तमिलनाडु के मारन बंधु फिर चर्चा में हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन ने अपने बड़े भाई कलानिधि मारन को कानूनी नोटिस भेजा है और उन पर सभी नियमों को दरकिनार कर चेन्नई स्थित सन टीवी ग्रुप के हजारों करोड़ रुपए के शेयर अपने नाम ट्रांसफर करने का आरोप लगाया है. मारन बंधु की कभी तमिलनाडु से दिल्ली तक धाक रही है. उसके बाद परिवार में कंपनी पर कब्जे को लेकर विवाद हुआ और फर्जीवाड़े के आरोपों पर दोनों भाइयों के बीच रार बढ़ गई. आइए जानते हैं कि इस फाइट की पूरी कहानी...
दरअसल, तमिलनाडु की राजनीति और दक्षिण भारत के मीडिया बिजनेस में मारन परिवार का दबदबा किसी से छुपा नहीं रहा. इस वर्चस्व की नींव रखी थी स्व. मुरासोली मारन ने, जो डीएमके के संस्थापक एम. करुणानिधि के सबसे विश्वस्त भतीजे और पार्टी के सबसे तेजतर्रार रणनीतिकार माने जाते थे. वे तीन दशकों तक दिल्ली में डीएमके की आवाज बने रहे और राष्ट्रीय गठबंधनों के शिल्पकार माने गए. यानी मुरासोली 36 साल तक संसद के सदस्य रहे और उन्हें तीन अलग-अलग केंद्र सरकारों में केंद्रीय मंत्री बनाया गया.
2000 के दशक की शुरुआत में दोनों भाइयों ने DMK और व्यापार की समानांतर ताकत बनानी शुरू की. लेकिन अब वही ताकत एक-दूसरे के खिलाफ हथियार बन गई है. 2003 में पिता के निधन के बाद बेटों ने अपनी-अपनी राह पकड़ी. कलानिधि मारन ने एक विशाल मीडिया साम्राज्य खड़ा किया, जबकि दयानिधि मारन ने राजनीति में कदम रखा और केंद्र सरकार में मंत्री बने. दूरसंचार सुधारों को आगे बढ़ाया. बाद में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे.
कलानिधि के सन ग्रुप ने टीवी, अखबार, रेडियो, सिनेमा, एविएशन और क्रिकेट तक में अपनी पैठ बनाई तो दयानिधि ने डीएमके के राजनीतिक कद को दिल्ली में स्थापित करने की कोशिश की.
करुणानिधि के जीवनकाल में मारन परिवार के भीतर उठते विवादों को अक्सर 'घरेलू मामला' मानकर पार्टी के भीतर ही सुलझा लिया जाता था, लेकिन 2018 में करुणानिधि के निधन के बाद यह स्थिति बदलती देखी जा रही है. अब पारिवारिक मतभेद सार्वजनिक हो रहे हैं और वो भी कंपनी में हिस्सेदारी, कब्जे और फर्जीवाड़े के आरोपों के साथ सामने आ रहे हैं.
मारन परिवार की यह बदलती तस्वीर सिर्फ एक पारिवारिक टकराव नहीं, बल्कि तमिल राजनीति और मीडिया शक्ति संतुलन के बदलते स्वरूप की ओर भी इशारा करती है.
दयानिधि ने क्या आरोप लगाए?
डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने बड़े भाई और मीडिया कारोबारी कलानिधि मारन को कानूनी नोटिस भेजा है. इस नोटिस में उन्होंने शेयर आवंटन, वित्तीय लेन-देन और धोखाधड़ी और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कलानिधि मारन और सात अन्य आरोपियों के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.
दयानिधि ने कहा कि कलानिधि मारन ने सन टीवी ग्रुप की बहुमूल्य हिस्सेदारी खुद को ट्रांसफर कर ली, जिसकी वैल्यू हजारों करोड़ रुपए में है. आरोप है कि कलानिधि ने 2023 तक 5,926 करोड़ रुपये और 2024 में 455 करोड़ रुपये डिविडेंड के रूप में प्राप्त किए हैं. सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2024-25 में 4,544 करोड़ रुपये का कारोबार किया और 1,654.45 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया.
तो जांच एजेंसियों से शिकायत करेंगे दयानिधि
दयानिधि का कहना था कि इन शेयरों को सही उत्तराधिकारियों दायालु अम्माल (पूर्व सीएम करुणानिधि की पत्नी) और स्व. मुरासोली मारन के कानूनी उत्तराधिकारियों को वापस किया जाना चाहिए. यदि एक सप्ताह के भीतर सन टीवी नेटवर्क लिमिटेड को 15 सितंबर 2003 की स्थिति में बहाल नहीं किया गया तो वे जांच एजेंसियों से शिकायत करेंगे.
'लाखों शेयर खुद को आवंटित कर लिए'
दयानिधि ने कानूनी नोटिस में दावा किया कि कलानिधि ने 15 सितंबर 2003 तक कंपनी में एक भी शेयर नहीं रखा था, लेकिन मुरासोली मारन के गंभीर रूप से बीमार होने पर रातों-रात खुद को 12 लाख शेयर आवंटित कर लिए. ये सारे शेयर सिर्फ 10 रुपये फेस वैल्यू पर दिए गए, जबकि उस समय इनकी बाजार वैल्यू 3,500 करोड़ रुपये थी. दयानिधि ने इसे एक सुनियोजित धोखाधड़ी करार दिया.
'आपराधिक साजिश का हिस्सा है पूरा मामला'
नोटिस में कहा गया कि मुरासोली मारन की 23 नवंबर 2003 को मृत्यु हुई और तीन दिन बाद ही 26 नवंबर 2003 को शेयर ट्रांसफर कर दिए गए. जबकि पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र फरवरी 2004 में जारी हुआ था. इससे यह साबित होता है कि शेयर ट्रांसफर ना सिर्फ अवैध था, बल्कि आपराधिक साजिश का भी हिस्सा था.