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'जीत के जबड़े से हार निकाल लाया भारत...', पाकिस्तान के साथ सीजफायर पर बोले एक्सपर्ट ब्रह्म चेलानी

भारत-पाकिस्तान के बीच शनिवार को युद्धविराम पर समझौता हुआ, लेकिन कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया. सीजफायर को लेकर रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने कुछ सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि यहां भारत जीत की दहलीज पर था.

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ब्रम्हा चेलानी
ब्रम्हा चेलानी

भारत और पाकिस्तान के बीच अप्रत्याशित सीजफायर ने कई लोगों को चौंका दिया है. सरकार के इस फैसले पर मशहूर जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि भारत जीत की दहलीज पर था, लेकिन अंत में मन मसोस कर रह गया.

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अमेरिका की मध्यस्थता में भारत-पाकिस्तान ने शनिवार को युद्धविराम पर समझौता किया था, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से तीन घंटे बाद ही इस समझौते का उल्लंघन किया गया. श्रीनगर में ड्रोन अटैक किया गया. पाकिस्तान की नापाक हरकत के बाद अमृतसर में रेड अलर्ट का ऐलान किया गया. शनिवार रात विदेश मंत्रालय ने ब्रीफिंग कर सेना को जवाबी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया.

चेलानी ने युद्धविराम पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि भारत इतिहास से सीखने में विफल रहा है. सिर्फ पिछली रणनीतिक गलतियों को दोहरा रहा है. चेलानी ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, 'सैन्य गतिविधि भारत के पक्ष में थी. पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा पाकिस्तान की अपेक्षा से कहीं अधिक कमजोर साबित हुई. वे भारत में बहुत सारे ड्रोन और मिसाइल भेज रहे थे, लेकिन प्रभावी रूप से नहीं. दूसरी ओर भारत ने सीमित संख्या में मिसाइल और ड्रोन भेजे और अपने लक्ष्यों को भेदने में सक्षम रहा.'

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चेलानी ने उठाए सवाल

ब्रम्हा चेलानी ने सैन्य रूप से स्पष्ट बढ़त रखने के बावजूद भारत के तनाव कम करने के निर्णय के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, 'यह जीत के मुंह से हार छीनने की भारत की पुरानी राजनीतिक स्थिति को रेखांकित करता है.' उन्होंने आश्चर्य होते हुए कहा कि भारत ने तनाव कम करने का फैसला क्यों किया.

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जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट ने कहा, 'जीत के मुंह से हार छीनना एक दोहराव वाला पैटर्न बन गया है. यही कारण है कि भारत इतिहास को दोहराता रहता है. हम इतिहास से कभी नहीं सीखते. इसलिए इतिहास खुद को दोहराता है.'

चेलानी ने मौजूदा स्थिति की तुलना पिछले उदाहरणों से की, जहां उनके विचार में, भारत ने स्थायी रणनीतिक लाभ हासिल किए बिना सैन्य या कूटनीतिक लाभ को आत्मसमर्पण कर दिया. उनका कहना है, '1972 में, हमने पाकिस्तान से बदले में कुछ भी हासिल किए बिना अपने युद्ध लाभ को बातचीत की मेज पर दे दिया. 2021 में हमने रणनीतिक कैलाश हाइट्स को खाली कर दिया, बातचीत में अपनी एकमात्र सौदेबाजी चिप को खो दिया और फिर हम लद्दाख क्षेत्रों में चीनी-डिजाइन किए गए बफर जोन और अब ऑपरेशन सिंदूर पर सहमत हुए.'

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'इतिहास अच्छे नजरिए से नहीं देखेगा'

चेलानी ने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर में 26 हत्याओं का बदला लेने का एक शक्तिशाली प्रतीक था और फिर भी आज जिस तरह से हमने पाकिस्तान द्वारा दिल्ली पर मिसाइल दागे जाने के बाद इस ऑपरेशन को समाप्त किया, उससे कई सवालों के जवाब नहीं मिले.' चेलानी ने कहा, 'इतिहास आज भारत के निर्णय को अच्छी तरह से नहीं देखेगा.'

एक्सपर्ट ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के समापन को रणनीतिक और प्रतीकात्मक चूक बताया, जो जवाब से अधिक सवाल उठाती है. यह टिप्पणी भारत और पाकिस्तान द्वारा दो दिनों की हड़ताल और जवाबी हमलों के बाद युद्ध विराम पर सहमत होने की घोषणा के बाद आई है.

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बता दें कि भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने युद्ध विराम की पुष्टि करते हुए कहा, 'पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक (DGMO) ने शनिवार दोपहर 15.30 बजे (3.30 बजे) भारत के DGMO को फोन किया. उनके बीच यह सहमति बनी कि दोनों पक्ष शनिवार शाम 5 बजे (शाम 5 बजे) से जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद कर देंगे.'

युद्ध विराम की घोषणा बड़ा आश्चर्य था क्योंकि शनिवार सुबह ही विदेश सचिव ने ब्रीफिंग में कहा था कि पाकिस्तान अपने सैनिकों को सीमावर्ती क्षेत्रों में भेज रहा है और भारतीय सशस्त्र बल अलर्ट पर हैं. इस बयान से पाकिस्तान की ओर से और अधिक तनाव बढ़ने की आशंका पैदा हो गई, जिसके रक्षा मंत्री ने बार-बार मीडिया में बयान देकर पुष्टि की कि युद्ध की संभावना है.

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