scorecardresearch
 

कर्नाटक के स‍ियासी नाटक पर आया खड़गे का बड़ा बयान, बोले- सोनिया-राहुल के साथ मिलकर निपटाएंगे

कर्नाटक की सियासी घमासान अब दिल्ली तक पहुंच गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ कर दिया कि राज्य में उठे सियासी बवंडर को हाईकमान यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और वे खुद मिलकर सुलझाएंगे. सिद्धारमैया, शिवकुमार के बीच कथित डेढ़-दो साल के फॉर्मूले पर उठी नाराजगी ने फिर से सत्ता-साझेदारी के सवाल को हवा दी है, और पार्टी अब सीधे दखल देने की तैयारी में है.

Advertisement
X
कर्नाटक पॉलिटिकल क्राइसिस पर आया खड़गे का बयान
कर्नाटक पॉलिटिकल क्राइसिस पर आया खड़गे का बयान

कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर उठ रहे धुएं ने दिल्ली तक माहौल गर्म कर रखा है. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को साफ संकेत दिए कि अब मामला हाईकमान के पास पहुंच चुका है, और तीन बड़े यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और खुद खड़गे मिलकर इसका फैसला करेंगे. 

दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए खड़गे ने कहा,'जमीन पर क्या चल रहा है, यह वही लोग बता सकते हैं जो वहां मौजूद हैं… लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि हम ऐसी बातें सुलझा लेंगे.' यानी इशारा साफ, पार्टी के भीतर चल रही खींचतान अब 'ऊपर' तक पहुंच चुकी है. 

खड़गे ने आगे बताया कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और वे खुद तीनों मिलकर इस पूरे मामले पर बैठेंगे और जरूरी 'मध्यस्थता' करेंगे. ये बयान उस समय आया है जब कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर फिर से चर्चाओं का पारा चढ़ा हुआ है. 

कहा- जो भी बड़ा फैसला होगा, हाईकमान करेगा

रविवार को सिद्धारमैया से एक हफ्ते में दूसरी मुलाकात के बाद भी खड़गे ने वही पुराना रटा-रटाया लेकिन इशारों में ये कहा, 'कुछ खास चर्चा नहीं हुई… जो भी बड़ा फैसला होगा, हाईकमान करेगा.' बस, यही एक लाइन कर्नाटक की राजनीति में नए कयासों की आग को और हवा दे गई. 

Advertisement

उधर, डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि वे हाईकमान के फैसले को मानने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. उन्होंने बताया कि गुरुवार को कैबिनेट बैठक है और उसके अगले दिन इंदिरा गांधी आंगनवाड़ी कार्यक्रम… उसके बाद वे दिल्ली आएंगे या नहीं, ये 'देखा जाएगा'. मतलब, सियासी कैलेंडर टाइट है और फैसले का इंतजार उससे भी ज्यादा टाइट. 

क्या कह रहे श‍िवकुमार समर्थक 

असल झगड़े की जड़ वही पुराना 2.5 साल वाला सत्ता समझौता है, जिसे शिवकुमार खेमे का दावा है कि अब तक लागू नहीं किया गया. इस समझौते के मुताबिक, आधा कार्यकाल सिद्धारमैया और आधा शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनना था…और यही बात अब खेमों की तनातनी की सबसे बड़ी वजह बन गई है. 

शिवकुमार समर्थकों का कहना है कि वक्त पूरा हो चुका है- अब कुर्सी बदलनी चाहिए. इसी दबाव ने हाईकमान को फिर से दखल देने पर मजबूर कर दिया है. कुल मिलाकर, कर्नाटक में कुर्सी की हलचल… दिल्ली में हाईकमान की हलचल… और बीच में कांग्रेस का पुराना दर्द, संतुलन कैसे बनाए रखें. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement