केंद्र की मोदी सरकार चुनाव सुधार की दिशा में वन नेशन, वन इलेक्शन को पूरे देश में लागू करना चाहती है. वन नेशन, वन इलेक्शन की अवधारणा पर गठित संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी) ने हाल ही में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का दौरा किया. इस दौरान समिति ने वहां के अधिकारियों, राजनेताओं और वित्तीय संस्थानों से संवाद किया है.
इस समिति का उद्देश्य है कि वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर जो भी चिंताएं हैं उसे समझाना. साथ ही साथ सभी हित धारकों की राय लेना.
मुंबई में हुई चर्चा
समिति ने मुंबई में बैठक की. इसमें महाराष्ट्र के गृह सचिव, वित्त, कानून और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. इन लोगों के अलावा बैठक में आरबीआई, नाबार्ड और एलआईसी जैसे प्रमुख वित्तीय संस्थानों के अधिकारी शामिल हुए. बैठक में इन लोगों ने वन नेशन वन इलेक्शन अपनी राय रखी.
समिति ने विशेषज्ञों से आग्रह किया है कि वह इस प्रणाली के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का अध्ययन करें और जल्द से जल्द रिपोर्ट दें.
समिति ने क्या पूछा?
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जेपीसी प्रमुख ने क्या कहा?
संयुक्त संसदीय समिति के चेयरमैन पीपी चौधरी ने कहा है कि एक अनुमान के अनुसार, देश में अलग-अलग समय पर चुनाव कराने से देश को लगभग 4.75 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है. इसकी बचत कर हम इस धनराशि को गरीबों और विकास के लिए खर्च कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, हमने RBI, नाबार्ड, LIC जैसे वित्तीय संस्थानों से चुनावों की वजह से देश को हो रहे आर्थिक प्रभावों पर रिपोर्ट दें. चुनावों को जीडीपी पर प्रभाव कितना है?
बता दें कि 2029 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देखते हुए वर्तमान विधेयक की समीक्षा की जा रही है.