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'4.50 लाख करोड़ बचा सकता है देश...', वन नेशन वन इलेक्शन पर बोले JPC प्रमुख पीपी चौधरी

वन नेशन वन इलेक्शन की अवधारणा पर गठित संयुक्त समिति ने हाल ही में महाराष्ट्र और उत्तराखंड का दौरा कर राज्य अधिकारियों, राजनेताओं और वित्तीय संस्थानों से विचार-विमर्श किया. समिति ने कहा कि यह संवैधानिक सुधार जल्दबाजी में लागू नहीं किया जाएगा.

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'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर JPC की व्यापक चर्चा, राज्यों और विशेषज्ञों से राय ली जा रही है (फोटो क्रेडिट - फेसबुक ppchaudharypali)
'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर JPC की व्यापक चर्चा, राज्यों और विशेषज्ञों से राय ली जा रही है (फोटो क्रेडिट - फेसबुक ppchaudharypali)

केंद्र की मोदी सरकार चुनाव सुधार की दिशा में वन नेशन, वन इलेक्‍शन को पूरे देश में लागू करना चाहती है. वन नेशन, वन इलेक्‍शन की अवधारणा पर गठित संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी) ने हाल ही में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का दौरा किया. इस दौरान समिति ने वहां के अधिकारियों, राजनेताओं और वित्तीय संस्थानों से संवाद किया है. 

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इस समिति का उद्देश्य है कि वन नेशन, वन इलेक्‍शन को लेकर जो भी चिंताएं हैं उसे समझाना. साथ ही साथ सभी हित धारकों की राय लेना. 

मुंबई में हुई चर्चा

समिति ने मुंबई में बैठक की. इसमें महाराष्ट्र के गृह सचिव, वित्त, कानून और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. इन लोगों के अलावा बैठक में आरबीआई, नाबार्ड और एलआईसी जैसे प्रमुख वित्तीय संस्थानों के अधिकारी शामिल हुए. बैठक में इन लोगों ने वन नेशन वन इलेक्शन अपनी राय रखी.

समिति ने विशेषज्ञों से आग्रह किया है कि वह इस प्रणाली के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का अध्ययन करें और जल्द से जल्द रिपोर्ट दें.

समिति ने क्या पूछा?

  • समिति ने विशेषज्ञों से पूछा कि क्या वन नेशन, वन इलेक्‍शन प्रणाली का आर्थिक प्रभाव क्या होगा? क्या इससे बैंकिंग सेक्टर प्रभावित होंगे?
  • क्या शिक्षकों की चुनावी ड्यूटी से छात्रों की पढ़ाई पर क्या असर पड़ेगा?
  • चुनावों के कारण बैंक कर्मचारियों की ड्यूटी सेवा पर कितना प्रभाव डालती है?

यह भी पढ़ें: 'एक देश-एक चुनाव' पर ली जाएगी आम जनता की राय, JPC की मीटिंग में फैसला

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जेपीसी प्रमुख ने क्या कहा?

संयुक्‍त संसदीय समिति के चेयरमैन पीपी चौधरी ने कहा है कि एक अनुमान के अनुसार, देश में अलग-अलग समय पर चुनाव कराने से देश को लगभग 4.75 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है. इसकी बचत कर हम इस धनराशि को गरीबों और विकास के लिए खर्च कर सकते हैं. 

उन्होंने कहा, हमने RBI, नाबार्ड, LIC जैसे वित्तीय संस्थानों से चुनावों की वजह से देश को हो रहे आर्थिक प्रभावों पर रिपोर्ट दें. चुनावों को जीडीपी पर प्रभाव कितना है?

बता दें कि 2029 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देखते हुए वर्तमान विधेयक की समीक्षा की जा रही है. 

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