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झारखंड की सिंगल पैरेंट महिला जज को चाइल्ड केयर लीव देने का मामला, SC में 1 अगस्त को केस की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट की 92 दिनों की छुट्टी मंजूरी को रिकार्ड पर लेते हुए याचिकाकर्ता की ACR में प्रतिकूल टिप्पणियों पर नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने चार हफ्तों में जवाब देने और सुनवाई की अगली तारीख 1 अगस्त तय की है. मामले में चाइल्ड केयर लीव और लंबी छुट्टी की मांग महत्वपूर्ण है.

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झारखंड हाईकोर्ट (File photo)
झारखंड हाईकोर्ट (File photo)

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता को 92 दिनों की छुट्टी मंजूर करने वाले हलफनामे को रिकार्ड पर लेते हुए इसके संबंध में सुनवाई की अगली तारीख एक अगस्त तय कर दी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से ACR में की गई प्रतिकूल टिप्पणियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नई अर्जी पर नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने संबंधित पक्षों को चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.

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जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच में याचिकाकर्ता न्यायाधीश की ओर से बताया गया कि उन्होंने 190 दिनों की छुट्टी मांगी थी, लेकिन उन्हें केवल 90 दिनों की छुट्टी दी गई. इसके बाद मई में दाखिल याचिका के बाद उनके ACR में प्रतिकूल टिप्पणियां दर्ज की गईं, जिनमें उनके "दृष्टिकोण या व्यवहार" से संबंधित प्रशिक्षण का सुझाव भी शामिल है. इससे पहले उनका ACR सकारात्मक था. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से ACR में की गई इन टिप्पणियों को हटाने की मांग करते हुए निर्देश जारी करने का आग्रह किया.

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चाइल्ड केयर लीव मांगी, लेकिन बच्चा 2026 में परीक्षा देगा

झारखंड हाई कोर्ट के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता जिला जज हैं और यदि वे इतने लंबे समय तक छुट्टी पर चली जाती हैं तो जिले में अराजकता फैल सकती है. इसीलिए हाई कोर्ट ने उन्हें 94 दिन की छुट्टी दी है. वकील ने यह भी बताया कि तबादले के आदेश के बाद याचिकाकर्ता ने 16 साल के बच्चे के लिए चाइल्ड केयर लीव मांगी है, जबकि बच्चा 2026 में परीक्षा देगा. पहले याचिकाकर्ता ने रांची में तबादले की भी मांग की थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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इससे पहले शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट ने अपने फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए कोर्ट के वकील को निर्देश दिया कि वे तीन दिनों के भीतर इस मामले पर पुनर्विचार करके सुप्रीम कोर्ट को सूचना दें. कोर्ट ने कहा कि बेहतर होगा हाई कोर्ट खुद इस मामले पर विचार करे क्योंकि अपने फैसले में इस मामले का निर्णय भविष्य में आने वाले मामलों के लिए मिसाल बन सकता है.

झारखंड की एक महिला न्यायिक अधिकारी हैं याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता, जो झारखंड की एक महिला न्यायिक अधिकारी हैं, ने चाइल्ड केयर लीव नीति के तहत छह महीने की छुट्टी मांगी है ताकि वे अपने बच्चे की परीक्षा की तैयारी में मदद कर सकें. याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि वह सिंगल पैरंट हैं और समाज के सबसे निचले वर्ग से आती हैं. हालांकि, झारखंड हाई कोर्ट ने उनकी चाइल्ड केयर लीव की आवेदन बिना कोई कारण बताए खारिज कर दी थी, जिसके चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

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जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका की जल्दी सुनवाई की मांग की गई, तो चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्होंने यह याचिका पहले हाई कोर्ट में क्यों नहीं दाखिल की. इस पर याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्हें 10 जून से छह महीने की छुट्टियों की जरूरत है और हाई कोर्ट में इस मामले की धीमी सुनवाई की वजह से उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट आना पड़ा.

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