कर्नाटक के कानून मंत्री एच.के. पाटिल ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर उनसे राज्य में अवैध खनन के दोषियों को दंडित करने का आग्रह किया है. उन्होंने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्य की संपत्ति लूटने के दोषियों को उचित सजा सुनिश्चित करने के लिए ईमानदार और प्रतिबद्ध नहीं है. पाटिल के अनुसार, अवैध खनन के दोषियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए सिद्धारमैया सरकार को कदम उठाने चाहिए.
मुख्यमंत्री को लिखे सात पन्नों के पत्र में एच.के. पाटिल ने दावा किया कि सभी अवैध खनन मामलों में से केवल 7.6 प्रतिशत की ही जांच की गई है और सरकार ने दोषियों को दंडित करने तथा लूटी गई संपत्ति की वसूली के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. पाटिल ने पत्र में कहा, '2007 से 2011 के बीच कर्नाटक में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हुआ. राजनेताओं और नौकरशाहों ने व्यवस्थित रूप से राज्य की संपत्ति लूटी. सरकारी खजाने को 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. लेकिन इतने बड़े पैमाने पर लूट के बावजूद सरकार ने लूट के लिए उचित सजा सुनिश्चित करने और राज्य की संपत्ति की वसूली करने में ईमानदारी और प्रतिबद्धता नहीं दिखाई.'
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एच.के पाटिल ने कहा कि राज्य में अवैध खनन को लेकर जनता में आक्रोश है और प्रशासन ऐसे अधिकांश मामलों को निपटाने में असमर्थ है. उन्होंने दुख जताते हुए कहा, 'इस बात को लेकर लोगों में आक्रोश है. कुछ मामलों की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने कोई प्रगति नहीं की है. ये मामले सरकारी फाइलों और प्रशासनिक देरी में दबकर रह गए हैं.' एच.के पाटिल ने अवैध खनन और उनकी जांच से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने के भी सुझाव दिए.
उन्होंने कहा कि 1946 के आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश के माध्यम से, वसूली प्रयासों के आरोपी अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिए राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में एक वसूली आयुक्त की तत्काल नियुक्ति की जानी चाहिए. इस आयुक्त को आवश्यक सहायता और शक्ति प्रदान की जानी चाहिए. वसूली को प्रभावी बनाने के लिए दृढ़ निश्चय के साथ कदम उठाए जाने चाहिए. मंत्री पाटिल ने कहा कि अवैध खनन के जितने मामलों की जांच पूरी हो चुकी है और अब अदालत में सुनवाई के चरण में हैं, उनकी तुलना में कम से कम दस गुना ज्यादा मामले ऐसे हैं जिनकी अभी तक जांच नहीं हुई है. ऐसे मामलों की जांच जरूरी है.
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पाटिल ने सुझाव दिया कि इस उद्देश्य के लिए, मजबूत प्रवर्तन प्राधिकरण के साथ एक विशेष जांच दल का गठन किया जाना चाहिए, और पुलिस व्यवस्था को तदनुसार संरचित किया जाना चाहिए, ताकि ऐसे अपराधों में शामिल अपराधियों को सजा मिल सके. अवैध खनन से संबंधित आपराधिक इरादे वाले मामलों की जांच के लिए तुरंत एक विशेष अदालत की स्थापना की जानी चाहिए. कर्नाटक के कानून मंत्री ने प्रशासकों से मामले की गंभीरता को पहचानने का आह्वान करते हुए कहा, 'पहले से दिए गए गंभीर निर्देश और तत्कालीन कैबिनेट उपसमिति को प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्य को संरक्षित किया जाना चाहिए और किसी भी कारण से गायब होने से पहले अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए.'
मंत्री पाटिल का यह तीखा पत्र सीबीआई अदालत द्वारा कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी और तीन अन्य को ओबुलापुरम अवैध खनन मामले में दोषी ठहराए जाने के एक महीने से भी अधिक समय बाद आया है. यह मामला रेड्डी के स्वामित्व वाली ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) से जुड़े केस की जांच से जुड़ा है. ओएमसी मामले में कर्नाटक के बेल्लारी क्षेत्र और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में अवैध लौह अयस्क खनन और निर्यात के आरोप शामिल थे. जांच से पता चला कि ओएमसी ने कैप्टिव माइनिंग की आड़ में खनन पट्टे हासिल किए थे, लेकिन अनधिकृत खनन गतिविधियों में लिप्त रही.
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पाटिल को पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का समर्थन मिला, जिन्होंने कहा कि यह देखना दिलचस्प होगा कि सिद्धारमैया राज्य में अवैध खनन पर अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा उठाई गई चिंताओं पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं. भाजपा नेता और पूर्व सीएम बोम्मई ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा, 'एच.के. पाटिल ने सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही है कि खदान में दर्ज 90 प्रतिशत मामलों का निपटारा नहीं हुआ है. वे (कांग्रेस) अब भी सत्ता में हैं. राज्य के लोगों का सवाल यह है कि मुख्यमंत्री इसका क्या जवाब देंगे.' उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वालों के लिए कांग्रेस में कोई सम्मान नहीं है.