
भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार को हुए सीजफायर की घोषणा करने वाले विदेश सचिव विक्रम मिसरी को ऑनलाइन ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा, जिसमें उनकी बेटियों समेत उनके परिवार को निशाना बनाया गया. इस घटना के बाद कई वरिष्ठ राजनयिकों और राजनेताओं ने मिसरी का समर्थन किया और ट्रोलर्स को जमकर लताड़ लगाई.
विदेश सचिव की आलोचना करने वालों की AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी आलोचना की और कहा, 'मिसरी जैसे ईमानदार, मेहनती अधिकारी पर केवल केंद्र द्वारा लिए गए फैसले की घोषणा करने के लिए हमला करना गलत है.'
उन्होंने एक्स पर लिखा, 'विक्रम मिस्री एक सभ्य, ईमानदार और मेहनती राजनयिक हैं जो हमारे देश के लिए बेजोड़ मेहनत करते हैं. हमारे सिविल सेवक कार्यपालिका के अधीन काम करते हैं, ये बात याद रखनी चाहिए. उन्हें देश चलाने वाले राजनीतिक नेतृत्व के फैसलों के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए.'
अखिलेश ने बीजेपी पर लगाए आरोप
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी मिसरी का समर्थन किया और केंद्र पर उनकी गरिमा की रक्षा न करने का आरोप लगाया.
उन्होंने एक्स पर लिखा, 'फैसला लेना सरकार की जिम्मेदारी है, किसी अधिकारी की नहीं. कुछ असामाजिक और आपराधिक तत्व खुले तौर पर अधिकारी और उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक भाषा की सभी सीमाओं को लांघ रहे हैं, लेकिन न तो बीजेपी सरकार और न ही उसका कोई मंत्री उनके मान-सम्मान की रक्षा के लिए आगे आ रहा है और न ही ऐसे अवांछित पोस्ट करने वालों के खिलाफ संभावित कार्रवाई पर चर्चा कर रहा है.'
ओवैसी और अखिलेश के अलावा पूर्व विदेश सचिव निरुपमा मेनन राव ने ऑनलाइन हमलों को पूरी तरह शर्मनाक करार देते हुए कहा कि यह शालीनता की हर सीमा को पार करता है.
उन्होंने एक्स पर लिखा, 'भारत-पाकिस्तान सीजफायर की घोषणा को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनके परिवार पर हमला करना बेहद शर्मनाक है. मिसरी एक समर्पित राजनयिक हैं और उन्होंने पेशेवर तरीके और दृढ़ संकल्प के साथ भारत की सेवा की है तथा उनकी आलोचना करना का कोई अधिकार नहीं है.'
उन्होंने आगे कहा, 'उनकी बेटी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी और उनकी निजी जानकारी को सार्वजनिक करना, उनके परिवार को गाली देना शालीनता की हर सीमा को पार करता है. इस जहरीली नफरत को रोका जाना चाहिए.'
दरअसल, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार शाम को एक प्रेस वार्ता में घोषणा की कि भारत-पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) ने तत्काल प्रभाव से जमीन, हवा और समुद्र पर सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं. और इसके लिए अगले दौर की बातचीत शनिवार दोपहर को होगी.
उनके द्वारा इसी घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया है और उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी करना शुरू कर दिया.
विक्रम मिसरी की घोषणा से कुछ वक्त पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में सभी को चौंकाते हुए दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत में अमेरिका ने मध्यस्थता की थी.