मणिपुर में जनजीवन पूरी तरह से ठप हो गया है. वजह है चुराचांदपुर जिले और अन्य कुकी बहुल इलाकों में इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) की ओर से बुलाया गया अनिश्चितकालीन शटडाउन. लांगचिंगमनबी गांव की मुखिया की पत्नी होइखोलहिंग की हत्या के खिलाफ यह विरोध हो रहा है जिसने मणिपुर में आम जनजीवन की रफ्तार को पूरी तरह से रोक दिया है.
क्या है पूरा मामला?
आरोप है कि 19 जून, गुरुवार को सुरक्षा बलों और हथियारबंद उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से गांव के मुखिया की पत्नी की मौत हो गई थी. यह घटना बिष्णुपुर जिले के फुबाला गांव की है. दरअसल उसी दिन एक 60 वर्षीय मैतेई किसान निंगथौजाम बीरेन पर हमला हो गया था. वह अपने खेत में काम कर रहे थे जब कुछ अज्ञात हमलावरों ने उन पर गोली चला दी जिसमें वह घायल हो गए थे. इसी के बाद सुरक्षा बलों ने लांगचिंगमनबी गांव में तलाशी अभियान चलाया, जिसके दौरान यह घटना घटी.
'कार्रवाई नहीं की तो बिगड़ जाएंगे हालात'
कुकी इंपी यूथ अफेयर्स नामक संगठन ने आरोप लगाया है कि 'होइखोलहिंग की मौत केंद्रीय सुरक्षा बलों और हथियारबंद मैतेई उग्रवादियों के बीच गोलीबारी के दौरान हुई.' संगठन ने सुरक्षा बलों पर लापरवाही का आरोप लगाया है और सरकार को चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो हालात और बिगड़ सकते हैं.
राज्य की कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल
ITLF ने इस घटना को 'घोर अन्याय' बताया और कहा कि यह घटना दिखाती है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. संगठन ने कहा, 'यह नुकसान सिर्फ एक परिवार का नहीं है बल्कि यह दिखाता है कि स्टेट आम नागरिकों की सुरक्षा करने में विफल हो रहा है.'
इस बंद का समर्थन करते हुए छह कुकी सामाजिक संगठनों ने एकजुटता जताई और होइखोलहिंग की मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांग की. उन्होंने परिवार को न्याय दिलाने और दोषियों को सजा देने की अपील की है.