पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर निशाना बनाते हुए भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. सोमवार को इंडियन आर्मी के तीनों सेना प्रमुखों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' और भारत पाकिस्तान के बीच बनी मौजूदा स्थिति पर जानकारी देने के लिए प्रेस ब्रीफिंग की. इस दौरान उन्होंने भारतीय सेना की कार्रवाई का पूरा ब्यौरा दिया और कई खास बातें शेयर कीं. इसी दौरान भारतीय सेना ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया कि 'भय बिन होई न प्रीति. यानी बिना डर के प्रेम नहीं हो सकता है.
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया. पड़ोसी मुल्क ने भी जवाबी हवाई हमले किए, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया. दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच शनिवार शाम सीजफायर पर फैसला हुआ. जिसके बाद अब हालात सामान्य हैं. प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सेना ने यह भी कहा कि वह हर हमले के लिए तैयार है.
एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा कि हमारे सभी मिलिट्री बेस, इक्विपमेंट्स और सिस्टम चालू हैं और किसी भी तरह की जरूरत पड़ने पर मिशन के लिए तैयार हैं. उन्होंने अपनी बात की शुरुआत
रामचरित मानस के एक दोहे से की. उन्होंने कहा,
'बिनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत
बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीत. '
संत तुलसी दास ने ये दोहा उस प्रसंग पर लिखा, जहां श्रीराम समुद्र से लंका जाने के लिए राह मांग रहे हैं. हनुमान जी लंका जाकर सीता का पता लगा आते हैं. अब श्रीराम के साथ पूरी वानर सेना समुद्र तट पर पहुंच जाती है. सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी सेना सागर पार करके कैसे लंका तक जाएगी. तब श्रीराम सागर तट पर साधना में बैठ जाते हैं और सागर से विनती करने लगते हैं कि वह उनकी सेना को रास्ता दे और लंका तक पहुंचने में मदद करे. श्रीराम तीन दिन तक सागर तट पर यूं ही साधना में बैठे हुए विनय करते रहते हैं, लेकिन समुद्र में कोई भी हलचल नहीं होती है.
तब तीन दिन बाद श्रीराम क्रोधित होकर साधना से उठते हैं और कहते हैं लक्ष्मण! ज्ञानी जनों ने सही ही कहा है, कभी-कभी बिना भय के प्रीत भी नहीं होती है. फिर वह लक्ष्मण जी से अपना धनुष बाण लाने को कहते हैं और समुद्र को सुखा डालने की घोषणा करते हैं. विद्वानों ने सही कहा है कि मूर्ख से विनती करने, कुटिल से प्रीति करने और कंजूस से नीति की अपेक्षा रखना मूर्खता ही है.
लछिमन बान सरासन आनू। सोषौं बारिधि बिसिख कृसानु॥
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति। सहज कृपन सन सुंदर नीति॥
रामचरित मानस के सुंदर कांड में ये दोहा और चौपाई शामिल है, जिसे एयर मार्शल ए.के. भारती ने अपने संबोधन में शामिल किया. इससे पहले एक वीडियो सामने आया. इस वीडियो में ये दिखाया गया कि कैसे सेना ने पाकिस्तान के हमलों का न सिर्फ करारा जवाब दिया, साथ ही पड़ोसी मुल्क के कई नापाक इरादों को ध्वस्त भी कर दिया.
इस वीडियो की जो सबसे खास बात थी, वह रही इसमें प्रयोग की गई, कविवर रामधारी सिंह 'दिनकर' की प्रसिद्ध कविता की पंक्ति, 'जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है'
इस कविता के साथ इंडियन आर्मी के ऑपरेशन सिंदूर का वीडियो बहुत प्रभावी और मारक लग रहा था. यह कविता वीर रस में लिखी गई है और दिनकर की खंडकाव्य कृति 'रश्मिरथी' में तब सामने आती है, जब श्रीकृष्ण शांति दूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे होते हैं और यह समझाने का प्रयास कर रहे होते हैं कि 'युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और शांति सर्वोपरि है.'
कृष्ण पांडवों के लिए दुर्योधन से सिर्फ पांच गांव ही मांगते हैं और कहते हैं कि इसके अलावा अपनी तमाम धरती वह खुद रख ले.
दिनकर यहां कहते हैं,
'दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर इसमें भी यदि बाधा हो
तो दे दो केवल पांच ग्राम
रखो अपनी धरती तमाम'
हम वहीं खुशी से खाएंगे,
परिजन पर असि न उठाएंगे,
दुर्योधन वह भी दे न सका
आशीष समाज की ले न सका
उल्टे हरि को बांधने चला
जो था असाध्य साधने चला
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है. '
सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले जो वीडियो प्रसारित किया गया, वह रोंगटे खड़े करने वाला रहा है. प्रेस ब्रीफिंग के वक्त लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा, "हमें एयर डिफेंस की कार्रवाई को एक कॉन्टेक्स में समझने की जरूरत है. पहलगाम तक पाप का घड़ा भर चुका था. हमने पूरी तैयारी पहले ही कर ली थी और कार्रवाई की गई." एयर मार्शल एके भारती ने कहा, "हमारी लड़ाई आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ है, इसलिए हमने पहले आतंकवादियों के ठिकानों पर ही हमला किया था. लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवादियों का साथ देना उचित समझा. इसलिए पाकिस्तान ने इस लड़ाई को अपनी लड़ाई बना ली इसलिए उनको जवाब देना जरूरी था."