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'FRP तय करना केंद्र का काम...', गन्ना किसानों के आंदोलन पर बोले CM सिद्धारमैया

उत्तर कर्नाटक के गन्ना किसानों ने प्रति टन 3,500 रुपये की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है. इसी को ध्यान में रखते हुए सीएम ने शुक्रवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक बेंगलुरु में सभी चीनी मिल मालिकों के साथ बैठक बुलाई गई है, जिसमें किसानों के आंदोलन और FRP बढ़ाने की मांग पर चर्चा होगी.

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सिद्धारमैया ने बुलाई चीनी मिल मालिकों की बैठक. (Photo: PTI)
सिद्धारमैया ने बुलाई चीनी मिल मालिकों की बैठक. (Photo: PTI)

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को किसानों की बैठक बुलाई है जो उत्तर कर्नाटक में गन्ने के लिए प्रति टन 3,500 रुपये की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों के पीएम मोदी से मिलने की भी योजना बनाई है, ताकि किसानों की समस्याओं पर चर्चा हो सके. 

दरअसल, उत्तर कर्नाटक में गन्ने के लिए प्रति टन 3,500 रुपये की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन तेज कर दिया है. जिसको लेकर गुरुवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को कहा कि निष्पक्ष और लाभकारी मूल्य निर्धारण (FRP) का फैसला केंद्र सरकार करती है, न कि राज्य. 

'FRP तय करना केंद्र का काम'

मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, 'FRP का निर्धारण केंद्र द्वारा किया जाता है. हर साल यह केंद्र ही तय करता है. इस साल भी 6 मई को केंद्र ने इसे तय किया.' उन्होंने विपक्ष पर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए कहा, 'केंद्र की भूमिका अधिक होने के बावजूद विपक्ष राजनीति कर रहा है. मैं किसानों से अपील करता हूं कि विपक्ष के बयानों में न फंसें.'

गन्ना किसानों के साथ बैठक

सिद्धारमैया ने बताया कि शुक्रवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक बेंगलुरु में सभी चीनी मिल मालिकों के साथ बैठक बुलाई गई है, जिसमें किसानों के आंदोलन और FRP बढ़ाने की मांग पर चर्चा होगी. उसके बाद दोपहर 1 बजे से हावेरी, बेलगाम, बागलकोट और विजयपुरा के किसान नेताओं के साथ दूसरी बैठक होगी.

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PM को लिखेंगे पत्र

उन्होंने कहा, 'मैं पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनसे तत्काल अपॉइंटमेंट मांगूंगा. अगर कल (शुक्रवार) मौका मिला तो दिल्ली जाकर किसानों की समस्याओं और मांगों के बारे में बताऊंगा.'

किसानों के प्रति सहानुभूति जताते हुए उन्होंने हाईवे ब्लॉक न करने की अपील की, क्योंकि इससे आम जनता को परेशानी होती है.

FRP की दरें और रिकवरी का हिसाब

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस साल तय FRP 3,550 रुपये प्रति टन है, जिसमें 10.25 प्रतिशत रिकवरी (100 किलो गन्ने से 10.25 किलो चीनी) पर कटाई और परिवहन लागत शामिल है.

उन्होंने समझाया, 'अगर रिकवरी 10.25 प्रतिशत से अधिक है, जैसे 0.1 प्रतिशत अधिक तो प्रति क्विंटल 3.46 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे. रिकवरी जितनी बढ़ेगी, भुगतान उतना ही अधिक होगा. यदि रिकवरी 10.25 प्रतिशत से कम है, तो 1 प्रतिशत कमी पर 3.46 रुपये कम किए जा सकते हैं, लेकिन न्यूनतम 9.5 प्रतिशत रिकवरी तक. 9.5 प्रतिशत या इससे कम रिकवरी पर किसानों को 3,290.50 रुपये प्रति टन मिलेंगे.'

केंद्र पर लगाए गंभीर आरोप

CM ने कहा, 'ये फैसला केंद्र सरकार ने लिया है, राज्य केवल इसे लागू करता है और सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनका हक मिले.'

उन्होंने ये भी कहा कि पूरे देश के लिए केवल 10 लाख मीट्रिक टन चीनी के निर्यात की अनुमति है, जबकि अकेले कर्नाटक में 41 लाख टन चीनी का उत्पादन होता है.

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उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 270 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता है, लेकिन हमारे लिए आवंटन केवल 47 करोड़ लीटर था जो केंद्र की राजनीति का स्पष्ट उदाहरण है. राज्य सरकार ने 11 स्थानों पर भौतिक वजन मशीनें स्थापित करने का निर्णय लिया है और आठ स्थानों के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं.

उनके अनुसार, 2024-25 में 522 लाख मीट्रिक टन चीनी की पेराई की गई, जबकि इस वर्ष के आंकड़े अभी आने बाकी हैं.

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