मणिपुर में दो महिलाओं के साथ दरिंदगी और उन्हें कपड़े उतारकर परेड कराने में आरएसएस के एक नेता और उनके बेटे का हाथ बताते हुए फोटो वायरल की जा रही है. पुलिस ने रविवार की रात इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी हुई है.
इस फोटो को कुछ लोगों ने ट्विटर और फेसबुक समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया था. मणिपुर पुलिस ने एक बयान में बताया कि साइबर अपराध पुलिस स्टेशन को एक राजनीतिक दल के पदाधिकारी से रिपोर्ट मिली थी कि उनकी और उनके बेटे की फोटो को दो महिलाओं की परेड के वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट के साथ अपराध में सीधे तौर पर शामिल होने के कैप्शन के साथ वायरल की जा रही है. इसे सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जा रहा है.
बयान में कहा गया है कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने के इरादे से झूठी खबर फैलाने के लिए साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है. पुलिस ने कहा कि अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.
वीडियो वायरल होने के बाद बढ़ा तनाव
मणिपुर में 4 मई का एक वीडियो वायरल होने के बाद बुधवार को तनाव और बढ़ गया, जिसमें कुकी समुदाय की महिलाओं को मैतेई समुदाय के पुरुषों के एक समूह ने नग्न परेड कराया और उनके साथ दरिंदगी की.
PM मोदी ने कहा- मेरा दिल पीड़ा और गुस्से से भरा है
मणिपुर की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दो महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना ने 140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार किया है. उन्होंने संसद परिसर में कहा कि मैं लोकतंत्र के इस मंदिर के सामने खड़ा हूं तो मेरा दिल पीड़ा और गुस्से से भरा हुआ है. पीएम मोदी ने कहा कि मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. कानून अपनी पूरी शक्ति और दृढ़ता से काम करेगा. मणिपुर की इन बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है.
तीन मई से शुरू हुई थी हिंसा
मणिपुर में तीन मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से अबतक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो गए हैं. दरअसल मैतेई समुदाय की एसटी में शामिल होने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था, जिसके बाद से ही हिंसा शुरू हो गई थी.
मणिपुर में 53 फीसदी मैतेई समुदाय
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी 40 प्रतिशत हैं, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.