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India Census 2027: धर्म के साथ लिखनी होगी जाति, नहीं गिना जाएगा वर्ग... इस बार ऐसे होगी जनगणना

जातीय जनगणना के दौरान धर्म के साथ ही सभी को जाति लिखनी होगी. गलत जाति बताने पर सरकार के पास जांच करने का कोई पैमाना नहीं होगा. आरक्षण का फायदा सिर्फ जाति प्रमाणपत्र के आधार पर मिलता है.

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जातीय जनगणना 2027
जातीय जनगणना 2027

कई साल से लंबित जनगणना और जातिगत गणना की प्रक्रिया करीब शुरू होने वाली है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जनगणना में जाति की गिनती होगी लेकिन वर्ग की नहीं होगी. इसका मतलब यह हुआ कि जनगणना के बाद यह आंकड़ा नहीं आएगा कि देश में ओबीसी की संख्या कितनी है. इसके पीछे एक कारण यह भी है कि कुछ राज्यों में ओबीसी जातियां दूसरे राज्यों में सामान्य हैं. 

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इसके अलावा, धर्म के साथ ही सभी को जाति लिखनी होगी. गलत जाति बताने पर सरकार के पास जांच करने का कोई पैमाना नहीं होगा. आरक्षण का फायदा सिर्फ जाति प्रमाणपत्र के आधार पर मिलता है. 

पचास फीसदी आरक्षण सीमा मामले पर सुप्रीम कोर्ट तय करेगा. इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी. इस जनगणना से परिसीमन पर कोई असर नहीं होगा. 2026 में होने वाला परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर भी हो सकता है. बता दें कि जनगणना में सामान्यतः पांच साल लगते हैं लेकिन इस बार तीन साल लगेंगे. इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि इस बार की जनगणना डिजिटल तौर पर होगी.

कब होगी जातीय जनगणना?

सूत्रों के मुताबिक, 16 जून 2025 को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत अधिसूचना जारी होते ही यह प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगी. इसके बाद जनगणना से जुड़ी विभिन्न एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी. पहले चरण में स्टाफ की नियुक्ति, प्रशिक्षण, जनगणना फॉर्मेट तैयार करना और फील्ड वर्क की योजना बनाई जाएगी. खास बात यह है कि इस बार जनगणना और जातिगत जनगणना एक साथ की जाएगी.

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यह भी पढ़ें: घर में कैसा वॉशरूम है, आटा कौन-सा खाते हो, दीवार का पेंट कैसा है...जनगणना में हर एक से पूछे जाते हैं ये सवाल

प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी. पहला चरण 1 फरवरी 2027 तक पूरा किया जाएगा, जबकि दूसरा और अंतिम चरण फरवरी 2027 के अंत तक संपन्न होगा. 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि को संदर्भ तिथि माना जाएगा, यानी उस समय देश की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति का जो भी आंकड़ा होगा, वही रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा. इस दिन के बाद से आंकड़े सार्वजनिक रूप से सामने आने लगेंगे. यह ऐतिहासिक कदम देश की सामाजिक संरचना को बेहतर ढंग से समझने और नीतिगत फैसलों के लिए मजबूत आधार प्रदान करेगा.

वहीं हिमालयी और विशेष भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड में यह जनगणना प्रक्रिया अन्य राज्यों से पहले, अक्टूबर 2026 तक पूरी कर ली जाएगी. वहां मौसम की कठिनाइयों और दुर्गम क्षेत्रों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

कैबिनेट समिति ने दी जातिगत गणना को मंजूरी

इस बड़े फैसले के बैकग्राउंड में अप्रैल में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से की गई घोषणा थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (Cabinet Committee on Political Affairs) ने आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने की स्वीकृति दे दी है.

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उन्होंने कहा था, “कैबिनेट समिति ने आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है. यह फैसला सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण तथा समग्र राष्ट्रीय प्रगति की दिशा में एक अहम कदम है.” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जनगणना पारदर्शी तरीके से कराई जाएगी.

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