इंडिया टुडे/ आज तक की रिपोर्ट का बड़ा असर हुआ है. भारत सरकार ने जैश के व्हाट्सएप चैनल को बंद कर दिया है. इस चैनल का इस्तेमाल में भारत में कट्टरपंथी कंटेंट प्रचारित करने के लिए किया जा रहा था. इंडिया टुडे/ आज तक अपनी रिपोर्ट में इस खबर को प्रमुखता से दिखाया था, जिसके बाद अब जैश-ए-मोहम्मद का चैनल व्हाट्सएप से हटा दिया गया है. इस कार्रवाई को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
जैश के इस व्हाट्सएप चैनल पर 13 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स थे. जैश अपने इस चैनल का इस्तेमाल भारत में आतंकी विचारधारा को फैलाने और पत्रकारों व इन्फ्लुएंसर्स के बीच प्रचार सामग्री पहुंचाने के लिए कर रहा था.
भारतीय यूजर्स तक पहुंच रहा था नफरती कंटेंट
इंडिया टुडे/आज तक की ओएसआईएनटी टीम ने खुलासा किया था कि जैश से संबंधित वॉट्सऐप चैनल “Markaz Sayyedna Tamim Dari (MSTD)” के 13000 से अधिक फॉलोअर्स थे. इसके जनवरी 2024 में बनाया गया था. इस चैनल के जरिए जैश हर रोज अपना प्रचार करता था. चैनल पर बिना फिल्टर किया प्रोपेगैंडा- मसूद अजहर के पुराने भाषण, जिहादी नशीद, ई-बुक्स, ऑनलाइन क्लास और कट्टरपंथी विचारधारा वाले बयान पोस्ट किया जाए थे. जो सीधे तौर पर भारतीय स्मार्टफोन यूजर्स तक पहुंच रहे थे.
एक अन्य चैनल (Madrasah Sayyidina Zayd Bin Sabit) भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद जून में लॉन्च हुआ था, जिसके करीब 3,000 फॉलोअर्स हैं. ये चैनल लगातार धार्मिक भाषणों और कट्टर इस्लामी जीवनशैली अपनाने की बातें फैलाते हैं.
पत्रकारों और यूट्यूबर्स करते थे टारगेट
खुफिया सूत्रों के अनुसार, जैश के इस नए प्रभाव अभियान का एक मुख्य टारगेट पत्रकार और रक्षा समाचार बनाने वाले लोग थे. इन संदेशों को इस तरह से तैयार किया गया था कि वे मीडिया का ध्यान आकर्षित कर सकें. नतीजा ये हुआ कि भारत में कई पत्रकार, यूट्यूबर्स और OSINT हैंडल्स अनजाने में ही जैश के प्रचार को प्रकाशित कर देते थे, जिससे संगठन को व्यापक पहुंच मिलती थी.
हिंदी-अंग्रेजी में तैयार करते थे कंटेंट
खुफिया सूत्रों ने बताया कि जैश ने भारत में सामूहिक खपत के लिए जेनरेटिव AI की मदद से फ़्लूएंट अंग्रेजी और कभी-कभी हिंदी में भी कंटेंट तैयार कर रहा था, ताकि भारतीय मीडिया अनजाने में ही उसकी बात को आगे बढ़ा दे.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट प्रसारित होते ही वॉट्सऐप ने तुरंत कार्रवाई की और दोनों प्रमुख जैश चैनल्स को स्थायी रूप से डिलीट कर दिया.
अधिकारियों ने WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी की भी तरफ इशारा किया. उनका कहना है कि ये प्लेटफॉर्म अभी भी 'भारत की सुरक्षा चिंताओं को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि USA की सुरक्षा चिंताओं के लिए डिज़ाइन किए गए हैं', भले ही भारत WhatsApp का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता आधार हो. आंतरिक तंत्र और सामग्री मॉडरेशन प्रणाली अभी भी पश्चिमी कानूनी ढांचों पर आधारित है, जो भारत द्वारा सामना की जाने वाली सुरक्षा चुनौतियों की प्रकृति और पैमाने के लिए पर्याप्त नहीं है.
अधिकारी ने कहा, 'आतंकवादी संगठनों पर रिपोर्टिंग में एक महत्वपूर्ण और अक्सर भुला दिया जाने वाला पहलू ये है कि जो आतंकवादी चाहते हैं, उसकी रिपोर्टिंग न की जाए, बल्कि ये पता लगाया जाए कि वे क्या छिपा रहे हैं.'
LeT ने भी अपनाई नई रणनीति
रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि जैश की तरह, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की प्रचार एक्टिविटी भी भारतीय घरों तक पहुंच जाती हैं. एजेंसियों के अनुसार LeT के प्रचार का मुख्य स्रोत पाकिस्तान मरकज़ी मुस्लिम लीग (PMML) के फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पेज रहे हैं, जो आसानी से भारत में सुलभ हैं.