पड़ रहा है. भारत में भी पाकिस्तान के छिपे हुए आतंकियों की घृणित घटना ने मासूम पर्यटकों को गोलियों से छलनी कर दिया. जवाब में भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों पर कठोर कार्रवाई की. हाल ही में एक देश में सौ से ज्यादा लोगों को गोली मार दी गई. उत्तराखंड में हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ.
इन घटनाओं के ज्योतिषीय कारण समझें तो यह विक्रम संवत् 2082 के अंक नकारात्मक अंक 12 और क्रूर ग्रह सूर्य के राजा-मंत्री की भूमिका से प्रभावित होकर हो रहा है. इसी कारण 12 जून 2025 को बड़ा विमान हादसा हुआ. इसमें बड़ी प्रशासनिक चूक की आशंका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है.
बने रहेंगे भूकंप, आगजनी व युद्ध के हालात
ऐसी घटनाओं की भविष्य की आशंकाओं को देखें तो जून-जुलाई का महीना अधिक संवेदनशील नजर आता है. कारण, इस समय में क्रूर ग्रह मंगल और केतु की युति होना है. यह युति 28 जुलाई 2025 तक रहेगी. इस दौरान अज्ञात कारणों से भूकंप, आगजनी व युद्ध के हालात बने रह सकते हैं. केतु छिपे हुए प्रभावों का कारक है. वहीं मंगल ग्रह अग्नि भूमि और युद्धास्त्रों को प्रभावित करता है.
दुनियाभर में क्यों बढ़ी है हलचल
मंगल और केतु का साथ सूर्य की राशि में 7 जून को बना और इसके बाद विश्व में हलचल बढ़ गई. यह ग्रह गोचर 28 जुलाई 2025 तक बना रहेगा. इसके बाद मकर संक्रांति 2026 से मीन संक्रांति 2026 तक ऐसा ही समय पुनः देखने को मिल सकता है जब वर्ष के फलेश यानि फलदाता शनिदेव की राशियों का प्रभाव रहेगा. इसके अलावा अक्टूबर-नवंबर 2025 में सूर्य नीच राशि में गोचर करेगा. यह समय भी वैश्विक घटनाक्रमों को बढ़ाएगा. इससे जनता को असहजता का सामना करना पड़ सकता है.