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L-70 से लेकर ZU-23mm ने दिखाया कमाल... सीमा पार से आए 600 से ज्यादा पाकिस्तानी ड्रोन हवा में कर दिए चकनाचूर

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को एक बार फिर मात खानी पड़ी. पाकिस्तान ने ड्रोन हमले की कोशिश की, लेकिन भारत ने सारे प्रयास नाकाम कर दिए. भारतीय वायु रक्षा प्रणाली और आधुनिक हथियारों ने दुश्मन के हर प्रयास को ध्वस्त कर दिया.

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एल-70 और ZU-23mm ने सीमा पार से आए पाकिस्तानी ड्रोन ध्वस्त कर दिए.
एल-70 और ZU-23mm ने सीमा पार से आए पाकिस्तानी ड्रोन ध्वस्त कर दिए.

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है. आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान बौखला गया और उसने भारत के कई सैन्य अड्डों और नागरिक क्षेत्रों पर ड्रोन से हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तान की इस साजिश को नाकाम कर दिया.

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सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेना की वायु रक्षा तोपों और मिसाइल प्रणालियों ने 600 से ज्यादा पाकिस्तानी ड्रोन मार गिराए. भारतीय सशस्त्र बलों ने नियंत्रण रेखा (LoC) से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) तक हवाई क्षेत्र को कवर करने के लिए 1000 से ज्यादा वायु रक्षा तोपें और 750 से ज्यादा कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणालियां सक्रिय कीं.

आकाश तीर प्रणाली: पाकिस्तान के लिए काल

भारतीय वायु सेना की आकाश तीर प्रणाली ने इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह प्रणाली हर हवाई लक्ष्य की निगरानी, ट्रैकिंग और जानकारी वायु रक्षा बैटरियों तक पहुंचाती है. कुछ महीने पहले आकाश तीर को वायु सेना की इंटीग्रेटेड एरियल कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) के साथ जोड़ा गया था.

जैसे ही कोई पाकिस्तानी मिसाइल या ड्रोन भारतीय वायु क्षेत्र में घुसता था, IACCS से सीधे आकाश तीर के कमांड पोस्ट तक सूचना पहुंच जाती थी. रियल-टाइम में सॉफ्टवेयर के जरिए खतरे से निपटने के लिए उपयुक्त वायु रक्षा प्रणाली को निर्देश मिल रहा था. हर हवाई खतरे को ऑर्डर के हिसाब से ही नाकाम किया जा रहा था.

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वायु रक्षा तोपों की धुंआधार फायरिंग

भारतीय सेना ने पाकिस्तानी ड्रोन का सामना करने के लिए तीन मुख्य वायु रक्षा तोपों का उपयोग किया.

एल-70 तोप: स्वीडन से 70 के दशक में आयातित. प्रति मिनट 300 से ज्यादा राउंड फायर करने की क्षमता. इसकी रेंज 3 से 4 किलोमीटर है और इसे रडार पर भी ऑपरेट किया जा सकता है. हाल ही में इन गन को आज की तकनीक के हिसाब से दिन और रात दोनों वक्त ऑपरेट करने के लिए हाई रेजोल्यूशन सेंसर, कैमरे और रडार सिस्टम से अपग्रेड किया गया है.

ZU-23mm रूसी तोप: रूस से 80 के दशक में लिया गया था. ये डबल बैरल वाली तोप है. प्रति बैरल 1600 से 2000 राउंड प्रति मिनट की क्षमता है. यानी एक गन से 4000 राउंड फायर किए जा सकते हैं. मैन्युअल रूप से संचालित होती है. छोटे और तेज लक्ष्यों पर अचूक निशाना साधती है. इस गन को मैनुअली इस्तेमाल किया जाता है. यह 2 से 2.5 किलोमीटर में आने वाले किसी भी संभावित टारगेट को छलनी कर देती है. 

शिल्का तोप: ये ZU-23mm का दूसरा रूप है. इस सिस्टम में ZU-23mm ट्रैक को वैगन पर लगाया जाता है. हर गाड़ी में 2 ZU-23mm गन होती हैं. यानी सिस्टम एक मिनट में 8000 राउंड फायर कर सकता है. चूंकि यह ट्रैक्ड गन सिस्टम है, इसलिए इसे किसी भी तरह के इलाके में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है.

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सुरक्षा के लिए एक मजबूत कदम

भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारी और तत्परता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. आधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों की मदद से पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को नाकाम किया गया. विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय सेना की इस प्रतिक्रिया ने ना सिर्फ आतंकवादी हमलों पर लगाम लगाई है, बल्कि पाकिस्तान के ड्रोन हमलों की योजना को पूरी तरह से विफल कर दिया है.

अधिकारियों ने क्या कहा...

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमारी वायु रक्षा प्रणाली ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. किसी भी प्रकार के हवाई खतरे को नाकाम करने में हमारी तैयारी पूरी है. भारत की ओर से यह स्पष्ट संदेश है कि सीमा पार से होने वाले किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.

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